ताज़ा खबरें
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 14 संवैधानिक प्रश्‍नों पर सुप्रीम कोर्ट से राय मांगी
जम्मू-कश्मीर के त्राल में एनकाउंटर, सुरक्षाबलों ने एक आतंकी किया ढेर

श्रीनगर: नेशनल कांफ्रेंस उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्य मंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि तालिबान आतंकी संगठन है या नहीं केंद्र सरकार को इस पर स्थिति साफ करनी चाहिए। अगर वह आतंकी संगठन नहीं है तो संयुक्त राष्ट्र में उसे आतंकी संगठन की सूची से बाहर करना चाहिए। उसके बैंक खाते बहाल करके मान्यता देने पर काम करना चाहिए। अफगानिस्तान में वर्तमान हालात का जम्मू-कश्मीर पर किस तरह से असर पड़ेगा इस सवाल का जवाब केंद्र सरकार के पास होना चाहिए। वह बुधवार को यहां संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे। 

उमर ने पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती पर कोई टिप्पणी करने से मना करते हुए कहा कि पीपुल्स कान्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद लोन को पीएजीडी पर सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने जिस तरह से बहाना बनाकर पीएजीडी को छोड़ा, वह जगजाहिर है। उनकी पार्टी के लोग ही चुनाव में उनके खिलाफ उतरे।

आयोग तय करे, हम विस चुनाव के लिए तैयार
विधानसभा चुनावों को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में उमर ने कहा कि फैसला चुनाव आयोग को करना है।

वर्ष 2019 में जब विधानसभा भंग हुई थी हम तब से चुनाव के लिए तैयार हैं। लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने आश्वासन दिया था कि जम्मू कश्मीर को जल्द पूर्ण राज्य का दर्जा वापस दे देंगे। केंद्र को पहले पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करना चाहिए उसके बाद चुनाव करवाने चाहिए। अनुच्छेद 370 की बहाली को लेकर नेकां सर्वोच्च न्यायालय में अपनी लड़ाई जारी रखेगी। सरकार ने डीडीसी के चुनाव करवाए लेकिन विकास को लेकर कोई भी अध्यक्ष संतोषजनक नहीं है। विधानसभा चुनाव में भाजपा के 50प्लस सीटों के दावे पर उमर ने कहा कि वह पिछले चुनाव में अपने 45 प्लस के लक्ष्य को हासिल नहीं कर पाए थे तो इस बार कैसे हासिल करेंगे। 

370 पर बयान के लिए भाजपा माफी मांगे
अनुच्छेद 370 की हड्डियों को गंगा में विसर्जित कर देने के भाजपा प्रदेशाध्यक्ष रवींद्र रैना के बयान पर टिप्पणी करते हुए उमर ने कहा कि उनके मुंह से ऐसे बोल शोभा नहीं देते हैं। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। पूरे देश ने देखा है कि भाजपा ने कोविड महामारी के दौरान देशवासियों को क्या दिया। इसी गंगा के किनारे मजबूर लोगों को अपनों को दफनाना पड़ा। 

दरबार मूव बंद होने से जम्मू के कारोबारियों को नुकसान
उमर ने कहा कि देश में अर्थव्यवस्था मजबूत हो हम इसका समर्थन करते हैं, लेकिन निजीकरण और मुद्रीकरण जैसे मामलों पर देशवासियों के हितों और अधिकारों को सुरक्षित रखना चाहिए। अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद जम्मू कश्मीर को कोई फायदा नहीं मिला है। बेरोजगारी चरम पर है। जो लोग कमा रहे थे उनकी कमाई भी खत्म हुई है। दरबार मूव की प्रक्रिया को बंद करने से खासतौर पर जम्मू के कारोबारियों को आर्थिक नुकसान हुआ है।

 

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख