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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2002 के सनसनीखेज बिलकिस बानो मामले में एक आईपीएस अधिकारी की दोषसिद्धि पर रोक लगाने से मंगलवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि इस मामले की सुनवाई करने की कोई तात्कालिकता नहीं है क्योंकि दोषी अधिकारी पहले ही सजा काट चुका है। पीठ ने आईपीएस अधिकारी की याचिका को जुलाई के दूसरे सप्ताह के लिए सूचीबद्ध कर दिया। गुजरात में सेवाएं दे रहे आईपीएस अधिकारी आर एस भगोरा और चार अन्य पुलिसकर्मियों को निचली अदालत ने दोषमुक्त करार दिया था लेकिन हाल में बंबई हाईकोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिया था। भगोरा की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि यदि दोषसिद्धि पर रोक नहीं लगाई जाती है तो सेवा के नियमानुसार उन्हें सेवा से निलंबित कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अदालत को दोषसिद्धि पर रोक लगानी चाहिए। बंबई हाईकोर्ट ने चार मई को निचली अदालत के आदेश को पलट दिया था। निचली अदालत ने बिलकिस बानो सामूहिक बलात्कार मामले में भगोरा एवं चार अन्य को दोषमुक्त करार दिया था और 11 लोगों (एक दोषी की मौत हो चुकी है) को दोषी करार दिया था।
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अहमदाबाद: अहमदाबाद में फिर एक बार 500 और 1000 के पुराने नोटों के साथ दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनके पास से करीब 50 लाख रुपये के पुराने नोट जब्त किए गए हैं। पुलिस नोटों के स्रोत और उनको बदलवाने वाले के बारे में पता करने में जुटी है। अहमदाबाद रूरल पुलिस को जानकारी मिली थी कि कुछ लोग पुराने नोटों को गैरकानूनी रूप से बदलवाने का कारोबार कर रहे हैं। वे नोट बदलवाने के लिए आने वाले हैं। इस जानकारी के आधार पर अहमदाबाद रूरल पुलिस ने आरोपियों को पकड़ने की योजना बनाई। आज सुबह शहर के बाहरी हिस्से सनाथल सर्किल पर दो लोग कार में से दो बाक्स लेकर उतरे। पूछताछ करने पर उन्होंने संतोषजनक जवाब नहीं दिया। बाक्सों की जांच की गई तो उनमें करीब 50 लाख रुपये के पुराने नोट पाए गए। हालांकि पुलिस दोनों को पकड़ने में कामयाब रही, लेकिन पुलिस को देखकर कार का चालक भाग गया। हिरासत में लिए गए लोगों की पहचान शांतिभाई चूड़ासामा और हबीब समा के तौर पर की गई है। दोनों अहमदाबाद शहर के निवासी हैं। आरोपियों के पास मिले नोटों का कुल मूल्य 49.93 लाख रुपये है।
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अहमदाबाद: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपने गृह राज्य गुजरात की दो दिवसीय यात्रा से ठीक पहले पटेल आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल और उनके 50 समर्थकों ने भाजपा सरकार द्वारा अपने समुदाय के लोगों पर अत्याचार किए जाने का आरोप लगाते हुए अपना सिर मुंड़वाया और न्याय के लिए मार्च शुरू किया। हार्दिक और उनकी पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पास) के 50 सदस्यों ने रविवार सुबह लाठीडाड गांव में विरोध मार्च निकाला। उसके बाद वे यहां से तकरीबन 155 किलोमीटर दूर बोटाड जिले से न्याय यात्रा पर निकले ताकि आरक्षण के लिए ओबीसी श्रेणी में शामिल किए जाने समेत अपनी अन्य मांगों को रेखांकित कर सकें। हार्दिक ने संवाददाताओं से कहा कि पास के 50 सदस्यों के साथ मैंने इस सरकार द्वारा हमारे समुदाय के सदस्यों पर पिछले दो वर्षों में किए गए अत्याचार को उजागर करने के लिए अपना सिर मुंड़वाने का फैसला किया। अब हम न्याय मांगने के लिए न्याय यात्रा पर निकल रहे हैं। बोटाड से शुरू हुआ मार्च तकरीबन 50 गांवों से होकर गुजरेगा और पड़ोसी भावनगर शहर में खत्म होगा। कुछ दिन पहले हार्दिक ने गुजरात में फिर से आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू करने की घोषणा की थी और कहा था कि उनका मुख्य लक्ष्य आगामी विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ भाजपा को हराना है।
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अहमदाबाद: पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने शनिवार को कहा कि समुदाय के सदस्य आरक्षण मुद्दे के उपयुक्त समाधान के लिए चाहे भाजपा हो या कांग्रेस - किसी भी पार्टी से बातचीत करने को तैयार हैं। हार्दिक ने आज एक बयान में कहा, ‘आगामी दिनों में हम भाजपा या कांग्रेस किसी भी पार्टी के साथ चर्चा करने को तैयार हैं। समुदाय के हित में हम उचित फैसला करेंगे।’ उनके बयान के एक दिन पहले हार्दिक के नेतृत्व वाले संगठन पाटीदार अनामत आंदोलन समिति (पीएएएस) के कुछ सदस्यों ने गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी से उनके आवास पर मुलाकात की और पीएएएस की मुख्य मांगों के बारे में उनसे अपनी पार्टी का रूख स्पष्ट करने की मांग की थी।
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