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नई दिल्‍ली: भारत के चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के खिलाफ टिप्पणी से हंगामा मचाने के बाद भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को एस वाई कुरैशी पर निशाना साधते हुए कहा कि वह चुनाव आयुक्त नहीं बल्कि एक 'मुस्लिम आयुक्त' थे। इससे पहले कुरैशी ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम की आलोचना करते हुए इसे 'मुस्लिमों की भूमि हड़पने की सरकार की भयावह और बुरी योजना” बताया था। कुरैशी भारत के पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त हैं।

दुबे ने एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना पर तीखा हमला बोला था और भारत में 'धार्मिक युद्ध' के लिए उन्हें जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि इसके बाद भाजपा ने उनकी विवादास्पद टिप्पणी से खुद को अलग कर लिया।

कुरैशी ने 17 अप्रैल को ‘एक्स' पर एक पोस्ट में आरोप लगाया था, “वक्फ अधिनियम निस्संदेह मुस्लिमों की भूमि हड़पने के लिए सरकार की एक भयावह योजना है। मुझे यकीन है कि सुप्रीम कोर्ट इस पर सवाल उठाएगा। दुष्प्रचार मशीनरी ने गलत सूचना फैलाने का अपना काम बखूबी किया है।”

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस के बारे में सांसद निशिकांत दुबे के विवादित बयान को लेकर अवमानना की कार्यवाही की मांग शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के एक एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड ने अटॉर्नी जनरल को चिट्ठी लिख कर अवमानना के मुकदमे की अनुमति मांगी है।

अटॉर्नी जनरल के पास पहुंच गई चिट्ठी

दरअसल, कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट, 1971 की धारा 15(1)(बी) और अवमानना के मामलों के लिए सुप्रीम कोर्ट के 1975 में बने नियमों में से नियम 3(सी) के तहत अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति के बाद ही सुप्रीम कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही शुरू हो सकती है। ऐसे में वकील ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमनी को पत्र लिख कर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान की जानकारी दी है।

पत्र में बताया गया है कि दुबे ने सुप्रीम कोर्ट पर संसद के काम में अतिक्रमण का आरोप लगाया है। वह सुप्रीम कोर्ट पर अराजकता फैलाने का भी आरोप लगा रहे हैं।

नई दिल्ली: बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के सुप्रीम कोर्ट और सीजेआई को लेकर दिए गए बयान पर सियासी बवाल मचा हुआ है। निशिकांत दुबे ने शनिवार (19 अप्रैल) को कहा था कि अगर कानून सुप्रीम कोर्ट ही बनाएगी तो संसद को बंद कर देना चाहिए। इस पर विपक्षी दलों ने कहा कि यह न केवल न्यायपालिका की प्रतिष्ठा पर हमला है, बल्कि संसद और संविधान की आत्मा पर भी सवाल खड़े करता है।

ये एंटायर पोलिटिकल हिप्पोक्रेसी की मिसाल: कांग्रेस नेता

यह बयान आते ही सोशल मीडिया से लेकर सियासी गलियारों तक भारी प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं। विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोल दिया तो वहीं बीजेपी अध्यक्ष ने सामने आकर साफ किया कि बीजेपी का निशिकांत दुबे के बयान से कोई लेना-देना नहीं है। बीजेपी के पल्ला झाड़ने पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने इस मुद्दे पर पोस्ट करते हुए कहा कि भाजपा सांसदों की तरफ से भारत के मुख्य न्यायाधीश पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों से भाजपा के निवर्तमान अध्यक्ष की ओर से खुद को अलग करने की कोई विशेष अहमियत नहीं रह जाती।

नई दिल्ली: भाजपा सांसद निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा के न्यायपालिका पर दिए गए बयान को लेकर राजनीतिक हलकों में गर्माहट बढ़ गई है। अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपने सांसदों के बयान से किनारा कर लिया है। पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने उनके बयान को लेकर कहा है कि भारतीय जनता पार्टी ऐसे किसी बयान का समर्थन नहीं करती है।

उन्होंने कहा कि मैंने दोनों सांसदों को ऐसा कोई भी बयान न देने का निर्देश दिया है। ये उनका निजी बयान है, पार्टी का इससे कोई लेना-देना नहीं है। भारतीय जनता पार्टी ने हमेशा सुप्रीम कोर्ट का सम्मान किया है।

नड्डा बोले- पार्टी का इससे कोई वास्ता नहीं

नड्डा ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि भाजपा का सांसदों निशिकांत दुबे और दिनेश शर्मा की न्यायपालिका और मुख्य न्यायाधीश पर की गई टिप्पणियों से कोई लेना-देना नहीं है। यह उनकी निजी टिप्पणियां हैं, भाजपा न तो उनसे सहमत है और न ही कभी ऐसी टिप्पणियों का समर्थन करती है। भाजपा उन्हें पूरी तरह से खारिज करती है।

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