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नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) चुनाव को शुक्रवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया। चुनाव 25 अप्रैल को होने वाला था।

नामांकन वापस लेने की समय सीमा को कई बार बढ़ाए जाने के कारण पिछले दो दिनों में निर्वाचन समिति (ईसी) कार्यालय में हिंसा और तोड़फोड़ की लगातार घटनाओं के मद्देनजर चुनाव स्थगित किए गए हैं। निर्वाचन समिति ने सुरक्षा में गंभीर कमी तथा परिसर में शत्रुतापूर्ण माहौल का हवाला देते हुए चुनाव प्रक्रिया रोकने के निर्णय की घोषणा की।

निर्वाचन समिति ने एक बयान में कहा, ‘‘निर्वाचन समिति कार्यालय और इसके सदस्यों के खिलाफ हिंसा और तोड़फोड़ की हालिया घटनाओं के कारण चुनाव प्रक्रिया गंभीर रूप से बाधित हुई है। जब तक प्रशासन और छात्र संगठनों द्वारा ईसी के सदस्यों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर ली जाती तब तक अंतिम उम्मीदवार सूची जारी करने सहित पूरी प्रक्रिया को रोक दिया गया है।’’

चुनाव समिति का एलान ऐसे वक्त आया है जब स्कूल काउंसलर के पदों के लिए 250 नामांकन दाखिल किए जा चुके थे और सेंट्रल पैनल के पदों के लिए 165 नामांकन दाखिल किए गए थे। मतदान दो शिफ्टों में होना था - सुबह 9 बजे से दोपहर 1 बजे तक और दोपहर 2:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक - जबकि वोटों की गिनती उसी रात शुरु होनी थी। 28 अप्रैल तक नतीजे आने की उम्मीद थी।

सेंट्रल पैनल के 165 नामांकनों में से 48 अध्यक्ष पद के लिए, 41 उपाध्यक्ष पद के लिए, 42 महासचिव पद के लिए और 34 संयुक्त सचिव पद के लिए थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव समिति के एक सूत्र ने बताया कि पैनल को "बुधवार को नामांकन की अंतिम सूची साझा करनी थी, लेकिन प्रशासन की ओर से थोड़ी देरी हुई क्योंकि सूची को डीन ऑफ स्टूडेंट्स के कार्यालय में मंजूरी के लिए भेजा गया था और इसे वापस आने में कुछ समय लगा।" "इसके बाद हमें गुरुवार शाम को नामांकन वापस लेने की प्रक्रिया पूरी करनी थी, लेकिन छात्रों के एक समूह ने पैनल के कार्यालय की खिड़कियों को तोड़ दिया और विवाद हो गया। इसलिए हमने इसे शुक्रवार के लिए स्थगित कर दिया।

जेएनयू छात्र संघ चुनाव के लिए आइसा-डीएसएफ (ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन-डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन) गठबंधन ने गुरुवार को अपने उम्मीदवारों की घोषणा की थी। इनमें अध्यक्ष पद के लिए नीतीश, उपाध्यक्ष पद के लिए मनीषा, महासचिव पद के लिए मुन्तेहा और संयुक्त सचिव पद के लिए नरेश उम्मीदवार थे।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने भी अपनी सूची जारी की थी, जिसमें शिखा स्वराज (अध्यक्ष पद की उम्मीदवार), निट्टू गौतम (उपाध्यक्ष पद की उम्मीदवार), कुणाल राय महासचिव पद के लिए और वैभव मीना संयुक्त सचिव पद के लिए नामांकित हैं। एबीवीपी ने कहा था कि उसने 16 स्कूल काउंसलर और केंद्रीय पैनल में 42 पार्षद पदों के लिए उम्मीदवारों को नामित किया था, जिसमें महिला प्रतिनिधित्व को प्राथमिकता दी गई थी।

दोनों छात्र संगठनों ने चुनाव स्थगित किए जाने के कारण व्यवधान को लेकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए हैं। एसएफआई ने आरोप लगाया कि गुरुवार दोपहर को नामांकन वापसी की प्रक्रिया के दौरान "विद्यार्थी परिषद के एक दर्जन सदस्यों ने छात्रों के साथ दुर्व्यवहार किया और हंगामा किया", जिसके परिणामस्वरूप कुछ उम्मीदवार शाम 4:30 बजे की समय सीमा से पहले नामांकन वापस नहीं ले पाए। आइसा-डीएसएफ गठबंधन ने एबीवीपी सदस्यों पर चुनाव आयोग के कार्यालय में घुसने और चुनाव अधिकारियों को धमकाने का भी आरोप लगाया।

इस साल के चुनाव में वामपंथी समूहों के बीच पारंपरिक गठबंधन भी नहीं था। इस बार स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) आइसा के साथ गठबंधन में चुनाव नहीं लड़ रही थी। आइसा ने डीएसएफ के साथ गठबंधन किया है, लेकिन एसएफआई ने अपने केंद्रीय पैनल के उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है।

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