ताज़ा खबरें
सीमावर्ती इलाकों में एअर इंडिया-इंडिगो की उड़ानें रद्द, एडवाइजरी जारी
अमृतसर में जहरीली शराब पीने से 14 लोगों की मौत, 6 की हालात गंभीर
पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर सिर्फ स्थगित हुआ है: पीएम मोदी
सरकार स्पष्ट करे, अमेरिकी मध्यस्थता की अनुमति क्यों दी गयी: पवार
सीजफायर के बाद खोले गए 32 एयरपोर्ट, तनाव के बीच किए गए थे बंद
एसआईए ने कश्मीर में 20 जगह पर मारे छापे, कई स्लीपर सेल गिरफ्तार

जयपुर: गुर्जर समाज सहित पांच अन्य जातियों को ओबीसी में पांच फीसद आरक्षण देने को लेकर राजस्थान विधानसभा के वर्तमान सत्र में ही विधेयक लाया जाएगा। राज्य सरकार ने इस बारे में पूरी तैयारी कर ली है।

पहले सरकार अगले माह अध्यादेश जारी कर आरक्षण देने पर विचार कर रही थी, लेकिन गुर्जर नेताओं की नाराजगी के चलते सरकार को विधानसभा में विधेयक लाना पड़ रहा है। जानकारी के अनुसार, इस विधेयक को राज्य कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है।

विधेयक के पास होने के बाद प्रदेश में ओबीसी का कोटा 21 से बढ़कर 26 फीसद हो जाएगा। ओबीसी में इस बढ़े हुए पांच फीसद आरक्षण का लाभ गुर्जर समाज के साथ ही रैबारी, रायका, गाड़यिा लुहार, गड़रिया सहित पांच जातियों को मिलेगा।

जयपुर: राजस्थान में विवादित अध्यादेश पर सियासी बवाल बढ़ता ही जा रही है। विवादित अध्यादेश के खिलाफ प्रदेश की वसुंधरा राजे सरकार को विधानसभा के भीतर और बाहर दोनों ही जगह विरोध का सामना करना पड़ रहा। इसके बाद मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने विवादित अध्यादेश को सेलेक्ट कमेटी को भेज दिया है।

बता दें कि इस अध्यादेश के खिलाफ कांग्रेस जहां विधानसभा के भीतर विरोध कर रही है, तो वहीं विधानसभा के बाहर पत्रकार विरोध मार्च निकाल नारेबाजी कर रहे हैं। मीडिया में चल रही खबरों की मानें तो राजे ने कैबिनेट के वरिष्ठ मंत्रियों से इस मसले पर बातचीत के बाद यह फैसला लिया।

इस फैसले के बाद बीजेपी नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने इस कदम का स्वागत किया। स्वामी ने इस बिल को विधान सभा की सेलेक्ट कमेटी को भेजे जाने को एक स्मार्ट मूव बताया है। राजे ने अपने लोकतांत्रिक स्वभाव का परिचय दिया है।

जयपुर: राजस्थान की वसुंधरा राजे सरकार ने सोमवार को क्रिमिनल लॉज (राजस्थान अमेंडमेंट) अध्यादेश विधानसभा में पेश कर दिया है। विपक्ष इस अध्यादेश पर कड़ा विरोध जता रही है। अध्यादेश को विधानसभा पटल पर रखे जाने के बाद भारी हंगामा शुरू हो गया जिसके बाद विस की कार्यवाही मंगलवार तक के लिए स्थगित कर दी गई।

इस अध्यादेश के तहत राजस्थान में अब पूर्व व वर्तमान जजों, अफसरों, सरकारी कर्मचारियों और बाबुओं के खिलाफ पुलिस या अदालत में शिकायत करना आसान नहीं होगा। ऐसे मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के लिए सरकार की मंजूरी अनिवार्य होगी। वहीं वरिष्ठ वकील एके जैन ने अध्यादेश के खिलाफ राजस्थान हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।

,कांग्रेसी विधायकों ने काली पट्टी बांधकर किया विरोध

विधानसभा परिसर में इस अध्यादेश के विरोध में कांग्रेसी विधायकों ने मुंह पर काली पट्टी बांधकर विरोध किया। इस अध्यादेश का कई संगठन भी विरोध कर रहे हैं।

जयपुर: राजस्थान में नेताओं और अफसरों के खिलाफ शिकायत और कार्रवाई के लिए इजाजत लेने वाले अध्यादेश को एक वकील ने चुनौती दी है। वकील एके जैन ने राजस्थान हाइकोर्ट में वसुंधरा राजे सरकार के इस नए अध्यादेश को चुनौती दी है। ये अध्यादेश एक तरह से सभी सांसदों-विधायकों, जजों और अफ़सरों को लगभग इम्युनिटी दे देगा।

उनके खिलाफ पुलिस या अदालत में शिकायत करना आसान नहीं होगा। सीआरपीसी में संशोधन के इस बिल के बाद सरकार की मंज़ूरी के बिना इनके खिलाफ कोई केस दर्ज नहीं कराया जा सकेगा। यही नहीं, जब तक एफआईआर नहीं होती, प्रेस में इसकी रिपोर्ट भी नहीं की जा सकेगी।

ऐसे किसी मामले में किसी का नाम लेने पर दो साल की सज़ा भी हो सकती है। इसका विरोध जारी है। एक बयान जारी कर एडिटर्स गिल्ड ने इस का विरोध किया है। विपक्ष भी इसे लाए जाने का विरोध कर रहा है।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख