जम्मू: कश्मीर में सेना ने एलओसी पर उड़ी के पास रामपुर सेक्टर में तीन आतंकियों को ढेर कर दिया है। आतंकवादियों का एक समूह पीओजेके(पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर) से भारतीय सीमा में घुसा था। जिसकी भनक लगते ही सतर्क जवानों ने ऑपरेशन शुरू किया, और आतंकियों को मार गिराने में सफलता पाई। मारे गए आतंकियों के पास से पांच एके-47 राइफल, आठ पिस्टल और 70 ग्रेनेड बरामद किए गए हैं।
चिनार कोर कमांडर, डीपी पांडेय ने बताया कि गुरुवार तड़के रामपुर सेक्टर के हाथलंगा जंगल में आतंकी गतिविधि देखी गई। इसके बाद शुरू किए गए ऑपरेशन में तीन आतंकवादियों को मार गिराने में सफलता मिली। इससे पहले आतंकियों की ओर से 18 सितंबर को भी ऐसा ही प्रयास किया गया था, जिसे विफल कर दिया गया था। बर्फबारी से पहले आतंकियों को घाटी में घुसपैठ कराने की साजिशें रची जा रही हैं। पाकिस्तान में स्थित लांच पैड के बारे में हमारे पास विश्वसनीय इनपुट हैं।
कश्मीर जोन के आईजी विजय कुमार ने बताया कि इस साल जब से सेना और पुलिस ने आतंकी तंजीमों द्वारा गुमराह किए गए युवकों को वापस मुख्यधारा में लाने का निर्णय लिया है, पाकिस्तानी आतंकी आकाओं में मायूसी का माहौल है। घाटी में अब स्थिति सामान्य हो रही है। गिलानी की मृत्यु के दौरान लोगों ने प्रतिबद्धता दिखाई और शांति बनाए रखी, जोकि बदलते माहौल की तस्दीक करता है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान कश्मीर घाटी में अब पिस्टल और ग्रेनेड से आतंकी हमलों की साजिश रच रहा है। ज्यादातर आतंकी हमलों को अंजाम देने के लिए पिस्टल का इस्तेमाल किया गया है। गुरुवार(23 सितंबर) तक 97 पिस्टल बरामद किए जा चुके हैं।
गौरतलब है कि गोहलान इलाके के पास 18 सितंबर की दरमियानी रात उड़ी सेक्टर की अंगूर पोस्ट के पास सुरक्षाबलों ने संदिग्ध गतिविधि देखी थी। सूत्रों का कहना है कि इसके बाद हुई गोलाबारी में एक जवान जख्मी हो गया था। सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि इलाके में आतंकियों का एक बड़ा समूह घुसपैठ करने में कामयाब हुआ है।
उड़ी हमला दोहराने की आतंकी साजिश नाकाम
मालूम हो कि पांच साल पूर्व 18 सितंबर 2016 को जैश-ए-मोहम्मद के हथियारों से लैस चार आतंकियों ने उड़ी सेक्टर में सेना की 12 ब्रिगेड के कैंप पर आत्मघाती हमला किया था, जिसमें सेना के 18 जवान शहीद हुए थे।