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वाशिंगटन: फेसबुक बोर्ड के सदस्य मार्क एंड्रेसन को हाल ही में किए गए अपने एक ट्वीट के चलते अच्छी खासी नाराजगी का सामना करना पड़ा। उनके द्वारा किए गए ट्वीट से ऐसा लगा रहा था जैसे कि वह भारत को उपनिवेशवाद स्वीकार लेने की सलाह दे रहे हों। बाद में उन्होंने यह ट्वीट डिलीट कर दिया। जाने माने पूंजीपित मार्क भारत के फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग द्वारा जोर शोर से चलाए जा रहे फ्री बेसिक्स इंटरनेट स्कीम को स्वीकार न करने के फैसले के बाद यह प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट किया था- दशकों तक गैर उपनिवेशवाद के चलते भारतीय लोगों को आर्थिक रूप से काफी क्षति हुई। अब रोकने की क्या जरूरत? उनके इस ट्वीट के बाद खूब हंगामा हो गया।

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय ने आगामी बजट (2016-17) को लेकर ट्विटर का इस्तेमाल करने वालों से राय मांगी है। वित्त मंत्रालय ने लोगों से पूछा है कि आगामी बजट - किसान, मध्यम वर्ग, महिला या वंचित तबका- में से किस पर केंद्रित होना चाहिए। अपनी तरह की इस अनूठी पहल में ट्विटर का इस्तेमाल करने वाले लोग मतदान कर सकते हैं। लोग अगले छह दिन तक वित्त मंत्रालय के आधिकारिक ट्विटर एकाउंट में उक्त मतदान में भाग ले सकते हैं। मंत्रालय इस बारे में भी लोगों की राय जानना चाहता है कि आगामी बजट में कृषि, उद्योग या सेवा में से किस क्षेत्र को प्राथमिकता दी जाए।

कैनबरा: ऑस्ट्रेलिया ने अडाणी समूह की क्वींसलैंड स्थित 16.5 अरब डॉलर की कारमाइकेल कोयला खान एवं रेल परियोजना का समर्थन की बात कही है । यह बात ऑस्ट्रेलिया के संसाधन एवं उर्जा मंत्री जोश फ्राइडेनबर्ग ने कही। फ्राइडेनबर्ग ने कहा कि राज्य सरकार और संघीय विपक्ष भी इस परियोजना के पक्ष में है जिससे अरबों डॉलर का निवेश आने की उम्मीद है। बिजली मंत्री पीयूष गोयल के साथ बैठक के बाद फ्राइडेनबर्ग ने संवाददाजाओं से कहा, ‘राष्ट्रमंडल से जुड़ी सभी मंजूरियां दी जा चुकीं हैं। कुछ मंजूरियां मिलनी बाकी हैं जिनकी प्रतीक्षा है। राज्य सरकार, संघीय सरकार के साथ-साथ संघीय विपक्ष भी कारमाइकेल परियोजना के समर्थन में हैं।’ कारमाइकेल कोयला, रेलवे और बंदरगाह परियोजना में ऑस्ट्रेलिया के नॉर्थ गैलिली बेसिन में यहां की सबसे बड़ी कोयला खान होगी।

नई दिल्ली: कारोबार में मंदी के चलते उद्योग जगत निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए तैयार नहीं है। एसोचैम का कहना है कि कारोबार में मंदी है, लिहाजा आरक्षण के बारे में सोचना भी मुमकिन नहीं है। गौरतलब है कि राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने इसी हफ़्ते प्राइवेट सेक्टर में पिछड़ें वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण की सिफारिश की है। भारतीय उद्योगों के सबसे बड़े संगठन एसोचैम का कहना है, वो नया रोज़गार देने की हालत में नहीं है। इसलिए 27% रिजर्वेशन की बात ही सोचना बेकार है। एसोचैम के सेक्रेटरी जनरल डी एस रावत ने न्यूज़ चैनल से कहा, "इंडस्ट्री के लिए मौजूदा आर्थिक परिस्थिति में आरक्षण देने के बारे में सोचना भी संभव नहीं है। हम अभी रोज़गार पैदा करने की स्थिति में नहीं हैं।'' सोमवार को पिछड़ा वर्ग आयोग ने सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी है जिसमें निजी क्षेत्र में भी आरक्षण के दायरे को फैलाने का सुझाव है। आयोग ने 27 फ़ीसदी आरक्षण की सिफ़ारिश की है।

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