नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): लोकसभा में संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर एक बार फिर संसद में संविधान पर चर्चा हो रही है। लोकसभा में इस चर्चा में समाजवादी पार्टी प्रमुख, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कन्नौज के सांसद अखिलेश यादव ने शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर चर्चा में हिस्सा लिया। इस दौरान अखिलेश ने कहा कि संंविधान निर्माताओं को मेरा नमन् है, जिनकी वजह से देश एकजुट है।
अखिलेश यादव ने कहा कि लोकसभा चुनाव से पहले 400 पार का नारा देकर संविधान बदलने की चर्चा करवाई जा रही थी। लेकिन देश की जागरूक जनता ने इनके खिलाफ जनादेश देकर संविधान बदलने के सत्तापक्ष के सपने को तोड़ दिया। उन्होंने हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा की नौ सीटों पर हुए उपचुनाव का ज़िक्र करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार ने लोगों को डरा धमकाकर उनको उनके मताधिकार से वंचित किया। मतदान के दौरान पुलिस अधिकारियों ने रिवालवर दिखाकर डराया धमकाया, जिसके वीडियों ना केवल देशवासियों ने देखे बल्कि विदेशों में भी यह सरकारी कारनामा देखा गया।
अखिलेश यादव ने स्वतंत्रता आंदोलन का ज़िक्र करते हुए कहा कि उन आंदोलन में हर धर्म और जाति के लोगों का संघर्ष था। उन्होंने कहा कि आज़ादी की लड़ाई में नेता जी 'करो या मरो' का नारा दिया। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस दावे कुचले वर्ग को अपने हक के लिए लड़ने की आवाज़ दी। इस विविधता में एकता, अखंडता और भाई चारा ही देश की पहचान है। जिसे मौजूदा सत्ता खत्म कर देना चाहती है। लोकनायक जयप्रकाश जी ने संपुण क्रांति नारा दिया था... लेकिन अब देश को एक बार 'करो या मरो' आंदोलन की ज़रूरत है।
सपा प्रमुख ने देश की सीमाओं का ज़िक्र करते हुए कहा कि अरूणाचंल प्रदेश के हमारे मंत्री जानते है कि उनके बगल में पड़ौसी देश ने कितने गॉंव बसा लिए हैं। उन्होंने कहा कि लद्दाख में हम पिछले दिनों अपनी सीमा से पीछे हटे हैं, जबकि पड़ौसी देश फिलहाल सिर्फ हमारी ही सीमा से पीछे हटा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अरूणाचल से लद्दाख तक हमारी सीमा सिकुडने लगी है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसे ही हालात बने रहे, तो एक दिन 'मान सरोवर' और 'कैलाश' जाने से भी वह देश हमें रोकने लगेगा।
अखिलेश यादव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद कि उसने अब कुछ दिन के लिए हर मसजिद के नीचे मंदिर के लिए खुदाई पर रोक लगा दी है। उन्होंने संविधान निर्माताओं का नमन करते हुए कहा कि उन्होंने बाबा साहब भीमराव अंबेड़कर को श्रद्धांजलि के साथ उन सभी लोगों को श्रद्धांजलि जिनकी प्रबुद्ध बुद्धि का परिणाम हमारा संविधान है। उन्होंने चर्चा की शुरूआत करते हुए संसद पर आतंकी हमले की बरसी के मौके पर उन बहादुर सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की, जो उस हमले के दौरान शहीद हुए थे।
लोकसभा में अखिलेश ने अपने सियासी समीकरण पीडीए का जिक्र करते हुए कहा कि हमें विविधता में एकता पर गर्व है। हमारे जैसे लोग और कमजोर लोग और खासकर पीडीए के लोगों के लिए संविधान जन्म मरण का विषय है। सपा प्रमुख ने कहा कि ये संविधान वंचित लोगों को अधिकार दिलाने के लिए है। संविधान देश की प्राण वायु है। संविधान की प्रस्तावना संविधान का निचोड़ हैं।
सपा प्रमुख ने कहा कि सीमाओं की रक्षा करना हमारा प्रथम कर्तव्य है। जिस देश की सीमाओं की सुरक्षा में जहां पर समय समय पर सेंध लगती हो और हमारे माननयी मंत्री बेहतर जानते हैं कि कई जगहों पर सीमाएं सिकुड़ रही हैं।
'किसी को भी बंद कर दो...'
सपा सांसद ने कहा कि हमारे पड़ोस में कितने गांव बस गए हैं। न जाने कितना वहां गांवों की तरह घर बसा दिए गए हैं। लद्दाख की तरफ दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटी हैं। हम अपनी सीमा में पीछे हटे, चीन हमारी सीमा से आंशिक रूप से पीछे हटा है।
सांसद ने कहा कि देश में अमीर और गरीब के बीच गहरी खाई है। देश में अभिव्यक्ति की आजादी की चर्चा करते हुए अखिलेश ने कहा कि आर्टिकल 14- कानून के समक्ष समानता- हो क्या रहा है? एक ही कानून किसी के लिए अलग, किसी के लिए अलग। अगर सत्ता पक्ष का व्यक्ति गेरुआ गमछा पहनकर गाली दे देता तो जी हुजूरी, अगर दूसरे पक्ष का व्यक्ति न्याय मांगने जाए तो उसको लाठी? ईडी का तो ऐसा कानून बना दिया गया है कि किसी को भी बंद कर दो।
अखिलेश यादव ने पूछा- फिर 82 करोड़ लोग सरकारी अन्न क्यों?
अखिलेश यादव ने लोकसभा में कहा, 'हमारे देश की अर्थव्यवस्था तेजी से ऊपर जा रही है, लेकिन दूसरी ओर 82 करोड़ लोग सरकारी अन्न पर जिंदा हैं। देश में 2 तिहाई हिस्से पर कुछ परिवारों का हिस्सा है। ऐसे में सरकार को ये बताया चाहिए कि देश के निचले तबगे की प्रतिव्यक्ति आय क्या है? सरकार अगर ये आंकड़े जारी कर दे तो स्थिति साफ हो जाएगी।'
संविधान समय-समय पर हमारी ढाल बनता है- अखिलेश यादव
संसद में संविधान पर चर्चा के दौरान समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने कहा, 'हमें एक महान संविधान मिला है। संविधान ने विभिन्न लोगों को एकजुट रहा है। बाबा साहेब अंबेडकर ने कहा था कि संविधान की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि हम इसका कैसे पालन करते हैं। संविधान समय-समय पर हमारी ढाल बनता है, हमारी सुरक्षा करता है।'
इससे पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संविधान पर बहस शुरू करते हुए कहा कि ऐसा माहौल बनाया जा रहा जैसे संविधान एक पार्टी की देन है। संविधान ने प्रजा को नागरिक बनाया। इस दौरान राजनाथ सिंह ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी और वीर सावरकर का जिक्र किया, जिस पर विपक्ष के सांसदों ने हंगामा किया।
इसके बाद केरल के वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने संसद में संविधान पर चर्चा में कहा, 'हमारे संविधान में संवाद, चर्चा की परंपरा रही है। इंसाफ, उम्मीद की ज्योत है संविधान. संविधान न्याय की गांरटी है। स्वतंत्रता आंदोलन से निकली आवाज है संविधान।'
सदन में सबसे पहले 13 दिसंबर को हुए संसद पर आतंकी हमले को नाकाम करने वाले शहीदों को श्रद्धांजलि दी गई। संविधान के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर लोकसभा में शुक्रवार को दो दिवसीय बहस शुरू हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को बहस का जवाब देने वाले हैं।
भारत के संविधान की 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा पर इस दौरान चर्चा जारी है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह संविधान पर बहस की शुरुआत की। भाजपा और कांग्रेस ने अपने सभी सदस्यों को 13-14 दिसंबर को सदन में उपस्थित रहने के लिए तीन लाइन का व्हिप जारी किया है। प्रश्नकाल के तुरंत बाद चर्चा शुरू हुई है, जो सदन के एजेंडे में भी सूचीबद्ध है। संसद पर हमले की आज बरसी भी है।
लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने 26 नवंबर को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर मांग की थी कि संविधान की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर संसद में संविधान पर चर्चा होनी चाहिए।