नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): राज्यसभा में 'लोकतंत्र को कुचलना' आम बात हो गई है, इस पर जोर देते हुए सदन में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने गुरुवार को सभापति जगदीप धनखड़ पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया और उनकी निष्पक्षता पर सवाल उठाया। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि राज्यसभा के सभापति ने 'लगातार हंगामा, प्रमाणीकरण पर अनुचित जोर, अनुचित टिप्पणियां और चर्चा के लिए सार्वजनिक महत्व के मुद्दों को सूचीबद्ध करने से इनकार' के माध्यम से विपक्षी सदस्यों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लगातार दबाया है।
विपक्ष ने सभापति के खिलाफ पेश किया अविश्वास प्रस्ताव
उपराष्ट्रपति की उनकी तीखी आलोचना कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी इंडिया ब्लॉक दलों की तरफ से जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए राज्यसभा में एक नोटिस प्रस्तुत करने के कुछ दिनों बाद आई है, जिसमें उन पर 'अत्यधिक पक्षपातपूर्ण' होने का आरोप लगाया गया है। विपक्ष की ओर से, कांग्रेस नेता जयराम रमेश और नसीर हुसैन ने 60 विपक्षी सांसदों की तरफ से हस्ताक्षरित नोटिस राज्यसभा महासचिव को सौंपा है।
विपक्ष की ओर से इस नोटिस पर कांग्रेस, राजद, टीएमसी, सीपीआई, सीपीआई-एम, जेएमएम, आप, डीएमके, समाजवादी पार्टी समेत 60 विपक्षी सांसदों ने हस्ताक्षर किये हैं। जिसे मंगलवार को राज्यसभा महासचिव पीसी मोदी को सौंपा गया है।
'विपक्ष के 'बोलने के अधिकार' पर रोक लगाना आम बात'
वहीं गुरुवार को एक्स पर एक पोस्ट में खरगे ने आरोप लगाया कि विपक्ष के 'बोलने के अधिकार' और 'राय की अभिव्यक्ति' पर रोक लगाना राज्यसभा में आम बात हो गई है। कांग्रेस प्रमुख ने कहा, 'राज्यसभा में 'लोकतंत्र' को कुचलना और 'सत्य को दबाना' निरंकुश मानदंड बन गया है...राज्यसभा में स्थापित 'संसदीय प्रथाओं' पर हमले को बढ़ावा दिया जाता है और 'नैतिक आचरण' को खत्म कर दिया जाता है...संविधान को बनाए रखने, लोकतंत्र के पवित्र कक्ष की रक्षा करने, संसदीय प्रथाओं की रक्षा करने का हमारा संकल्प इस क्रूर, घातक और आक्रामक हमले के सामने और भी मजबूत और दृढ़ हो जाता है।'
उन्होंने कहा, 'हम झुकेंगे नहीं। हम हर साथी नागरिक और हमारे पवित्र संविधान के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा में मजबूती से खड़े रहेंगे।' खरगे ने कहा कि उन्हें सदन में बोलने की अनुमति नहीं दी गई और वह भारत की जनता के सामने 10 बिंदु रखना चाहते हैं कि विपक्ष सभापति के आचरण और राज्यसभा के कामकाज में 'अविश्वास' क्यों व्यक्त करता है।
सभापति में निहित शक्तियों का दुरुपयोग हुआ: खड़गे
उन्होंने आरोप लगाया कि 'राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के आचरण ने उनकी निष्पक्षता पर गंभीर चिंताएं पैदा की हैं, विपक्ष की लगातार आलोचना की है और सभापति में निहित शक्तियों का दुरुपयोग किया है।' उन्होंने कहा कि कई मौकों पर, सभापति ने सदस्यों को सामूहिक रूप से निलंबित करके और इन निलंबनों को एक सत्र से आगे बढ़ाकर अपने अधिकार का दुरुपयोग किया है, जो एक चिंताजनक मिसाल कायम करता है।
सरकार के प्रति प्रदर्शित करते हैं 'अनावश्यक चाटुकारिता': खड़गे
खड़गे ने कहा, उन्होंने अपने राजनीतिक विचारक - आरएसएस की प्रशंसा करने के लिए कुर्सी की पवित्रता का दुरुपयोग किया है, और कहा है कि 'मैं आरएसएस का एकलव्य हूं', जो संविधान की भावना के अनुरूप नहीं है। उन्होंने दावा किया कि सभापति सदन के भीतर और बाहर भी सरकार के प्रति 'अनावश्यक चाटुकारिता' प्रदर्शित करते हैं। उन्होंने कहा, कई अवसरों पर, उन्होंने प्रधानमंत्री की तुलना महात्मा गांधी से की है और विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री से जवाबदेही मांगने को गलत ठहराया है।