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एस जयशंकर से पहले सेना दे चुकी है राहुल गांधी के सवाल का जवाब
हैदराबाद के चारमीनार के पास इमारत में लगी भीषण आग, 17 की मौत

हैदराबाद: हैदराबाद के एक मध्यम वर्गीय इलाके के एक घर से पुलिस ने दो नाबालिग लड़कियों को बचाया जिसमें से एक की उम्र 8 और एक दस साल की है। पुलिस के मुताबिक दोनों बच्चियां पिछले एक साल से यौन शोषण का शिकार हो रही थीं और उनके अभिभावक समझे जाने वाले दंपत्ति को इसकी जानकारी भी थी। बताया जा रहा है कि बाल शोषण का यह विचलित कर देने वाली वारदात परिवार की जानकारी में थी और पुलिस को इसकी जानकारी तब मिली जब उनमें से एक बच्ची ने अपनी टीचर से पेट में दर्द होने की शिकायत की। बच्ची की टीचर को गड़बड़ी की आशंका लगी और उन्होंने बाल अधिकार संस्थान को इस बात की जानकारी दी। पुलिस ने अभिभावकों को पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है। उत्तरप्रदेश से ताल्लुक रखने वाला यह परिवार पिछले 16 सालों से हैदराबाद में रह रहा है। इनका एक 14 साल का बेटा भी है और पुलिस को उसके भी अपनी उम्र से ज्यादा की शारीरिक गतिविधि में लिप्त होने की आशंका है। इस मामले में जफ्फार नाम के एक शख्स को गिरफ्तार कर लिया गया है जिसके तीन बच्चे हैं. जानकारी के मुताबिक जफ्फार ने बच्चियों की मां के साथ दोस्ती बढ़ाई और बाद में वह महिला के बच्चों को प्रताड़ित करने लगा। जफ्फार के नाबालिग बेटे का नाम भी केस में शामिल किया गया है।

हैदराबाद: भोपाल की एक जेल से सिमी आतंकियों के भाग जाने और बाद में पुलिस के साथ मुठभेड़ में उनके मारे जाने के सरकारी बयान में विसंगति का आरोप लगाते हुए एमआईएमआईएम के प्रमुख असादुद्दीन ओवैसी ने सभी तथ्यों को सामने लाने के लिए सोमवार को उच्चतम न्यायालय द्वारा जांच की मांग की। उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘गृहमंत्री और पुलिस अधिकारी जो कुछ कह रहे हैं, उनमें बड़ी विसंगति है। मध्य प्रदेश के गृह मंत्री कहते हैं कि ये विचाराधीन कैदियों के पास चम्मच थे। यदि उनके पास महज चम्मच थे तो एटीएस आसानी ने उन्हें पकड़ सकती थी क्योंकि एटीएस के पास सारे अत्याधुनिक हथियार होते हैं। वह आसानी से उन्हें गिरफ्तार कर सकती थी।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन, जो लोग गार्ड की हत्या करने के बाद जेल से भागे हों और उनके पास महज चम्मच हों-- यह बात किसी भी सामान्य व्यक्ति के लिये अविश्वसनीय है।’

हैदराबाद: एआईएमआईएस के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने जोर देकर कहा है कि समान नागरिक संहिता (यूसीसी) केवल मुस्लिमों से जुड़ा मुद्दा नहीं है बल्कि पूर्वोत्तर के कुछ इलाकों के लोग भी इसका विरोध करेंगे। उन्होंने भाजपा पर देश के बहुतलतावाद और विविधता के तानेबाने को ‘खत्म’ करने का आरोप लगाया। हैदराबाद से लोकसभा सदस्य ओवैसी ने यहां कहा, ‘समान नागरिक संहिता केवल मुस्लिमों से जुड़ा मुद्दा नहीं है। यह एक ऐसा मुद्दा है जिसका पूर्वोत्तर के लोग भी विरोध करेंगे, खासकर नगालैंड और मिजोरम के।’ उन्होंने कहा कि यह एक ऐसा मुद्दा है जो भारत के कई लोगों को चिंता में डाल देगा यह भारत के बहुतलतावाद और विविधता से जुड़ा हुआ है जिसे ‘भाजपा खत्म कर देना चाहती है।’ ओवैसी ने आरोप लगाया, ‘भाजपा, वह तो मुस्लिमों को शत्रु के तौर पर दिखाना चाहती है ताकि वह इस मुद्दे पर ध्रुवीकरण कर सके। यूसीसी के मुद्दे पर लोग उनके खेल को समझ चुके हैं।’ उन्होंने कहा, ‘हिंदू अविभाजित परिवार का लाभ ईसाइयों और मुस्लिमों को क्यों नहीं दिया गया? केंद्रीय मंत्री एम वैंकया नायडू कहते हैं कि भारत में धर्म के आधार पर कानून नहीं होने चाहिए तो यह हिंदू अविभाजित परिवार, हिंदू विवाह अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार कानून क्या है? ये सब क्या है?’’

हैदराबाद: अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव दिग्विजय सिंह ने आज (बुधवार) कहा कि सत्तारूढ़ भाजपा ने धर्मनिरपेक्षता का मतलब बदल दिया है और अपने राजनीतिक एजेंडा की सहूलियत के मुताबिक मुद्दों को उठा रही है। राजीव सद्भावना यात्रा में यहां लोगों को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि भाजपा ऐसे मुद्दों को उठा रही है जिससे लोग सांप्रदायिक आधार पर बंट जाएंगे। वरिष्ठ नेता ने आरोप लगाया, ‘भाजपा ने धर्मनिरपेक्षता का मतलब बदल दिया है। जो लोग भाजपा का विरोध करते हैं उन्हें ‘देशद्रोही’ बताया जाता है। जो लोग उनका समर्थन करते हैं उन्हें राष्ट्रवादी बताया जाता है। भाजपा या संघ के मुताबिक मुहम्मद अली जिन्ना धर्मनिरपेक्ष थे जिन्होंने देश का बंटवारा कराया और महात्मा गांधी को सांप्रदायिक बताया जाता है जिन्होंने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए गोली खाई।’ उन्होंने भाजपा पर भारतीय सैनिकों की शहादत का राजनीतिक लाभ लेने का आरोप लगाया। नियंत्रण रेखा के पार ‘लक्षित हमले’ करने का श्रेय ‘आरएसएस की शिक्षा’ को देने के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के हालिया बयान पर सिंह ने कहा, ‘क्या यह सेना का अपमान नहीं है? हमारे विदेश सचिव कहते हैं कि लक्षित हमले पहले भी हुए। आप कहना चाहते हैं कि सेना तब भी संघ की विचाराधारा पर चलती थी?’

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