नई दिल्ली: हैदराबाद एनकाउंटर मामले की जांच कर रहे न्यायिक आयोग ने चारों आरोपियों के पुलिस एनकाउंटर को फर्जी बताया। आयोग ने इसके साथ ही 10 पुलिसवालों पर हत्या का मामला चलाने की सिफारिश की है। सुप्रीम कोर्ट की ओर से नियुक्त जस्टिस सिरपुरकर आयोग की रिपोर्ट में यह सिफारिश की गई है। आयोग ने कहा है कि पुलिस का ये कहना कि आरोपी ने पिस्तौल छीन ली और फरार होने की कोशिश की, इस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। ये दलीलें सबूत के आधार पर नहीं हैं। जस्टिस वीएस सिरपुरकर आयोग ने अपनी रिपोर्ट में मुठभेड़ पर कई सवाल उठाए हैं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मुठभेड़ में मारे गए चार आरोपियों में से तीन नाबालिग थे।
आयोग ने रिपोर्ट में लिखा है कि अभियुक्तों पर जान बूझ कर इस तरह गोलियां चलाई हैं ताकि वो मर जाएं जबकि शाइक लाल मधार, मोहम्मद सिराजुद्दीन और कोचेरला रवि समेत दस पुलिसवालों पर हत्या यानी 302के तहत ट्रायल होना चाहिए।
गौरतलब है कि इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने आज साफ कहा था कि हैदराबाद एनकाउंटर मामले में न्यायिक जांच की रिपोर्ट सार्वजनिक होगी। कोर्ट ने तेलंगाना सरकार की रिपोर्ट सीलबंद करने की मांग ठुकराई और मामले को तेलंगाना हाईकोर्ट को वापस भेज दिया है। सीजेआई एनवी रमना ने कहा कि जांच रिपोर्ट की कॉपी याचिकाकर्ताओं के साथ साझा की जाए। गोपनीय रखने के लिए कुछ भी नहीं है। आयोग ने किसी को दोषी पाया है। अब राज्य को कदम उठाना है. हम मामले को हाईकोर्ट भेजते हैं। सारा रिकॉर्ड हाईकोर्ट भेजा जाए और हाईकोर्ट रिपोर्ट पर गौर करे. यह एक सार्वजनिक जांच है। रिपोर्ट की सामग्री का खुलासा किया जाना चाहिए। एक बार रिपोर्ट आ गई तो इसका खुलासा किया जाना चाहिए। जब तेलंगाना सरकार के वकील ने कहा कि अदालत ने अतीत में रिपोर्टों को सील करने की अनुमति दी है और ये रिपोर्ट सामने आई तो न्याय प्रशासन पर असर पड़ेगा तो सीजेआई ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में, अदालत ने ऐसा किया है। यह एक मुठभेड़ का मामला है। अगर रिपोर्ट का खुलासा नहीं किया जाएगा तो न्यायिक जांच की जरूरत क्या है।
यह है मामला:
27 नवंबर 2019 को एक महिला पशु चिकित्सक का अपहरण करके कथित चार बदमाशों ने उसका यौन उत्पीड़न किया था। बाद में महिला डॉक्टर की हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने बताया था कि था कि आरोपियों ने बाद में महिला का शव जला दिया था। इस घटना को लेकर लोगों में भारी आक्रोश था। बाद में चारों आरोपी हैदराबाद के नजदीक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 44 पर एक कथित मुठभेड़ में मार गिराए गए थे। पुलिस का दावा है कि इसी राजमार्ग पर 27 वर्षीय पशु चिकित्सक का जला हुआ शव पाया गया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट में दायर दो अलग-अलग याचिकाओं में दावा किया गया कि कथित मुठभेड़ फर्जी थी और घटना में शामिल पुलिस अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज होनी चाहिए।