ताज़ा खबरें
मंत्री शाह को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, जांच के लिए एसआईटी गठित

विएना: परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) में सदस्यता के लिए भारत की अर्जी पर दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल में इस महीने के अंत में होने वाले एनएसजी के पूर्ण अधिवेशन में विचार किए जाने की संभावना है। विएना में हुई एनएसजी की दो दिवसीय बैठक में इस मुद्दे पर किसी निष्कर्ष पर न पहुंच पाने के बाद यह फैसला किया गया। अमेरिका भारत की सदस्यता का पुरजोर समर्थन कर रहा है और ज्यादातर सदस्य देश भी समर्थन कर रहे हैं, लेकिन इसका विरोध कर रहे चीन की दलील है कि एनएसजी को नए आवेदकों के लिए विशिष्ट शर्तों में ढील नहीं देनी चाहिए। एनएसजी संवेदनशील परमाणु प्रौद्योगिकी तक पहुंच को नियंत्रित करता है। परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) पर भारत की ओर से दस्तखत न किए जाने को आधार बनाकर उसकी दावेदारी का विरोध करने वाले कई देशों ने भी अब अपना रूख नरम किया है और अब समझौता करने के लिए तैयार हैं। बहरहाल, चीन अपने रूख पर अड़ा हुआ है। विएना में हुई बैठक में चीन ने सीधे तौर पर तो भारत की सदस्यता का विरोध नहीं किया, लेकिन इसे एनपीटी पर दस्तखत न करने से जोड़ा। एनएसजी आम राय के आधार पर काम करती है और भारत के खिलाफ किसी एक देश का वोट भी उसकी दावेदारी में रोड़े अटका सकता है। 48 देशों के समूह एनएसजी में चीन के अलावा न्यूजीलैंड, आयरलैंड, तुर्की, दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रिया भी भारत की दावेदारी के विरोध में हैं।

नई दिल्ली: सात राज्यों से राज्यसभा की सीटों के लिए शनिवार को होने वाले चुनाव में कुछ सीटों पर मुकाबला रोचक हो सकता है और खासतौर पर उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हरियाणा की कुछ सीटों पर नजर रहेगी जहां वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल और वरिष्ठ वकील आर के आनंद, मीडिया कारोबारी डॉ. सुभाष चंद्रा समेत कई जानेमाने उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला होगा। मौजूदा चरण की कुल 57 राज्यसभा सीटों में से 30 पर तो फैसला बिना मतदान के हो चुका है, लेकिन बाकी 27 पर फैसला शनिवार के चुनाव में होगा जहां कुछ राज्यों में भाजपा और कांग्रेस के बीच कांटे की टक्कर होगी। कर्नाटक में जेडीएस और निर्दलीय विधायकों को रिश्वत देने के आरोपों से चुनावों पर असर पड़ा है लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें रद्द करने की मांगों को खारिज कर दिया। सारी नजरें उत्तर प्रदेश पर हैं, जहां 11 सीटों के लिए चुनाव हो रहे हैं। कांग्रेस नेता सिब्बल और भाजपा समर्थित निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति महापात्र के बीच रोचक मुकाबला होने वाला है। सिब्बल को बसपा के समर्थन की जरूरत होगी जिसके पास 12 वोट हैं और जो उसके खुद के उम्मीदवारों सतीश चंद्र मिश्रा और अशोक सिद्धार्थ के सफल होने के लिए जरूरी वोटों से ज्यादा हैं। बसपा अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश में अपने पार्टी के समर्थन को लेकर रहस्य बरकरार रखा है।

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पांच देशों की यात्रा के बाद आज (शुक्रवार) स्वदेश लौटे। उन्होंने इस यात्रा के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात की और वाशिंगटन में अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया। मोदी संबंधों को मजबूत करने के लक्ष्य के साथ अफगानिस्तान, कतर, स्विट्जरलैंड और मेक्सिको भी गए। वह यात्रा के अंतिम पड़ाव :रिपीट यात्रा के अंतिम पड़ाव :मेक्सिको से आज तड़के यहां लौटे। मोदी ने स्वदेश लौटने से पहले ट्वीट किया, ‘‘शुक्रिया मेक्सिको। भारत-मेक्सिको के बीच संबंधों के नए दौर की शुरूआत हुई है और इस संबंध से हमारे लोगों एवं पूरी दुनिया को लाभ होगा।’’ विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘‘पांच दिन, पांच देश। यात्रा के अंतिम पड़ाव मेक्सिको की फलदायी यात्रा के बाद प्रधानमंत्री दिल्ली रवाना हुए।’’ मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस की संयुक्त बैठक को संबोधित करने के अलावा परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता की भारत की दावेदारी के लिए 48 देशों के इस समूह के दो अहम सदस्यों स्विट्जरलैंड और मेक्सिको का समर्थन हासिल किया। उन्होंने व्हाइट हाउस में राष्ट्रपति ओबामा से कई मामलों पर बात की। इसके बाद अमेरिका ने भारत को एक ‘‘बड़ा रक्षा साझीदार’’ बताया।

नई दिल्ली: न्यायपालिका और कार्यपालिका के बीच लकीर खींचते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि अदालतें कार्यपालिका का काम नहीं कर सकतीं और दोनों की स्वतंत्रता को सख्ती से कायम रखना होगा। जेटली ने कहा कि अगर कार्यपालिका अपना काम करने में विफल रहती है तो अदालतें उसे अपना काम करने का निर्देश दे सकती हैं लेकिन वह कार्यपालिका का काम अपने जिम्मे नहीं ले सकती हैं। सीएनएन न्यूज 18 के ‘इंडियन ऑफ द ईयर 2015’ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर न्यायपालिका अपना काम करने में विफल रहती है तो कार्यपालिका इस दलील के साथ उसका काम नहीं ले सकती कि बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं। उसी तरह, अदालतें कार्यपालिका का काम नहीं ले सकतीं। उन्होंने कहा, ‘पहले दो बुनियादी तथ्यों के बारे में स्पष्ट हो जाएं। पहली बात, न्यायपालिका की स्वतंत्रता की निश्चित तौर पर जरूरत है और किसी भी कीमत पर उसे कायम रखा जाना चाहिए। दूसरी बात, न्यायपालिका के पास निस्संदेह न्यायिक समीक्षा की शक्ति है। मैं नहीं मानता कि उसपर विवाद करने की किसी को भी शक्ति है। यह लोकतंत्र के लिए अनिवार्य है।’ यह दलील कि न्यायपालिका तब दखल देती है जब कार्यपालिका अपना काम करने में विफल रहती है यह सवाल करने योग्य बात है। उन्होंने कहा, ‘जब कार्यपालिका अपना काम नहीं करती है तो न्यायपालिका कार्यपालिका से कह सकती है और निर्देश दे सकती कि ऐसा करें। लेकिन न्यायपालिका कार्यपालिका का काम नहीं कर सकती।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख