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(आशु सक्सेना): केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के स्टार प्रचारक और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र दमोदर मोदी ने आज़ादी के 75वें साल के अमृत उत्सव के दौरान उत्तर प्रदेश में पार्टी की सत्ता में वापसी करवाकर 2024 की तस्वीर को काफी हद तक साफ कर दिया है। पांच राज्यों के चुनाव नतीज़ों के बाद एक बात साफ हो गई है कि पीएम मोदी के पैतृक सूबे गुजरात में अब कोई चुनौती नहीं बची है। उस सूबे में पिछले चुनाव तक भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला रहा है। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की शर्मनाक हार के बाद तय हो गया है कि गुजरात में कांग्रेस पीएम मोदी को चुनौती नहीं दे सकती। यही वजह है कि पीएम मोदी ने चार राज्यों में जीत दर्ज करने के अगले ही दिन गुजरात में चुनाव प्रचार अभियान शुरू कर दिया है।

लेकिन पंजाब विधानसभा के चुनाव में आम आदमी पार्टी की एक तरफा अप्रत्याशित जीत ने इस संभावना को प्रबल कर दिया है कि गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीज़े भी देशवासियों को हतप्रभ कर सकते हैं। दरअसल, मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद दूसरी बार गुजरात विधानसभा चुनाव का सामना करेंगे।

(आशु सक्सेना): उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए आज अंतिम चरण का मतदान होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के अंतिम दो दिन अपने संसदीय क्षेत्र वाराणासी में डेरा डाला। आखिरी जनसभा को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास सिर्फ नारा नहीं, हमारा कमिटमेंट है। आज मतदान के बाद शाम 6 बजे एग्जिट पोल के अनुमान आने लगेंगे और 10 मार्च को चुनाव नतीज़ों के बाद यह तय हो जाएगा कि पीएम मोदी के डबल इंजन की सरकार के नारे को सफलता मिली या फिर मतदाता पच्छिम बंगाल की तर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी भाजपा विरोधी पार्टी को सत्ता की बागड़ोर सौंपकर पीएम मोदी को एक और शर्मनाक हार का सदमा देंगे।

पिछले छह चरण के मतदान में भाजपा के पक्ष में लहर नहीं मानी जा सकती है। पच्छिमी उत्तर प्रदेश में दो चरण के बाद भाजपा को उम्मीद थी कि वह अपने अति पिछड़ा वाले कार्ड पर गैर यादव पिछड़ों का बहुमत इस बार भी अपने साथ जोड़ लेगी। लेकिन सपा मुखिया और सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सूबे ​में गैर यादव पिछड़ों से जुड़े क्षेत्रीय दलों को अपने साथ जोड़कर मुकाबला भाजपा के लिए काफी कड़ा कर दिया है।

(मनोहर नायक): शर्मनाक! यह फ़ोटो अवश्यंभावी थी... नहीं आती तो इस भयावह नकारा और भयंकर पाखंडी सरकार और उसके अक्षरशः सुयोग्य सिरमौर के मिज़ाज और कामकाजी बनावट के सारे तर्क ध्वस्त हो जाते... इसलिए इस चित्र का आना अपरिहार्य था| मटियामेट के बाद नौटंकी, धत्कर्म के बाद ठिठाई, झूठ के बाद लीपापोती और अचूक निकम्मेपन के बाद सरासर बेहयाई इनके लिए सहज, सामान्य और तर्कसम्मत है | जिन्होंने इतना किया -धरा उन्हें कोसना और नाकुछ करके ख़ुद मियां मिट्ठू बनना इनकी फ़ितरत है | अपनी बनायी-बढ़ायी त्रासदियों से आंखें चुराना और सबका ध्यान बंटाने के लिए प्रायोजित आयोजन करना इनका कर्मकांड है, जो अंततः प्रहसन ही साबित होते हैं.... ज़रा गहराई से देखें तो इन अवसरों की इनकी नाटकीय गम्भीरता से हास्यास्पदता लहलौट फूटी पड़ती दिखती है|नोटबंदी हो या महामारी का कुप्रबंधन या युद्धग्रस्त यूक्रेन में संकटों में घिरे भारतीय छात्रों के प्रति फौरी रवैया, ये सब मामले ऐसे ही हैं| हालत जब बद से बदतर हो रही होती है तब एकमेव मुख्य अभिनेता के साथ बाक़ी सभी एक्स्ट्राओं वाला रंगमंडल और सहायक सर्कस सक्रिय हो जाता है|

(आशु सक्सेना): आज़ादी के अमृत उत्सव के दौरान उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के पांच चरण का मतदान हो चुका है। आज छठे चरण का मतदान होना है। पिछले पांच चरण के मतदान के दौरान राजनीतिक पंडित इस बात पर जोर देते रहे हैं कि पच्छिमी उत्तर प्रदेश में पहले दो दौर के मतदान के दौरान 'किसान आंदोलन' के चलते जाटों की नाराजगी भाजपा को इसलिए नुकसान पहुंचा रही है, क्योंकि यहां मुसलमानों ने इस क्षेत्र में एकजुट होकर 'गठबंधन' के पक्ष में मतदान किया है।

राजनीतिक पंडित यह ज्ञान भी दे रहे हैं कि तीसरे दौर से भाजपा की स्थिति में सुधार हुआ है और भाजपा बहुमत का जादुई आंकड़ा अपने सहयोगियों के समर्थन से हासिल कर लेगी। क्योंकि इसके बाद के चरणों में मुसलमान एकजुट होकर हिंदूवादी पार्टी भाजपा को शिकस्त देने की स्थिति में नहीं है, लिहाजा हिंदू मतों का विभाजन भाजपा को जीत दर्ज करवा देगा। 2014 के बाद संपन्न हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों पर निगाह डालें, तो इन चुनावों के नतीजों में यह साफ नज़र आता है कि जहां भी हिंदु मतों का बहुमत भाजपा के खिलाफ खड़ा हुआ, वहां भाजपा को शिकस्त का सामना करना पड़ा है।

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