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नई दिल्ली: विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने 14,000 करोड़ रुपये के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के 16 प्रस्तावों को मंजूरी दी है। इनमें जापान की निप्पन का रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने का प्रस्ताव भी शामिल है। इसके अलावा चार और विदेशी बीमा कंपनियों के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है। एफआईपीबी ने यस बैंक के खुद में विदेशी निवेश की सीमा को 41 से बढ़ाकर 74 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को भी हरी झंडी दे दी है। नवंबर में नए नियमनों की घोषणा के बाद यह पहला बैंक हो गया है जिसे एफडीआई की सीमा बढ़ाने की मंजूरी मिली है। एक सूत्र ने बताया कि मंगलवार को एफआईपीबी के एजेंडा पर कुल 34 प्रस्ताव थे। इनमें से 16 प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकान्त दास की अगुवाई वाली एफआईपीबी ने सन लाइफ फाइनेंशियल इन्वेस्टमेंट के बिड़ला सनलाइफ में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर 49 प्रतिशत करने के प्रस्ताव को भी मंजूर किया है।

नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) संबंधी सूचनाएं देश की खुफिया एजेंसियों आईबी और रॉ के साथ साझा करेगा। इसका मकसद देश में कालाधन आने से रोकना है। आर्थिक अपराधों पर अंकुश के लिए राजस्व सचिव की अगुवाई वाले एक सरकारी समूह की हालिया बैठक में इस बारे में फैसला किया गया। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कैबिनेट सचिवालय ने कर पनाहगाह देशों की कंपनियों द्वारा देश में निवेश पर चिंता जताई थी। रिसर्च एवं एनालिसिस विंग (रॉ) कैबिनेट सचिवालय के प्रशासनिक नियंत्रण में ही काम करती है। इस तरह की कंपनियों के वित्तपोषण के स्रोत पर निगाह रखने के लिए कैबिनेट सचिवालय ने सुझाव दिया था कि वित्त मंत्रालय के तहत केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो (सीईआईबी) इस तरह की इकाइयों तथा निवेश का डाटाबेस रखे। बाद में इस सुझाव को खारिज कर दिया गया।

गुड़गांव: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने राज्यों से निवेश आकर्षित करने के लिए नीतिगत सुधारों को आगे बढ़ाने का आह्वान किया। उन्होंने सोमवार को कहा कि निवेशक नीतिगत निर्णय के मामले में अक्षमता को पसंद नहीं करते और वे उस जगह जाना पसंद करते हैं जहां व्यापारिक और राजनीतिक परिवेश अनुकूल होता है। उन्होंने कहा, ‘ भारत में सहकारी संघवाद के अलावा अब एक प्रतिस्पर्धी संघवाद की स्थिति बन गई है। भविष्य प्रतिस्पर्धी संघवाद का होगा क्योंकि यह केंद्र-राज्य संबंध का मामला नहीं है बल्कि निवेश आकर्षित करने को लेकर राज्यों के बीच आपसी प्रतिस्पर्धा का विषय है।’ यहां ‘हैपनिंग हरियाणा’ वैश्विक निवेशक सम्मेलन में देश विदेश से जुटे निवेशकों को संबोधित करते हुए जेटली ने कहा कि भारत में अब इस तरह के निवेशक सम्मेलन आयोजित करने वाले राज्यों की संख्या उत्तरोत्तर बढ़ रही है।

नई दिल्ली: बाजार नियामक सेबी की जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों (विलफुल डिफॉल्टारों) और उनकी कंपनियों के लिए पूंजी बाजारों से धन जुटाना कठिन बनाने की योजना है। सेबी फंसे कर्ज यानी गैर-निष्पादित आस्तियों के खिलाफ सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक की लड़ाई में सहयोग देने के लिए यह कदम उठा रहा है। सेबी की आगामी बैठक में इस आशय के प्रस्तावित कदम पर विचार होने की संभावना है। इस कदम का उद्देश्य यही है कि इस तरह के कर्जदारों के लिए प्रतिभूति बाजार से और धन जुटाना मुश्किल बनाया जाए, साथ ही छोट निवेशकों के हितों की रक्षा की जाए। उल्लेखनीय है कि मौजूदा कर्ज का भुगतान नहीं करने पर बैंक कई इकाइयों को 'विलफुल डिफॉल्टर' घोषित कर देते हैं और उन्हें कर्ज देना रोक देते हैं।

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