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जयपुर: बांग्लादेश की लेखिका और मानवाधिकार कार्यकर्ता तस्लीमा नसरीन ने सोमवार को समान नागरिक संहिता की वकालत करते हुए कहा कि लोगों को अपने अधिकार दिलाने के लिए यह कदम ‘तुरंत’ उठाने की जरूरत है। जयपुर साहित्य उत्सव के एक सत्र में लेखिका ने कहा कि इस्लामिक समाज को प्रगति करने के लिए आलोचनाओं के प्रति ज्यादा सहिष्णु होना चाहिए। कट्टरपंथियों के निशाने पर आने के बाद से वह 1994 से निर्वासन में रह रही हैं। उन्होंने कहा, ‘इस्लामिक समाज के लिए सहिष्णु बनना आवश्यक है और आलोचनाओं को स्वीकार किए बगैर प्रगति नहीं हो सकती। लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा के लिए समान नागरिक संहिता अत्यंत आवश्यक है।’ लेखिका ने धार्मिक कट्टरपंथियों की आलोचना करते हुए कहा कि वह ‘राष्ट्रवाद’ या ‘धार्मिक कट्टरता’ जैसे शब्दों पर विश्वास नहीं करतीं। उन्होंने कहा, ‘मैं राष्ट्रवाद, धार्मिक कट्टरपंथ में विश्वास नहीं करती। मैं एक विश्व में विश्वास करती हूं। मैं अधिकारों, स्वतंत्रता, मानवता और समानता में विश्वास करती हूं। जब तक इस्लाम आलोचनाओं को स्वीकार नहीं करता तब तक किसी भी इसलामिक देश को धर्मनिरपेक्ष नहीं माना जा सकता।

जब भी मैं आलोचना करती हूं, लोग मुझे मार डालना चाहते हैं।’

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