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(धर्मपाल धनखड़): हरियाणा में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन के नेताओं की एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी बदस्तूर जारी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने दावा किया है कि यदि पार्टी कहे तो वे जेजेपी के सात विधायक लाकर दे सकते हैं। इस पर पूर्व सांसद अजय सिंह चौटाला ने चुनौती दी है कि वे जेजेपी का एक विधायक तो तोड़कर भाजपा में शामिल करवाकर तो दिखायें। माना जा रहा था कि मुख्यमंत्री मनोहरलाल के गठबंधन को लेकर दो दिन पहले दिये स्पष्टीकरण के बाद एक दूसरे की छीछालेदर करने वाली बयानबाजी का दौर थम जायेगा। लेकिन ऐसा हुआ नही।

मुख्यमंत्री ने कहा था कि गठबंधन सरकार सफलतापूर्वक काम कर रही हैं। चुनाव में किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने पर प्रदेश हित में गठबंधन किया गया था और यह जारी रहेगा। वहीं उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने गठबंधन को लेकर उठे विवाद का ठीकरा मीडिया पर फोड़ा। चौटाला ने कहा कि वो गठबंधन को मजबूत कर रहे हैं, लेकिन मीडिया लंबे समय से गठबंधन को तुड़वाने में लगा है।

(अरुण दीक्षित) मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव में सिर्फ कुछ महीने ही बचे हैं! सभी दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।चूंकि यह राज्य आज तक बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही झूलता रहा है इसलिए मुख्य मुकाबला इन्हीं दोनों में होना है।दोनों ही ओर से युद्ध स्तर पर तैयारियां की जा रही हैं।चतुरंगिनी सेनाएं मैदान में उतर चुकी हैं।दिनों की गिनती शुरू हो गई है।

सबसे मजे की बात यह है कि इस चुनाव में अभी तक वे मुद्दे गायब हैं जो किसी भी लोकतंत्र की रीढ़ कहे जाते हैं।सबसे चर्चित मुद्दा "विकास" लापता है।उसके साथ ही मूलभूत सुविधाओं का अपहरण हुआ सा लगता है।एक "धर्मनिरपेक्ष" राज्य में धर्म ने सबको पछाड़ दिया है।वह भी एक ही धर्म ने।उसकी ताकत इतनी ज्यादा है कि अन्य धर्म अपनी जान बचाते फिर रहे हैं।

सबसे गंभीर बात यह है कि खुद को धर्मनिरपेक्ष बताने वाली कांग्रेस वही सब करना चाह रही है जो बीजेपी कर रही है। अभी तक जो दिखाई पड़ रहा है उसमें सबसे अहम मुद्दा धर्म है। उसके बाद दूसरे नंबर पर खैरात है। विकास की बात कोई नही कर रहा है।

(धर्मपाल धनखड़): इन दिनों भारतीय जनता पार्टी में कुछ खलबली और बैचेनी नजर आ रही है। इस बैचेनी के कई कारण हैं। इनमें सबसे बड़ा कारण है कर्नाटक में पार्टी के ब्रांड मोदी और हिंदुत्व दोनों का विफल रहना। साथ ही कांग्रेस नेता राहुल गांधी की करोड़ों रुपए खर्च करके बनायी गयी 'पप्पू' की छवि का टूटना। ये छवि उनकी भारत जोड़ो यात्रा से ना केवल टूटी है, बल्कि वे एक समझदार और लोकप्रिय नेता के रूप में उभरे हैं।

हालांकि अब तक हुए ज्यादातर सर्वे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आयी है। लेकिन राहुल गांधी की लोकप्रियता तेज़ी से बढ़ी है। ऐसे में कांग्रेस और राहुल गांधी की लोकप्रियता बढ़ना निश्चित रूप से भाजपा के दिग्गजों के लिए परेशान करने वाली बात है।

भारतीय जनता पार्टी अब पूरी तरह से ब्रांड मोदी पर निर्भर होकर रह गयी है। यदि मोदी को माइनस कर दे भाजपा की हालत बेहद पतली है। आम लोगों से जब पत्रकार पूछते हैं कि किसको वोट करोगे, तो वे भाजपा का नहीं, केवल मोदी का नाम लेते हैं।

(धर्मपाल धनखड़): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नये संसद भवन का उद्घाटन 28 मई को करेंगे। ये एक ऐतिहासिक आयोजन होगा। 20 विपक्षी पार्टियों ने इस समारोह का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है। विपक्ष का कहना है कि संसद भवन का उद्घाटन देश के राष्ट्रपति को करना चाहिए। राष्ट्रपति हमारे संप्रभुता संपन्न लोकतांत्रिक गणराज्य का सर्वोच्च पद है। देश की तीनों सेनाओं का मुखिया हैं।

यहां ये बात भी उल्लेखनीय है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में विपक्ष भी उतना ही महत्वपूर्ण होता है, जितना सत्ता पक्ष। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बेहतर संतुलन से ही सरकार जनहित के निर्णय लेती है।

संवैधानिक संस्थाओं को दलीय राजनीति से परे रखा जाना चाहिए। इसलिए बेहतर होता कि संसद के नये भवन के उद्घाटन के ऐतिहासिक मौके पर पक्ष-प्रतिपक्ष दोनों मौजूद रहते! लेकिन इसके लिए परस्पर सहमति भी जरूरी है। जिसका आज‌ के दौर में नितांत अभाव है।

खैर, विपक्ष के बहिष्कार के बावजूद नये संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही करेंगे!

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