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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वह सेना को भीड़ को गोली मारने का आदेश नहीं दे सकती। न्यायालय ने उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें हरियाणा में जाट आंदोलन के दौरान अनियंत्रित भीड़ पर नियंत्रण करने के लिए सेना को मुक्त हस्त देने की मांग की गई थी। प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा कि सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त सक्षम है और जब भी स्थिति पैदा होगी चीजों का खयाल रखा जाएगा। पीठ ने कहा, ‘आप हमसे चाहते हैं कि हम सेना को भीड़ को गोली मारने का निर्देश जारी करें। हम इस तरह का निर्देश नहीं जारी कर सकते। हम सेना को उग्र भीड़ पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दे सकते। जब भी स्थिति पैदा होगी चीजों का खयाल रखा जाएगा। सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त सक्षम है।’

पीठ ने हालांकि कहा कि जो भी कानून को अपने हाथ में लेगा उसके खिलाफ कानून के अनुसार मुकदमा चलाया जाएगा और पीठ ने याचिका को वापस लिया हुआ मानकर खारिज कर दिया। पीठ ने कहा कि अगर याचिकाकर्ता अधिवक्ता अजय जैन ने हिंसक आंदोलन के पीड़ित के लिए मुआवजा मांगा होता तो वह इसपर विचार करती। पीठ ने कहा, ‘अगर आपने आंदोलन के पीड़ितों के लिए मुआवजा मांगा होता तो हम इसपर विचार करते।’ याचिकाकर्ता ने तब अपनी याचिका में प्रार्थना में संशोधन करने की अदालत से अनुमति मांगी जिसे देने से पीठ ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह उसे ऐसा करने की अनुमति नहीं दे सकती। पीठ ने हालांकि याचिकाकर्ता पर जुर्माना लगाने से खुद को रोक लिया जब उसने अपनी याचिका पर विचार करने पर जोर दिया। बाद में याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस लेने पर सहमति जता दी

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