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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में असली एनसीपी की लड़ाई को लेकर शरद पवार को सुप्रीम कोर्ट से एक और झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एनसीपी के इलेक्शन सिंबल 'घड़ी' के इस्तेमाल को लेकर दायर याचिका खारिज कर दी है। शीर्ष अदालत ने कहा कि 'घड़ी' सिंबल का इस्तेमाल अजित पवार की पार्टी ही करेगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने शरद गुट को एनसीपी शरदच्रंद पवार नाम से ही लोकसभा चुनाव 2024 लड़ने की परमिशन दे दी है। कोर्ट ने उसके चुनाव चिह्न ट्रम्पेट को भी मान्यता दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी निर्देश दिया कि वह लोकसभा-विधानसभा चुनावों के लिए दूसरों को तुरही चुनाव चिन्ह न दे। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को असली एनसीपी बताने वाले चुनाव आयोग के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया था। कोर्ट ने अजित पवार गुट को यह पब्लिक नोटिस जारी करने को कहा कि एनसीपी का घड़ी चुनाव चिह्न कोर्ट में विचाराधीन है। इसलिए चुनावी विज्ञापनों के इस्तेमाल में भी इसका जिक्र होना चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट शरद गुट की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें कहा गया था कि अजित गुट अपने फायदे के लिए शरद का नाम और फोटो इस्तेमाल कर रहा है।

इससे पहले 14 मार्च को महाराष्ट्र सरकार में डिप्टी सीएम अजित पवार गुट को कोर्ट ने फटकार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, "अजित गुट लिखकर दें कि शरद पवार का फोटो इस्तेमाल नहीं करेंगे। अब आप अलग पार्टी हैं, अपनी पहचान भी बनाएं।"

जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने अजित पवार गुट से 18 मार्च तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा था। बेंच ने अजित गुट से बिना शर्त लिखित गारंटी देने का आदेश दिया है कि वे शरद पवार की तस्वीर का इस्तेमाल नहीं करेंगे।

चुनाव आयोग ने 6 फरवरी को दिया था फैसला

6 फरवरी को चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट को असली एनसीपी माना था। चुनाव आयोग ने ये फैसला बहुमत के आधार पर लिया। आयोग ने कहा कि अजित पवार गुट एनसीपी का नाम और चुनाव चिह्न इस्तेमाल कर सकते हैं। इसके एक दिन के बाद चुनाव आयोग ने शरद पवार गुट को एनसीपी शरद चंद्र पवार नाम दिया। हालांकि, चुनाव चिह्न नहीं दिया गया।

शरद पवार ने 1999 में बनाई थी पार्टी

शरद पवार ने 1999 में कांग्रेस से नाता तोड़कर पी संगमा और तारिक अनवर के साथ मिलकर एनसीपी का गठन किया था। अजित पवार के नेतृत्व में तमाम विधायकों ने पिछले साल जुलाई में शरद पवार के साथ बगावत कर दी थी। वे एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली और बीजेपी के साथ गठबंधन वाली सरकार में शामिल हो गए थे।

चुनाव आयोग ने दिए ये तर्क

चुनाव आयोग ने कहा कि एनसीपी के सांसदों, विधायकों और एमएलसी की कुल संख्या 81 है. इसमें से अजित पवार के समर्थन में 57 विधायकों के हलफनामे सौंपे गए, जबकि शरद पवार के खाते में केवल 28 हलफनामे थे।

अजित पवार के साथ कितने विधायक

अजित के साथ महाराष्ट्र के 41 विधायक, 5 विधान परिषद के एमएलसी, नगालैंड के सभी 7 विधायक, झारखंड से एक विधायक, लोकसभा के 2 सांसद और राज्यसभा के एक सांसद का सपोर्ट है। 5 विधायकों और एक लोकसभा सांसद ने दोनों पक्षों के समर्थन में हलफनामा दिया है। चुनाव आयोग ने कहा कि अगर इन 6 को हटा भी दिया जाए, तो भी अजित पवार का गुट बहुमत में है। इस कारण वही असली एनसीपी है।

पिछले साल 1 जुलाई को अजित पवार ने चुनाव चिह्न आदेश, 1968 के तहत चुनाव आयोग में एनसीपी पर दावे के लिए याचिका दायर की थी। इसके बाद हुई 10 से ज्यादा सुनवाई के बाद 6 फरवरी को चुनाव आयोग ने फैसला दिया था।

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