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जयपुर (जनादेश ब्यूरो): राजस्थान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने अपनी ‘‘जन संघर्ष यात्रा‘‘ पूरी कर ली है। सचिन पायलट ने सोमवार को यात्रा खत्म करने के मौके पर गहलोत सरकार को 15 दिनों के भीतर वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली राज्य की पूर्व भाजपा सरकार से जुड़े भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। साथ ही सचिन पायलट ने ये भी कहा है कि अगर सीएम गहलोत दिए गए समय के अंदर कार्रवाई नहीं करते हैं, तो वो राज्य भर में उनके खिलाफ आंदोलन तेज करेंगे।

"परीक्षार्थियों को मिले मुआवजा"

सचिन पायलट ने कहा कि उन परीक्षार्थियों को मुआवजा दें, जिन्होंने परीक्षा दी, लेकिन बाद में पेपर लीक हो गए। उन्होंने राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करने की भी मांग की है। जिसे वह पेपर लीक का स्रोत बता रहे हैं। सचिन पायलट ने कल कहा था कि सीएम अशोक गहलोत और उन्हें एक साथ मिलकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहिए। हालांकि, अशोक गहलोत ने इसे लेकर कोई कदम नहीं उठाया है।

‘‘भ्रष्टाचार के खिलाफ साथ होकर लड़ना होगा‘‘

पायलट ने अपनी अजमेर में यात्रा के चौथे दिन मीडिया से कहा था कि हमें लोगों का समर्थन मिल रहा है क्योंकि हमारे मुद्दे जरूरी हैं। मुख्यमंत्री राज्य का चेहरा हैं और सीएम अशोक गहलोत और मुझे भ्रष्टाचार के मामलों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ना होगा। लेकिन मुख्यमंत्री ने कोई कार्रवाई नहीं की है, मैं भ्रष्टाचार के मुद्दों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए लंबे समय से उन्हें पत्र लिख रहा हूं।

‘‘मेरी किसी से अनबन नहीं‘

आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजस्थान कांग्रेस के अंदर एकता को लेकर पूछे गए सवाल पर सचिन पायलट ने कहा कि मैं ना तो किसी पर आरोप लगाता हूं और ना ही व्यक्तिगत स्तर पर मेरी किसी से कोई अनबन है। सचिन पायलट ने कहा कि कर्नाटक में कांग्रेस की बड़ी जीत का श्रेय वहां पहले की बीजेपी सरकार द्वारा किए गए भ्रष्टाचार को भी दिया जाना चाहिए।

‘‘कर्नाटक में बीजेपी की हार के लिए भ्रष्टाचार भी एक वजह‘‘

सचिन पायलट ने कहा कि नतीजों से साफ है कि कर्नाटक की जनता ने राज्य में 40 फीसदी कमीशन वाली सरकार को हटाने का संकल्प लिया था। इस चुनाव में भ्रष्टाचार मुख्य मुद्दा था और इस मुद्दे ने कांग्रेस की मदद ही की। हमारा ध्यान अब राज्य के लोगों को एक स्वच्छ और स्थिर सरकार प्रदान करना है, साथ ही रोजगार प्रदान करने और सेवाओं के कुशल वितरण को सुनिश्चित करने के अपने वादों को पूरा भी करना है। राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं, जहां कांग्रेस 2024 के महत्वपूर्ण लोकसभा चुनावों से पहले एक बार फिर सत्ता में लौटने की योजना बना रही है।

 

 

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