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नई दिल्ली: उत्तराखंड के जोशीमठ में भू-धंसाव से बुरी तरह प्रभावित होटलों को गिराने की कार्रवाई मंगलवार को नहीं हो पायी। स्थानीय लोगों और होटल मालिकों की तरफ से सरकार की इस कार्रवाई का लगातार विरोध किया जा रहा है। होटल संचालकों की तरफ से मुआवजे की मांग सरकार से की जा रही है। विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन ने फैसला किया है कि बुलडोजर का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। विध्वंस मैन्युअल रूप से किया जाएगा। जानकारी के अनुसार प्रशासन वन टाइम सेटलमेंट प्लान पर काम कर रही है। सरकार ने मकानों को गिराने के लिए उचित योजना बनाने के लिए सीबीआरआई की एक टीम बुलायी है। अब तक कुल 731 घरों में दरारें आ गई हैं।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने सोमवार को ‘माउंट व्यू' और ‘मालारी इन' होटलों को गिराने का फैसला किया था। जिनमें हाल में बड़ी दरार आ गयीं और दोनों एक-दूसरे की ओर झुक गये हैं। इससे आसपास की इमारतों को खतरा पैदा हो गया है। इलाके में अवरोधक लगा दिये गये हैं और इन होटल तथा आसपास के मकानों में बिजली आपूर्ति रोक दी गयी है, जिससे करीब 500 घर बिजली के अभाव का सामना कर रहे हैं।
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नई दिल्ली: उत्तराखंड का मशहूर कस्बा जोशीमठ लगातार धंसता जा रहा है, जिस वजह से यहां के ज्यादातर घर और इमारतों में दरारें आ गई है। ऐसे में अब दरार आ चुकी इन इमारतों और घरों को तोड़ने का फैसला लिया गया है। ताजा जानकारी के मुताबिक अधिकारियों ने कहा है कि उत्तराखंड के धंसते जोशीमठ में जिन इमारतों में दरारें आ गई हैं और बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गई हैं, उन्हें आज से ध्वस्त कर दिया जाएगा। जोशीमठ को तीन जोन में बांटा गया है, 'डेंजर', 'बफर' और 'कंप्लीटली सेफ।'
अधिकारियों ने बताया कि जोशीमठ में 600 से अधिक इमारतों में दरारें आ गई हैं। जो सबसे अधिक क्षतिग्रस्त हैं उन्हें ध्वस्त कर दिया जाएगा। जोशीमठ और आसपास के क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एनडीटीवी को बताया कि लगभग 4,000 लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में स्थानांतरित कर दिया गया है। उन्होंने कहा, "ऐसा लगता है कि जोशीमठ का 30 फीसदी हिस्सा प्रभावित है। एक विशेषज्ञ समिति द्वारा एक रिपोर्ट तैयार की जा रही है और इसे प्रधानमंत्री कार्यालय को सौंपा जाएगा।"
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नई दिल्ली: उत्तराखंड के जोशीमठ में जमीन धंसने की घटना को देखते हुए प्रशासन हरकत में है। सैटेलाइट सर्वेक्षण के बाद जोशीमठ से 600 परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट करवाया गया है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मीडिया को बताया कि हमारी जानकारी के अनुसार 600 घरों को खाली करा लिया गया है और लगभग 4,000 लोगों को सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया गया है। अधिकारी ने कहा कि सेना और आईटीबीपी प्रतिष्ठानों के निचले हिस्सों में भी दरारें देखी गईं, हालात को देखते हुए पर्याप्त सुरक्षा उपाय अपनाए जा रहे हैं।
चमोली जिले के डीएम हिमांशु खुराना ने बताया कि हालात की गंभीरता को देखते हुए इस धार्मिक शहर की सभी खतरनाक इमारतों पर लाल रंग से 'X' का चिन्ह अंकित किया जा रहा है। जिला प्रशासन की ओर से इन इमारतों को रहने के लिहाज से असुरक्षित घोषित किए जाने के बाद इसके निवासियों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया जा रहा है। चमोली के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट हिमांशु खुराना ने सोमवार को मीडिया से कहा, "आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत, हमने उन असुरक्षित क्षेत्रों को चिह्नित किया है जो रहने के लिहाज से अनुपयुक्त हैं।
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नई दिल्ली: उत्तराखंड के जोशीमठ में हर बीतते दिन के साथ संकट गहराता जा रहा है। शहर के एक बड़े हिस्से में स्थित कई घरों में अब दरारें बड़ी होती दिख रही हैं। राज्य सरकार ने एहतियातन कई परिवारों को शिफ्ट कर दिया है। मौजूदा स्थिति को लेकर राज्य सरकार ने एक बयान भी जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि हम हर स्थिति से निपटने को तैयार हैं। मामले की गंभीरता को समझते हुए बचाव दल को पहले से ही स्टैंडबाय में रखा गया है। साथ ही कहा गया है कि इस संकट को लेकर केंद्र सरकार भी विशेष योजना पर काम कर रही है।
उधर, राज्य सरकार से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को कहा कि जोशीमठ को एक भूस्खलन-धंसाव क्षेत्र घोषित किया गया है और इस 'धंसता शहर' में क्षतिग्रस्त घरों में रहने वाले 60 से अधिक परिवारों को अस्थायी राहत केंद्रों में ले जाया गया है। कम से कम 90 और परिवारों को निकाला जाना है। गढ़वाल के आयुक्त सुशील कुमार ने कहा कि स्थानीय प्रशासन ने शहर में चार-पांच स्थानों पर राहत केंद्र स्थापित किए हैं। इस बीच, चमोली के डीएम ने नुकसान का आकलन करने के लिए घर-घर जाकर लोगों से राहत केंद्रों में जाने की अपील की।
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