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नई दिल्ली: भारतीय अर्थव्यवस्था ने रफ्तार पकड़ते हुए बीते वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में 7.9 प्रतिशत की वृद्धि दर दर्ज की है। इस तरह भारत ने दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति और मजबूत कर ली है। विनिर्माण क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन से पूरे वित्त वर्ष 2015-16 के लिए अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पांच साल के उच्चस्तर 7.6 प्रतिशत पर रही है। वित्त वर्ष 2015-16 के प्रभावशाली आंकड़ों से उत्साहित सरकार ने कहा है कि बेहतर मानसून से चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 8 प्रतिशत पर पहुंच सकती है। 2014-15 में वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी। कृषि क्षेत्र भी गिरावट से उबरकर वृद्धि हासिल करने में सफल रहा है। वित्त वर्ष के दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि दर निचले स्तर 1.2 प्रतिशत पर ही रही है। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, चौथी तिमाही में विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जहां 9.3 प्रतिशत रही, वहीं कृषि क्षेत्र की 2.3 प्रतिशत रही। अप्रैल में बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर के आंकड़ों से भी पता चलता है कि आर्थिक गतिविधियां रफ्तार पकड़ रही हैं। माह के दौरान बुनियादी उद्योगों की वृद्धि दर 8.5 प्रतिशत रही। सीएसओ ने 2015-16 की पिछली तीनों तिमाहियों के वृद्धि दर के आंकड़े भी संशोधित किये हैं।

तोक्यो: जापानी निवेशकों को भारत में निवेश के लिए न्योता देते हुए वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज (मंगलवार) और ढांचागत एवं बाजारोन्मुखी सुधारों का वादा किया तथा कहा कि आर्थिक वृद्धि दर को मौजूदा 7.6 प्रतिशत से भी तेज करने के लिए बुनियादी ढांचे में निवेश बढाया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने कर ढांचे में भी सुधार का वादा किया ताकि इसे सरल, विश्वसनीय व टिकाउ बनाया जा सके। वह यहां निक्कई इंक द्वारा आयोजित सम्मेलन ‘द फ्यूचर आफ एशिया’ को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि वैश्विक नरमी के बावजूद बीते दो साल में भारत सबसे तेज बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था रहा है। निवेश आकषिर्त करने के लिए छह दिन की जापान यात्रा पर आए जेटली ने कहा, ‘‘बीते दो साल में हमारी आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत रही है। उस वैश्विक मंदी के विपरीत यह दर हासिल की गई है जिसने भारत में व्यापार पर गहरा प्रतिकूल असर डाला है।’’ वित्त मंत्री ने कहा कि लगातार दो साल खराब मानसून तथा भारतीय निजी क्षेत्र की कुछ दिक्कतों जैसे संकटों के बावजूद भारत उक्त बेहतर प्रदर्शन करने में सफल रहा है।

नई दिल्ली: आपूर्ति के मुकाबले मांग बढ़ने से देश में बिजली की कमी 2021-22 तक बढ़कर 5.6 फीसदी हो सकती है जो पिछले वित्त वर्ष में अधिकतम मांग के समय 2.6 फीसदी थी। एक अध्ययन में यह कहा गया है। उद्योग मंडल एसोचैम तथा परामर्श कंपनी पीडब्ल्यूसी के संयुक्त अध्ययन के अनुसार, ‘भारत की वृद्धि की कहानी को आगे बढ़ाने के लिये विश्वसनीय, सस्ती और भरोसेमंद बिजली की उपलब्धता आवश्यक है और बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने तथा उर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये उर्जा के सभी संभावित स्रोतों का दोहन करने की जरूरत होगी।’ ‘हाइड्रोपावर एट क्रासरोड’ शीर्षक से जारी अध्ययन में कहा गया है कि भारत को करीब 8 से 9 फीसदी सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि बनाये रखने के लिये बिजली के क्षेत्र में सात प्रतिशत सालाना वृद्धि की जरूरत हो सकती है। इसमें कहा गया है कि प्रति व्यक्ति खपत 1,800 किलोवाट प्रतिघंटा के लक्ष्य को प्राप्त करने तथा 2034 तक 30 करोड़ लोगों के लिये बिजली पहुंच हेतु भारत को 450 गीगावाट (एक गीगावाट बराबर 1,000 मेगावाट) अतिरिक्त बिजली आपूर्ति की जरूरत होगी।

तोक्यो: वित्त मंत्री अरण जेटली ने कहा कि जापान के साफ्टबैंक सहित अनेक जापानी निवेशक भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास में निवेश करने को इच्छुक हैं। जेटली ने जापानी निवेशकों को आकर्षित करने के उद्येश्य से एशिया की इस दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की छह दिन की यात्रा के शुरू में साफ्टबैंक के समूह के मुख्यकार्यकारी के साथ मुलाकात की। जापानी दूरसंचार क्षेत्र की दिग्गज कंपनी साफ्टबैंक समूह के मुख्य कार्यकारी मासायोशी सन ने जेटली से मुलाकात के बाद कहा कि वह भारत में इंटरनेट आधारित कंपनियों के साथ-साथ सौर उर्जा क्षेत्र में भी निवेश की रूचि रखते हैं। वह पहले ही भारत में एक संयुक्त उपक्रम के माध्यम से 20 अरब डॉलर का निवेश करने की घोषणा कर चुके हैं। साफ्टबैंक समूह के सीईओ के साथ अपनी बातचीत के बाद जेटली ने कहा, ‘कई लोग हैं जो भारत के बुनियादी ढांचा क्षेत्र के विकास की कहानी का हिस्सा बनना चाहते हैं। इसका उदाहरण साफ्टबैंक है जिनके साथ मेरी बैठक हुई है। वे पहले ही भारत में सौर उर्जा क्षेत्र में सबसे बड़े में से एक निवेश करने की तैयारी में हैं।’

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