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नई दिल्ली: पूर्व दूरसंचार मंत्री ए राजा ने गुरुवार को एक विशेष अदालत में कहा कि उन्होंने 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के लिए अपनाई गई प्रक्रियाओं के मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को कभी गुमराह नहीं किया। राजा ने सीबीआई के सिंह को गुमराह करने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने नवंबर, 2007 में तत्कालीन प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर जो बताया था, उन्होंने (राजा ने) वही किया। राजा के वकील मनु शर्मा ने विशेष सीबीआई जज ओ पी सैनी को बताया, ‘मैं अपने पत्रों में तत्कालीन प्रधानमंत्री को गुमराह नहीं कर रहा था। मैंने उनसे कहा था कि 25 सितंबर, 2007 तक आवेदन करने वालों को आवंटित करने के लिए पर्याप्त स्पेक्ट्रम मौजूद है। मैंने जो कहा, वह एक साल में पूरा किया। इससे पता चलता है कि मैंने उनसे झूठ नहीं बोला।’ मामले पर अंतिम बहस के दौरान शर्मा ने आरोप लगाया कि वह सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) थी जिसने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कहा था कि पर्याप्त स्पेक्ट्रम उपलब्ध नहीं है।

राजा द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री को लिखे पत्रों का हवाला देते हुए उनके वकील ने कहा कि राजा ने इस मुद्दे पर हो कुछ हो रहा था उसकी पूरी जानकारी मनमोहन सिंह को दी थी। सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया था कि 2जी स्पेक्ट्रम के 122 लाइसंसों के आवंटन में सरकारी खजाने को 30,984 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। उच्चतम न्यायालय ने 2 फरवरी, 2012 को इन लाइसेंसों को रद्द कर दिया था।

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