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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): भारत और इंडोनेशिया के बीच द्विपक्षीय संबंध नई ऊंचाई पर पहुंच रहे हैं। रिश्तों को और मजबूत बनाने के लिए आज दोनों देशों के बीच कई समझौते हुए हैं। दोनों ने रक्षा विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखला के क्षेत्रों में संयुक्त रूप से काम करने पर सहमति जताई। दोनों देशों के बीच ये बढ़ती दोस्ती चीन को एक संदेश भी है।

गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि हैं सुबियांटो

बता दें कि इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांटो गणतंत्र दिवस पर भारत के मेहमान हैं। भारत की तीन दिवसीय यात्रा पर आए इंडोनेशिया के राष्ट्रपति सुबियांटो (26 जनवरी) रविवार को कर्तव्य पथ पर गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज उनकी मेजबानी की और उनके साथ वार्ता भी की। मोदी ने इंडोनेशिया को 10 देशों के आसियान ब्लॉक के साथ-साथ इंडो-पैसिफिक में भा रत का "महत्वपूर्ण साझेदार" बताया और कहा कि दोनों देश इस क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था के लिए प्रतिबद्ध हैं।

क्या बोले पीएम मोदी?

इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य ताकत पर बढ़ती वैश्विक चिंताओं के बीच मोदी ने कहा, हम सहमत हैं कि नौवहन की स्वतंत्रता अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुरूप सुनिश्चित की जानी चाहिए। हमने अपने द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं पर व्यापक चर्चा की।

अपराध पर लगेगी रोक

पीएम मोदी ने कहा कि भारत और इंडोनेशिया रक्षा विनिर्माण और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर संयुक्त रूप से काम करने के लिए सहमत हुए हैं। मोदी ने कहा कि समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में शनिवार को भारत और इंडोनेशिया के बीच हस्ताक्षरित एक समझौते से अपराध की रोकथाम, खोज और बचाव तथा क्षमता निर्माण में सहयोग और मजबूत होगा।

भारत और इंडोनेशियां में इस पर हुए सौदे

प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि दोनों देशों के बीच कई और मुद्दों पर समझौते हुए, जिनमें शामिल है...

फिनटेक

एआई

इंटरनेट ऑफ थिंग्स

समुद्री सुरक्षा

साइबर सुरक्षा

आतंकवाद-रोधी सहयोग

कट्टरपंथ-विरोधी सहयोग

चीन को घेरने की तैयारी

बता दें कि भारत कई देशों को हथियार बेच रहा है। अब इस सूची में इंडोनेशिया भी शामिल है। इंडोनेशिया को हथियार आपूर्ति करते हुए भारत चीन को घेरने की कोशिश में है। भारत के ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले ब्रह्मोस मिसाइल को इंडोनेशिया खरीदने जा रहा है, दोनों देशों के बीच इस पर सौदा भी हो चुका है।

दरअसल, हिंद प्रशांत क्षेत्र में चीन का दबदबा कम करने के लिए भारत अपने पड़ोसी मुल्कों के साथ संबंध बेहतर बनाने में लगा है।

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