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नई दिल्ली: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिलक्यारा टनल हादसे को लेकर अदाणी ग्रुप ने इसके निर्माण कार्य में किसी भी तरह का लिंक होने की अफवाहों को खारिज किया है। अदाणी ग्रुप ने कहा कि इस टनल के निर्माण में ग्रुप या ग्रुप की कोई कंपनी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नहीं जुड़ी है। बता दें, दो हफ्ते पहले टनल का एक हिस्सा ढह गया था, जिसकी वजह से 41 मजदूर अंदर फंसे हुए हैं। इन मजदूरों को बाहर निकालने के रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है।

अदाणी ग्रुप ने सोमवार को आधिकारिक बयान जारी किया। अदाणी ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा कि टनल का निर्माण कर रही कंपनी में हमारी कोई हिस्सेदारी नहीं है। अदाणी ग्रुप के बयान में कहा गया, ''हम पूरी तरह स्पष्ट करते हैं कि अदाणी ग्रुप या उसकी किसी सहायक कंपनी टनल के निर्माण में किसी भी तरह प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ी हुई नहीं है। हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि टनल के निर्माण में शामिल कंपनी में हमारी कोई हिस्सेदारी नहीं है।"

तिरुवनंतपुरम: ईडी ने कंडाला सर्विस को-ऑपरेटिव बैंक में हुई धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कंडाला सर्विस को-ऑपरेटिव बैंक के पूर्व अध्यक्ष एन. भसुरंगन और उनके बेटे अखिलजीत जेबी को गिरफ्तार किया है। यह कार्रवाई पीएमएलए, 2002 के प्रावधानों के तहत की गई है। यह बैंक केरल के त्रिवेंद्रम में मारनल्लूर के कंडाला में स्थित है। अदालत ने गिरफ्तार के बाद दोनों के लिए 24 नवंबर 2011 तक ईडी की हिरासत मंजूर की।

बुधवार को शुरू हुआ सिलसिला गुरुवार को भी जारी रहा। ईडी ने यहां कट्टाकड़ा के पास कंडाला सर्विसेज कोऑपरेटिव बैंक और इसके पूर्व अध्यक्ष और स्थानीय सीपीआई नेता एन भासुरंगन के आवास सहित कई अन्य स्थानों पर छापेमारी की। जैसे ही छापेमारी जारी रही, स्थानीय सीपीआई नेता भासुरंगन को वाम दल की प्राथमिक सदस्यता से निष्कासित कर दिया गया। उनके निष्कासन की जानकारी पार्टी की तिरुवनंतपुरम जिला समिति के एक सदस्य ने मीडिया को दी। पार्टी की जिला समिति के सदस्य ने कहा कि सीपीआई ने पहले भी भासुरंगन के खिलाफ कार्रवाई की थी।

नई दिल्ली: हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़ी सुनवाई के मामले में सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि सेबी इस मामले में जांच के लिए और समय नहीं मांग रहा है। इससे जुड़े 24 मामले हैं। 24 मामलों में से 22 मामलों में जांच पूरी हो चुकी है।

बता दें कि इस हफ्ते की शुरुआत में अधिवक्ता विशाल तिवारी ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें अड़ानी-हिंडनबर्ग मामले में तय समय सीमा के भीतर अपनी जांच पूरी करने में विफल रहने के लिए सेबी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही का अनुरोध किया गया था। तिवारी ने अपनी याचिका में कहा कि सेबी ने दी गई समय सीमा भीतर अदालत के निर्देश का पालन नहीं किया और अंतिम निष्कर्ष या रिपोर्ट प्रस्तुत करने में विफल रहा।

तिवारी द्वारा दायर याचिका में कहा गया, ''रिट याचिका सिविल 162/2023 और अन्य संबंधित मामलों में 17-5-2023 के आदेश में इस न्यायालय द्वारा तय समयसीमा के उल्लंघन के लिए सेबी के खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू की जानी चाहिए।"

नई दिल्ली: कोविड संकट काल में पतंजलि आयुर्वेद के विज्ञापनों और उसके स्वामी बाबा रामदेव के बयानों पर आपत्ति जताने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है।

बाबा रामदेव के बयानों और विज्ञापनों में एलोपैथी और उसकी दवाओं और वैक्सीनेशन के विज्ञापनों के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्र की बेंच ने पतंजलि द्वारा एलोपैथ को लेकर भ्रामक दावे और विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि को फटकार लगाई है।

बेंच ने पतंजलि पर भविष्य में ऐसे विज्ञापनों और बयानों पर भारी जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है। जस्टिस अमानुल्ला ने कहा है कि भविष्य में ऐसा करने पर प्रति उत्पाद विज्ञापन पर एक करोड़ रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर अगले साल 5 फरवरी को सुनवाई करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने एलोपैथ की दवाओं और वैक्सीनेशन के खिलाफ पतंजलि द्वारा कोई भी भ्रामक विज्ञापन या गलत दावा न करने को कहा है।

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