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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में नई नागर विमानन नीति को मंजूरी दी गई। नई नीति के अनुसार, अब यात्रियों को एक घंटे की यात्रा के लिए 2500 रुपये का भुगतान किराये के तौर पर करना होगा। अगर आप आधे घंटे का सफर करते हैं तो 1200 रुपये किराया लगेगा। अगर घरेलू टिकट कैंसिल कराया जाता है तो 15 दिनों के अंदर पैसा यात्रियों को मिल जाएगा, वहीं अंतरराष्ट्रीय टिकट कैंसिल कराने पर पैसा 30 दिनों के अंदर मिलेगा। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर बताया, 'राजग सरकार ने देश की पहली समेकित राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति को मंजूरी दे दी है। इससे इस क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आयेगा।' उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि भारत वर्ष 2022 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा नागरिक उड्डयन बाजार होगा। यह लक्ष्य हासिल करने के लिए सही ध्येय, दूरदृष्टि, योजना तथा क्रियान्वयन की जरूरत है। पिछले साल सरकार ने इस नीति का प्रारूप जारी किया था, जिस पर आम लोगों से राय मांगी गई थी। नयी नीति में टीयर दो तथा टीयर तीन शहरों में भी इस उद्योग का विस्तार करने तथा हवाई यात्रियों की संख्या बढ़ाने के उपाय किये गये हैं। इसके अलावा देश को विमानों के रखरखाव, मरम्मत तथा ओवरहॉलिंग के केंद्र के रूप में विकासित करने पर भी जोर दिया गया है।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): केंद्र सरकार के 30 लाख से ज्यादा कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की एक बड़ी सौगात जल्द ही मिलने का रास्ता साफ़ हो गया है। 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों की समीक्षा के लिए गठित सचिवों की अधिकार प्राप्त समिति की मंगलवार को बैठक हुई। जानकारी के मुताबिक़ अधिकार प्राप्त इस समिति की यह आखिरी बैठक थी। गौरतलब है कि वेतन आयोग की रिपोर्ट आने के बाद जनवरी 2016 को इस समिति का गठन किया गया था ताकि सातवां वेतन आयोग लागू करने को लेकर आ रही दिक्कतों को दूर किया जा सके। समिति ने अपनी रिपोर्ट वित्त मंत्रालय को सौंप दी है। सरकार पहले ही साफ़ कर चुकी है कि इस समिति की रिपोर्ट को वह पूरी तरह से लागू करेगी। मोदी सरकार के दो साल पूरे होने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा था कि सचिवों की समिति की रिपोर्ट को लागू किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि रिपोर्ट को जल्द ही लागू कर दिया जाएगा क्योंकि इससे अर्थव्यवस्था को सीधा लाभ पहुंचता है। सूत्रों के मुताबिक़ सरकार अब इस समिति की सिफारिश के आधार पर सातवें वेतन आयोग की सिफ़ारिशें लागू करेगी। वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम मूल वेतन 18000 और अधिकतम 250000 करने की सिफारिश की है। साथ ही कैबिनेट सचिव और समान स्तर के सरकारी अधिकारियों के लिए सर्वाधिक 250000 रुपये वेतन करने की सिफारिश की गई है। ख़बरों के मुताबिक बढ़ा वेतन जुलाई में दिया जा सकता है, जो 1 अगस्त को कर्मचारियों के खाते में पहुंचेगा।

नई दिल्‍ली: प्रवर्तन निदेशायल (ईडी) की मांग पर मुंबई की अदालत ने करोड़ों रुपये के लोन डिफॉल्टर विजय माल्या को भगोड़ा घोषित कर दिया। ईडी ने अदालत से अपील की थी कि चूंकि माल्‍या जानबूझ कर गिरफ्तारी से बचने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं इसलिए उन्‍हें भगोड़ा घोषित कर दिया जाए। इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय ने शुक्रवार को मुंबई की एक विशेष पीएमएलए अदालत का रुख कर शराब कारोबारी विजय माल्या को भगोड़ा घोषित करने की मांग की थी। एक कथित बैंक कर्ज फर्जीवाड़े के मामले में माल्या के खिलाफ की जा रही धनशोधन की जांच के सिलसिले में ईडी ने उन्हें भगोड़ा घोषित करने की मांग की थी। अधिकारियों ने कहा था कि एजेंसी ने अदालत से अनुरोध किया है कि वह सीआरपीसी की धारा 82 के तहत एक आदेश पारित कर माल्या को भगोड़ा घोषित कर दे, क्योंकि उनके खिलाफ 'बहुत सारे' गिरफ्तारी वारंट लंबित हैं। इसमें धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत जारी किया गया एक गैर-जमानती वारंट भी शामिल है। उन्होंने बताया था कि अदालत ईडी की अर्जी पर 13 जून को आदेश पारित कर सकती है। अधिकारियों ने बताया था, 'माल्या के खिलाफ विभिन्न मामलों में बहुत सारे गिरफ्तारी वारंट लंबित पड़े हैं।

नई दिल्ली: दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को 2010-15 के दौरान परिचालन से 5,022 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोष की उपलब्धता के बावजूद इस दौरान एक भी बस की खरीद नहीं की जा सकी, जबकि मौजूदा बसों के खराब होने के मामलों में इजाफा हुआ। कैग की डीटीसी के प्रदर्शन पर दिल्ली विधानसभा में पेश ऑडिट रिपोर्ट में कहा गया है कि निगम ने क्लस्टर बसों जो तय हुआ था उससे अधिक खरीद की जिससे उसकी आमदनी अर्जित करने की क्षमता प्रभावित हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 मार्च, 2015 तक निगम 791 में से 574 रूटों पर परिचालन कर रहा था और इसमें से कोई भी रूट मुनाफे में नहीं था। कुछेक रूट से वैरिएबल लागत भी नहीं निकाल पा रहे थे। ऐसे में निगम को 2010-15 के दौरान 5,022.05 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। वर्ष 2010-11 में परिचालन नुकसान 741.09 करोड़ रुपये का हुआ, जो 2014-15 में बढ़कर 1,273.19 करोड़ रुपये पर पहुंच गया।

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