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नई दिल्ली: गुजरात के गोधरा में 2002 में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने वाले 8 दोषियों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है। उम्रकैद की सजा काट रहे लोगों को कोर्ट से राहत मिली है। ये सभी दोषी 17 से 20 साल की सजा काट चुके हैं। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों को फिलहाल जमानत देने से इंकार कर दिया। इनको निचली अदालत ने फांसी की सजा दी थी, लेकिन बाद में हाईकोर्ट ने उम्रकैद में तब्दील कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की बेंच ने गोधरा मामले में दोषियों की जमानत मामले पर फैसला किया। कोर्ट ने कहा कि बेल की शर्तें पूरी कर बाकी लोगों को जमानत पर रिहा किया जाए। दोषियों के वकील संजय हेगड़े ने ईद के मद्देनजर इनको जमानत पर रिहा करने की अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन में आग लगाकर 59 लोगों को जिंदा जलाए जाने के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे अब्दुल रहमान धंतिया, अब्दुल सत्तार इब्राहिम गद्दी समेत कुल 27 दोषियों की तरफ से दाखिल जमानत याचिका पर सुनवाई की।
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अहमदाबाद: साल 2002 में गुजरात दंगे के दौरान नरोदा गाव में हुए नरसंहार मामले में अदालत ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। अहमदाबाद की विशेष अदालत में इस मामले पर सुनवाई चल रही थी। गौरतलब है कि इस मामले में बाबू बजरंगी और माया कोडनानी भी आरोपी थे। माया कोडनानी गुजरात सरकार में मंत्री रह चुकी हैं।
बताते चलें कि इस घटना में 11 लोगों की मौत हो गई थी साथ ही कई अन्य घायल हो गए थे। गृह मंत्री अमित शाह 2017 में सुश्री कोडनानी के बचाव पक्ष के गवाह के रूप में पेश हुए थे। बरी किए गए लोगों के वकील ने आज अदालत के बाहर संवाददाताओं से कहा कि सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया है। हम फैसले की प्रति का इंतजार कर रहे हैं।
बताते चलें कि माया कोडनानी को नरोदा पाटिया दंगों के मामले में भी दोषी ठहराया गया था। जिसमें 97 लोगों की हत्या कर दी गई थी और उन्हें 28 साल की सजा सुनाई गई थी। बाद में उन्हें गुजरात उच्च न्यायालय से राहत मिल गई थी।
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सूरत (गुजरात): कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मोदी सरनेम मामले में गुजरात की सेशंस कोर्ट से राहत नहीं मिली है। कोर्ट ने राहुल गांधी को मिली दो साल की सजा के खिलाफ अर्जी को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने सजा पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है। निचली अदालत ने राहुल गांधी को मानहानि के मामले में दो साल की सजा सुनाई थी। राहुल गांधी अब राहत के लिए उच्च न्यायालय का रुख कर सकते हैं।
गुजरात में सूरत की एक सत्र अदालत ने 'मोदी उपनाम' वाले बयान को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को दोषी ठहराया था। इस फैसले पर रोक लगाने को लेकर राहुल गांधी ने सेशंस कोर्ट में अर्जी लगाई थी। अगर आज दोषी ठहराये जाने और सजा सुनाये जाने पर रोक लग जाती तो राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता बहाल हो सकती थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश आर पी मोगेरा की अदालत ने पिछले गुरुवार को राहुल गांधी की अर्जी पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिलकिस बानो की उस याचिका पर सुनवाई की। जिसमें उन्होंने गुजरात सरकार पर अपने मामले के दोषियों को समय से पहले रिहा करने का आरोप लगाया था। उन्होंने अपनी याचिका में 11 दोषियों को रिहा किए जाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि आखिर आपको इस बात ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी सत्ता का अवैध प्रयोग ना हो।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज बिलकिस है कल कोई और होगा। यह एक ऐसा मामला है, जहां एक गर्भवती महिला के साथ गैंगरेप किया गया और उसके सात रिश्तेदारों की हत्या कर दी गई। हमने आपको (गुजरात सरकार) सभी रिकॉर्ड पेश करने के लिए कहा था। हम जानना चाहते हैं कि क्या आपने अपना विवेक लगाया है। अगर हां तो बताएं कि आपने किस सामग्री को रिहाई का आधार बनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम केवल यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि शक्ति का वास्तविक प्रयोग हो। सत्ता का कोई अवैध प्रयोग न हो। जिस तरह से अपराध किया गया था वह भयानक है।
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