नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने पनामा की एक विधि फर्म के लीक दस्तावेजों के आधार पर बिना किसी ठोस आधार के कोई निष्कर्ष निकालने के प्रति आगाह किया है। उसका कहना है कि कि उसे साक्ष्यों को देखना होगा ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या वैध है और क्या नहीं। उल्लेखनीय है कि इन दस्तावेजों में कुछ उद्योगपतियों, सिने कलाकारों व अन्य हस्तियों सहित 500 भारतीयों के नाम भी सामने आए हैं। आरोप है कि इन लोगों ने पनामा में आफशोर कंपनियों में पैसा लगा रखा है। पनामा को कर चोरों के पनाहगाह के रूप में देखा जाता है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस एस मूंदड़ा ने आज यहां कहा कि सरकार ने एक कार्यबल गठित किया है जिसमें आरबीआई भी सदस्य है। यहां एसोचैम के एक कार्य्रकम के अवसर पर उन्होंने कहा,‘अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. हर तरह का मामला हो सकता है। ब्यौरा उपलब्ध होने के बाद हम टीम के साथ साक्ष्यों पर विचार करेंगे।
उल्लेखनीय है कि सरकार ने दस्तावेज :पनामा पैपर्स: के खुलासे के तुरंत बाद ही एक समूह गठित किया है जिसमें सीबीडीटी, आरबीआई व वित्तीय आसूचना इकाई :एफआईयू: के अधिकारी शामिल है।