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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): अमित शाह के फर्जी वीडियो मामले पर सीएम रेवंत रेड्डी के वकील ने दिल्ली पुलिस के नोटिस का जवाब देते हुए कहा है कि आईएनसी तेलंगाना ट्विटर अकाउंट को वह संचालित नहीं करते हैं। रेवंत रेड्डी के वकील ने अपना जवाब दाखिल किया है और कहा है कि वह केवल दो ट्विटर अकाउंट (सीएमओ तेलंगाना और उनका निजी अकाउंट) का ही इस्तेमाल करते हैं। इस वजह से दिल्ली पुलिस द्वारा उठाया गया सवाल अप्रासंगिक है। उस वीडियो को अपलोड करने या साझा करने के लिए उनके अकाउंट का इस्तेमाल नहीं किया गया था।

दिल्ली पुलिस ने रेवंत के अलावा 16 लोगों को भेजा नोटिस

बता दें कि इस मामले में दिल्ली पुलिस ने रेवंत रेड्डी के अलावा 16 अन्य लोगों को भी नोटिस भेजा था। सूत्रों के मुताबिक, अगर किसी व्यक्ति को दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 160/91 के तहत नोटिस दिया जाता है, तो वह व्यक्ति या तो जांच अधिकारी के सामने उपस्थित हो सकता है या कानूनी प्रतिनिधि भेज सकता है।

गौरतलब है कि अमित शाह के भाषण का एक फेक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा था।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): कोविशील्ड का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। कोविशील्ड वैक्सीन को लेकर विशाल तिवारी नाम के एक शख्स ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है। विशाल तिवारी पेशे से वकील है। उन्होंने अपनी इस याचिका में एम्स डायरेक्टर की अध्यक्षता में कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभाव और जोखिम की जांच के लिए चिकित्सा विशेषज्ञ पैनल का गठन करने की मांग की गई है। साथ ही कहा गया है कि ये सब सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की निगरानी में किया जाना चाहिए।

याचिका में कई मांगे रखी गई हैं

इस याचिका में कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों और इसके जोखिम कारकों की जांच करने और वैक्सीन से हुए नुकसान का निर्धारण करने के लिए केंद्र को निर्देश जारी करने की भी मांग की गई है। इतना ही नहीं इस याचिका में ये भी साफ तौर पर कहा गया है कि जो लोग इस वैक्सीन को लगाने की वजह से अक्षम हो गए हैं या जिनकी मौत हो गई है, उन्हें मुआवजा देने का निर्देश दिया जाए।

नई दिल्ली: ब्रिटेन की फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका वैक्सीन ने उनकी कोरोना वैक्सीन से खतरनाक साइड इफेक्ट्स की बात को स्वीकार किया है। फार्मा कंपनी ने माना है कि उनकी कोविशील्ड वैक्सीन कई दुर्लभ मामलों में खून के थक्के जमने और प्लेटलेट काउंट कम होना का भी कारण हो सकती है। इसके साथ ही उन्होंने मरीजों की सेफ्टी को लेकर अपनी प्रतिबद्धता एक बार फिर से दोहराई।

बता दें कि भारत में सीरम इंस्टीट्यूट ने कोविशील्ड नाम से जो वैक्सीन बनाई थी, वह एस्ट्राजेनेका का ही फॉर्मूला है।

कोविशील्ड वैक्सीन के दुष्प्रभावों को कंपनी स्वीकारा

यह पहली बार नहीं है जब एस्ट्राजेनेका ने अपने कोरोना वैक्सीन से जुड़े दुष्प्रभावों को स्वीकार किया है। ब्रिटेन की एक अदालत में फार्मा कंपनी के खिलाफ 100 मिलियन पाउंड के क्लास एक्शन मुकदमे से जुड़े मामले में कंपनी ने यह स्वीकार किया कि वैक्सीन दुर्लभ मामलों में वास्तव में थ्रोम्बोसिस थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) की वजह बन सकती है।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शादी को लेकर अहम फैसला सुनाया है। अपने इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिंदू विवाह एक संस्कार है और यह "सॉन्ग-डांस", "वाइनिंग-डायनिंग" का आयोजन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि अपेक्षित सेरेमनी नहीं की गई है, तो हिंदू विवाह अमान्य है और पंजीकरण इस तरह के विवाह को वैध नहीं बताता है। कोर्ट ने एक फैसले में हिंदू मैंरिज एक्ट 1955 के तहत हिंदू विवाह की कानूनी आवश्यकता और पवित्रता को स्पष्ट किया है।

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि हिंदू विवाह को वैध होने के लिए, इसे सप्तपदी (पवित्र अग्नि के चारों ओर फेरे के सात चरण) जैसे उचित संस्कार और समारोहों के साथ किया जाना चाहिए और विवादों के मामले में इन समारोह का प्रमाण भी मिलता है। जस्टिस बी. नागरत्ना ने अपने फैसले में कहा, हिंदू विवाह एक संस्कार है, जिसे भारतीय समाज में एक महान मूल्य की संस्था के रूप में दर्जा दिया जाना चाहिए। इस वजह से हम युवा पुरुषों और महिलाओं से आग्रह करते हैं कि वो विवाह की संस्था में प्रवेश करने से पहले इसके बारे में गहराई से सोचें और भारतीय समाज में उक्त संस्था कितनी पवित्र है, इस पर विचार करें।

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