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इस्लामाबाद: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में एक टीवी इंटरव्यू में भारत को एक बार खोखली धमकी दी है। पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि अगर भारत ने सिंधु नदी पर कोई बांध बनाया तो पाकिस्तान उस पर हमला कर देगा। उन्होंने कहा कि आक्रामकता सिर्फ गोलियों से नहीं होती, पानी रोकना भी हमला है।

ख्वाजा आसिफ का यह बयान ऐसे समय आया है जब पहलगाम हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को कटघरे में खड़ा किया है और दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंध खराब हो गए। 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व बैंक की मध्यस्थता से हुए आईडब्ल्यूटी (इंडस वाटर्स ट्रीटी) को अब तक दुनिया का सबसे सफल जल समझौता माना गया। इस संधि के तहत भारत को पूर्वी नदियों (रावी, व्यास, सतलुज) का नियंत्रण दिया गया, जबकि पाकिस्तान को पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का अधिक अधिकार मिला। भारत को पश्चिमी नदियों पर निर्धारित शर्तों के तहत बिजली परियोजनाएं और अन्य निर्माण कार्य करने की सीमित अनुमति है।

इस्लामाबाद: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान की बौखलाहट जगजाहिर हो गई है। आए दिन उसके नेता कोई न कोई बड़बोलापन दिखा रहे हैं। पहले उनके रक्षा मंत्री और अब उनके पूर्व विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के आतंक का पनाहगार होने की बात कबूल ली है। पहलगाम हमले में आतंकियों ने 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। पाकिस्तान की ओर से पोषित आतंकी समूह लश्कर-ए-तैयबा ने इस हमले की साजिश रची थी।

इस बीच पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने खुद कबूल कर लिया है कि उनके मुल्क के आतंकी समूहों के साथ संबंध रहे हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का अतीत रहा है। यह किसी से छिपा नहीं है कि पाकिस्तान के दहशर्तगर्दों के साथ संबंध रहे हैं। यह कबूलनामा उनके रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की आतंकवादी समूहों को समर्थन और वित्त पोषण में पाकिस्तान की संलिप्तता को स्वीकार करने के बाद सामने आया है। बिलावल ने आतंकवाद के साथ पाकिस्तान के इतिहास को स्वीकार करते हुए दावा किया कि इसका देश को नुकसान उठाना पड़ा है। हालांकि, बाद से इसमें सुधार हुआ।

इस्लामाबाद: 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में टूरिस्टों पर हुए आतंकी हमले के बाद से ही भारत एक्शन मोड में है। उधर पाकिस्तान घबराया-घबराया घूम रहा है। उसके रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री पद पर बैठे बड़े नेता बचकानी बयानबाजी कर रहे हैं। ताजा घटनाक्रम में उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने कहा है कि पाकिस्तान युद्ध की पहल नहीं करेगा लेकिन अगर हमला हुआ तो वो दोगुनी ताकत से जवाब देगा।

पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता जनरल अहमद शरीफ के साथ साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए उन्होंने कहा कि वो पहलगाम हमले की निंदा करते हैं और पाकिस्तान युद्ध की पहल नहीं करेगा। हालांकि वो अपनी फितरत नहीं भूले और गीदड़भभकी देते हुए कहा कि अगर भारत ने हमला किया तो उसका डटकर मुकाबला किया जाएगा और दोगुनी ताकत के साथ जवाब देंगे।

उन्होंने कहा, “घटना के बाद पिछले कुछ दिनों में विश्व के नेता बोलते रहे हैं, जो संयम बरतने का अनुरोध कर रहे हैं। हम किसी भी आक्रामक कदम का सहारा लेने वाले पहले व्यक्ति नहीं होंगे, हालांकि भारत की ओर से किसी भी आक्रामक कदम का हम बहुत मजबूती से जवाब देंगे।”


उन्होंने ये भी कहा कि पाकिस्तान की सेना अलर्ट है और वो किसी तरह की कार्रवाई के लिए तैयार है।

‘भारत इस्लामोफोबिया से ग्रस्त’

इशाक डार ने आरोप लगाते हुए कहा कि भारत इस्लामोफोबिया से ग्रस्त है। इस दौरान उन्होंने भारत की ओर से लिए एक्शन पर अपनी बौखलाहट भी जाहिर की और कहा कि सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को तीन नदियों का पानी दिया गया। वो लाइफलाइन हैं। ऐसे में अगर पानी रोका गया तो उसे पाकिस्तान पर युद्ध समझा जाएगा। इसके अलावा उन्होंने पहलगाम हमले पर घड़ियालू आंसू बहाते हुए कहा कि बेगुनाह नागरिकों को निशाना बनाया जाना निंदनीय है, वो चाहे जहां भी हो। पाकिस्तान के मंत्री ने कहा कि उनका देश भी आतंकवाद से ग्रस्त है और वो लोगों का दर्द बेहतर समझ सकता है।

नई दिल्ली: कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव में अब संयुक्त राष्ट्र की भी एंट्री हो गई है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और पाकिस्तानी प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ से अलग-अलग बात की और पहलगाम आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा की, जिसमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक की मौत हुई है।

यूएन के महासचिव ने जयशंकर और शहबाज से की बात

संयुक्त राष्ट्र के बयान के अनुसार, महासचिव ने अपने फोन कॉल में, वैध तरीकों के माध्यम से हमले के लिए न्याय और जवाबदेही को आगे बढ़ाने के महत्व पर ध्यान दिया। बयान में कहा गया है कि उन्होंने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव पर भी गहरी चिंता व्यक्त की और ऐसे किसी टकराव को टालने की ज़रूरत पर ज़ोर दिया, जिसके परिणाम त्रासदीपूर्ण हो सकते हों। उन्होंने तनाव कम करने के प्रयासों में अपने कार्यालय के समर्थन की भी पेशकश की है।

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