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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) कानून, 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर गुरुवार को सुनवाई की। बुधवार को भी इस मामले पर सुनवाई हुई थी। सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र सरकार से 'वक्फ बाई यूजर' के मुद्दे पर 7 दिन में जवाब मांगा है। वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल कोई रोक नहीं लगाई है। केंद्र को जवाब दाखिल करने के लिए 7 दिन की मोहलत दी है। इस दौरान वक्फ बाइ यूजर में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा और वक्फ बोर्ड में नई नियुक्तियों पर रोक रहेगी। अदालत ने कहा है कि याचिकाकर्ता केंद्र के जवाब पर पांच दिन में अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं, जिसके बाद वह मामले को अंतरिम आदेश के लिए सूचीबद्ध करेगा। मामले में अगली सुनवाई 5 मई को होगी।

मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस केवी विश्वनाथन और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी और राजीव धवन जैसे सीनियर एडवोकेट पेश हुए, जबकि केंद्र की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रख रहे थे।

कानून पर रोक लगाना सख्ती: एसजी मेहता

एसजी तुषार मेहता ने सुनवाई की शुरुआत में कोर्ट से कहा कि वह संसद से पारित एक्ट पर स्थाई या अंतरिम रोक लगाने जा रहा है, जो बहुत रेयर है। उन्होंने इसे बेहद कठोर करार देते हुए कहा कि एक्ट के कुछ सेक्शन को देख कर रोक लगा देना सही नहीं होगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने लाखों लोगों से बात करके कानून बनाया है, जिसमें पता चला कि गांव के गांव पर वक्फ का दावा है। आम लोगों के हितों के बारे में सोचना भी जरूरी है इसलिए रोक लगाना सख्त बात होगी।

एक हफ्ते न हो वक्फ बोर्ड में कोई नियुक्ति, बोले सीजेआई

एसजी मेहता ने कोर्ट से जवाब दाखिल करने के लिए एक हफ्ते का समय मांगा। कोर्ट ने उन्हें मंजूरी देते हुए निर्देश दिया कि एक हफ्ते में वक्फ बोर्ड या काउंसिल में कोई नई नियुक्ति नहीं होगी। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि वक्फ घोषित संपत्ति और रजिस्टर्ड संपत्ति को पहले की तरह बने रहने दिया जाए, उसको डिनोटिफाई नहीं करना है। एक हफ्ते के लिए यही स्थिति रहेगी। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारों को भी इसका पालन करना होगा।

एसजी मेहता ने भरोसा दिलाया कि कोर्ट के निर्देश का पालन किया जाएगा और अगर राज्य कोई नियुक्ति वक्फ बोर्ड में करेगा तो उसको मान्यता नहीं दी जाएगी। कोर्ट ने कहा कि वह एसजी मेहता की इस बात को रिकॉर्ड पर ले रहे हैं। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों को शामिल किए जाने पर भी आपत्ति जताई गई है।

5 दिन में जवाब दाखिल करें, कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा

कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को भी सख्त निर्देश दिए हैं कि पांच दिन में उनको जवाब देना होगा और याचिकाओं की संख्या भी सीमित करने के लिए कहा गया। कोर्ट ने कहा कि जहां तक रिट याचिकाओं की बात है तो 5 पर ही सुनवाई होगी, 100-120 याचिकाओं को सुनना मुमकिन नहीं है।

5 याचिकाओं के अलावा बाकी को निस्तारित माना जाएगा, बोले सीजेआई

कोर्ट ने कहा कि सात दिन में केंद्र जवाब देगा, उसके बाद पांच दिन में याचिकाकर्ताओं को जवाब दाखिल करना होगा। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, 'मैं चाहता हूं कि याचिकाकर्ता पक्ष की तरफ से सिर्फ 5 याचिकाएं ही हों। सबको सुनना संभव नहीं है। आप 1 दिन में फैसला लेकर बताएं।' उन्होंने कहा कि 5 के अलावा बाकी याचिकाओं को आवेदन माना जाएगा या निस्तारित माना जाएगा। याचिकाओं की आगे की लिस्टिंग में किसी का नाम नहीं लिखा जाएगा।

1995 और 2013 के कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को अलग से सुना जाएगा

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता एक नोडल वकील भी तय करें, दूसरा पक्ष भी नोडल वकील तय करे। दोनों पक्ष जिरह करने वाले वकीलों की लिस्ट सौंपें। सीजेआई ने कहा कि साल 1995 और 2013 के कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को कॉज लिस्ट में अलग से लगाया जाएगा। यहां सुप्रीम कोर्ट उन याचिकाओं की बात कर रहा था, जो 1995 और 2013 एक्ट के खिलाफ दाखिल हुई हैं। कोर्ट ने केंद्र, राज्य सरकार और वक्फ बोर्ड से एक हफ्ते में जवाब देने को कहा है। अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले में 5 मई को सुनवाई करेगा।

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