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चंडीगढ़ः पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने गुरुवार को अपने विधायकों की बैठक बुलाई है। दरअसल, सीएम मान ने ये बैठक राज्यपाल के उस फैसले के बाद बुलाई है, जिसमे उन्होंने विश्वास मत साबित करने के लिए विशेष सत्र बुलाने के राज्य सरकार के फैसले को गलत बताया है और अपना आदेश वापस ले लिया है। राज्‍य में सत्‍तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार ने कल विश्वास मत लेने के लिए विशेष सत्र बुलाया था। जानकारी के अनुसार, कानूनी सलाह के बाद राज्यपाल ने यह फैसला किया है।

दरअसल, केवल विश्वास मत लेने के लिए सत्र बुलाने का प्रावधान नहीं है। बीजेपी पर विधायकों की खरीद का आरोप लगाते हुए पंजाब की भगवंत मान सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था, वह विश्वास मत लेना चाहती थी। दिल्‍ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्‍व वाली आम आदमी पार्टी सरकार ने भी ऐसा ही किया था।

राज्‍यपाल के इस फैसले पर आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।

उन्‍होंने एक ट्वीट किया, "राज्यपाल कैबिनेट द्वारा बुलाए सत्र को कैसे मना कर सकते हैं? फिर तो जनतंत्र खत्‍म है। दो दिन पहले राज्यपाल ने सत्र की इजाज़त दी, जब ऑपरेशन लोटस फ़ेल होता लगा और संख्या पूरी नहीं हुई तो ऊपर से फ़ोन आया कि इजाज़त वापिस ले लो। आज देश में एक तरफ़ संविधान है और दूसरी तरफ़ ऑपरेशन लोटस।"

गौरतलब है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार की ही तर्ज पर पंजाब में 'आप' की भगवंत मान सरकार ने विश्‍वास मत हासिल करने का फैसला किया था। विश्वासमत परीक्षण के लिए 22 सितंबर को पंजाब विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया था। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक वीडियो ट्वीट कर खुद इसकी जानकारी दी है. विश्‍वास मत हासिल कर सीएम मान की मंशा यह साबित करने की थी कि आम आदमी पार्टी (आप) के सभी विधायक एकजुट हैं। इसी साल फरवरी में हुए पंजाब असेंबली चुनावों में विधानमसभा की कुल 117 सीटों में से 92 पर आप ने प्रचंड जीत दर्ज करते हुए राज्य में पहली बार सरकार बनाई है। 2017 में पार्टी को 20 सीटें हासिल हुई थीं।

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