नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने बुधवार को नई दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेस कर केंद्र सरकार के जाति जनगणना करने के फैसले की तारीफ की है। राहुल गांधी ने कहा कि, हम जाति जनगणना कराए जाने का समर्थन करते हैं। लेकिन सरकार हमें बताए कि जाति जनगणना कितने दिन में पूरा कराएगी। राहुल ने जनगणना के लिए बजट आवंटित करने की भी मांग की है।
राहुल गांधी ने कहा कि हमने संसद में कहा था कि हम जाति जनगणना करवाएंगे। हमने यह भी कहा था कि हम 50 फीसदी की सीमा को खत्म करेंगे, जो कृत्रिम दीवार है। नरेंद्र मोदी कहते थे कि सिर्फ चार जातियां (गरीब, मध्यम वर्ग, अमीर और बहुत अमीर), होती हैं। लेकिन इन चारों के भीतर भी कौन कहां खड़ा है, यह जानने के लिए जातिगत आंकड़े जरूरी हैं। जाति जनगणना पहला कदम है, लेकिन हमें इससे आगे भी बढ़ना होगा। पता नहीं क्या हुआ लेकिन अचानक 11 साल बाद जाति जनगणना की घोषणा कर दी गई। हम इसका पूरा समर्थन करते हैं लेकिन हम एक समयसीमा चाहते हैं। हम जानना चाहते हैं कि यह कब तक होगा। यह पहला कदम है।
राहुल गांधी ने कहा कि तेलंगाना जाति जनगणना में एक मॉडल बन गया है और यह एक खाका बन सकता है। हम जाति जनगणना की रूपरेखा तैयार करने में सरकार को अपना समर्थन देते हैं... दो उदाहरण हैं - बिहार और तेलंगाना और दोनों के बीच बहुत बड़ा अंतर है।
तेलंगाना मॉडल को अपनाने की दी सलाह
तेलंगाना में कराए गए जाति सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए राहुल ने कहा कि कांग्रेस की राज्य सरकार ने विशेषज्ञों की टीम बनाई है। बंद कमरे में बैठकर नौकरशाहों ने इसकी नीति नहीं बनाई। जनता के बीच जाकर पूरी प्रक्रिया पूरी की गई। राहुल गांधी ने जातीय जनगणना को सामाजिक न्याय की दिशा में पहला कदम करार दिया। उन्होंने कहा कि यह सर्वेक्षण सामाजिक और आर्थिक असमानताओं को समझने और नीतियां बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
जनगणना के बजट का आवंटन करे सरकार: राहुल
राहुल गांधी ने सरकार से जनगणना के पैसों के आवंटन की मांग करते हुए कहा कि इसके लिए बजट आवंटन किया जाना चाहिए और तारीख की घोषणा की जानी चाहिए। इसके साथ ही हम लोगों की जनगणना चाहते हैं, नौकरशाहों की नहीं। बंद कमरे में बैठकर जनगणना की रूपरेखा तैयार ना की जाए।
निजी शिक्षण संस्थानों में आरक्षण लागू हो
राहुल गांधी ने कहा कि सरकारी संस्थानों की तरह ही निजी संस्थानों में भी आरक्षण लागू होना चाहिए। सामाजिक न्याय केवल सरकारी नौकरियों तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि निजी क्षेत्र में भी समान अवसर सुनिश्चित किए जाने चाहिए।