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नई दिल्ली : गायत्री परिवार के प्रमुख डॉ. प्रणव पंड्या अब राज्यसभा सांसद नहीं बनेंगे। प्रणव ने राज्यसभा की सदस्यता को नामंजूर कर दिया है। इस संबंध में उन्होंने कहा कि मैंने अंतरात्मा की आवाज सुनी। राज्यसभा में बहस का स्तर मेरे लायक नहीं है। पंड्या ने यह जानकारी शुक्रवार सुबह 10.00 बजे राष्ट्रपति भवन को भेजी। डॉ. पंड्या ने कहा कि सांसद बनना मेरे मौजूदा पद से छोटा है। हालांकि उनके मनोनयन के बाद मीडिया से जुड़ी चर्चित हस्तियों में से किसी एक को राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने की अटकलों पर पूर्ण विराम लग गया था। पंड्या का कहना है कि अखिल विश्व गायत्री परिवार के लाखों सदस्यों को उनके राज्यसभा सदस्य बनने से एतराज है इसलिए भी वह राज्यसभा की सदस्यता नहीं ले सकते। पंड्या ने बताया कि अभी तक उन्होंने शपथ नहीं ली थी, इसलिए यह फैसला आज ही ले लिया। उन्होंने कहा कि किसी अन्य योग्य व्यक्ति को यह पद मिलना चाहिए। गौरतलब है कि प्रणव पंड्या को मोदी सरकार ने मनोनीत किया था। प्रणव के मनोनयन पर सूत्रों का कहना था कि डॉ. पंड्या प्रधानमंत्री मोदी के बेहद करीबी हैं और उनका चयन पीएम मोदी की व्यक्तिगत पसंद थी।

ऐसा कहा जाता है कि प्रधानमंत्री के 11 सूत्रीय कार्यक्रम में डॉ. पंड्या की अहम भूमिका रही है। खास तौर से प्रधानमंत्री की ओर से छेड़ा गया स्वच्छता अभियान का सुझाव भी डॉ. पंड्या की ओर से आया था। पेशे से चिकित्सक प्रणव पंड्या श्रीराम शर्मा के करीब आने के बाद भारतीय संस्कृति को दुनिया में नया आयाम देने की मुहिम से जुड़े। इसके अलावा वर्तमान में डॉ. पंड्या हरिद्वार स्थित देव संस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति, अखंड ज्योति के संपादक ओर स्वामी विवेकानंद योगविद्या महापीठम के अध्यक्ष भी हैं। उन्हें वैज्ञानिक आध्यात्मिकता का मार्गदर्शक भी माना जाता है।

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