ताज़ा खबरें
'संघर्ष विराम में नहीं थी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता': विदेश सचिव मिस्री
मंत्री शाह को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, जांच के लिए एसआईटी गठित

वाशिंगटन डीसी: 81 वर्षीय डेमोक्रेट नेता जो बाइडन ट्रंप के खिलाफ ताल नहीं ठोकेंगे। उन्होंने चुनाव से नाम वापस लेने का एलान करते हुए कहा कि उनका रेस में बने रहना देश के हित में नहीं है। अमेरिका की इस अप्रत्याशित राजनीतिक घटना पर सियासी बयानबाजी का दौर भी शुरू हो गया है। बाइडन को लेकर अक्सर आक्रामक तेवर दिखाने वाले रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप ने बाइडन के नाम वापस लेने की घोषणा के बाद कहा कि बाइडन की गैरहाजिरी में अगर भारतवंशी नेता कमला हैरिस को डेमोक्रेट खेमे की तरफ से राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बनाया जाता है तो उन्हें हराना और भी आसान होगा।

बाइडन ने पहले ही दे दिए थे संकेत

डेमोक्रेट खेमे की तरफ से बाइडन की नाम वापस लेने की घोषणा अमेरिकी चुनाव में डेमोक्रेट खेमे के लिए बड़ा झटका है। अब उनकी जगह भारतवंशी कमला हैरिस को प्रत्याशी बनाया जा सकता है। कमला हैरिस डेमोक्रेट खेमे की पहली पसंद के रूप में इसलिए उभर सकती हैं क्योंकि वे बाइडन की रनिंग मेट और उपराष्ट्रपति के रूप में अमेरिकी राजनीति में अपनी छाप छोड़ने में सफल रही हैं।

वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन आगामी राष्ट्रपति पद का चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली है। बाइडेन ने खुद एक्स पर एक पोस्ट के जरिए इसकी घोषणा की है। बाइडेन ने कहा कि वो इस सप्ताह राष्ट्र को संबोधित करेंगे और जनवरी 2025 में अपना कार्यकाल समाप्त होने तक राष्ट्रपति और कमांडर-इन-चीफ के रूप में अपनी भूमिका निभाते रहेंगे।

जो बाइडेन ने सोशल मीडिया पर लिखा, "आपके राष्ट्रपति के रूप में सेवा करना मेरे जीवन का सबसे बड़ा सम्मान रहा है और मेरा इरादा भी फिर से चुनाव लड़ने का रहा है, लेकिन मेरा मानना ​​है कि ये मेरी पार्टी और देश के सर्वोत्तम हित में है कि मैं आने वाला चुनाव ना लड़ूं और केवल राष्ट्रपति के रूप में अपने बचे कार्यकाल के लिए अपने कर्तव्यों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करूं।" 2020 में पार्टी के उम्मीदवार के रूप में मेरा पहला निर्णय कमला हैरिस को अपना उपराष्ट्रपति चुनना था और यह मेरा अब तक का सबसे अच्छा निर्णय रहा है।"  उन्होंने कहा, "आज मैं कमला को इस वर्ष हमारी पार्टी का उम्मीदवार बनाने के लिए अपना पूर्ण समर्थन देना चाहता हूं।"

ढाका: बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए आरक्षण व्यवस्था के खिलाफ भड़की छात्रों के विरोध प्रदर्शनों की आग अब शांत होने की उम्मीद है। बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा में भर्ती के लिए स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों का कोटा (आरक्षण) 30 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने का फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट का आदेश खारिज करते हुए निर्देश दिया है कि 93 फीसदी सरकारी नौकरियां योग्यता के आधार पर सभी उम्मीदवारों के लिए खुली होनी चाहिए। इससे पहले हाईकोर्ट ने कुल आरक्षण 56 प्रतिशत करने का आदेश दिया था, जिसमें 30 प्रतिशत आरक्षण स्वतंत्रता सेनानियों के वंशंजों के लिए था।

पूर्व में 56% थी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था 

हाईकोर्ट के आदेश पर पूर्व में नौकरियों में कुल 56 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था की गई थी। इसमें 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियां स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए, 10 प्रतिशत महिलाओं के लिए, 10 प्रतिशत पिछड़ों के लिए, 5 प्रतिशत जातीय अल्पसंख्यकों के लिए और 1 प्रतिशत दिव्यांग व्यक्तियों के लिए आरक्षित की गई थीं।

इस्लामाबाद: पाकिस्तान की सरकार ने कहा है कि वह इजराइली के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को आतंकवादी मानती है। पाकिस्तान ने मांग की कि फलस्तीनियों के खिलाफ युद्ध अपराध के लिए नेतन्याहू को न्याय के कटघरे में लाया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के राजनीति और सार्वजनिक मामलों पर सलाहकार राणा सनाउल्लाह ने कहा कि 'नेतन्याहू एक आतंकवादी हैं और युद्ध अपराध के दोषी हैं।'

तहरीक ए लब्बैक पार्टी के हजारों समर्थकों ने किया विरोध प्रदर्शन

राणा सनाउल्लाह ने कहा कि पाकिस्तान में ऐसी कंपनियों और उत्पादों की पहचान के लिए एक समिति भी गठित की गई है, जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इजराइल या फलस्तीनियों के खिलाफ युद्ध अपराध करने वाली ताकतों को बढ़ावा दे रही हैं। पाकिस्तान की धार्मिक और राजनीतिक पार्टी तहरीक ए लब्बैक पाकिस्तान के हजारों समर्थकों ने इस्लामाबाद में गाजा युद्ध के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध कार्यक्रम में राणा सनाउल्लाह भी शामिल हुए। प्रदर्शनकारियों ने गाजा में तत्काल युद्ध विराम की मांग की और पाकिस्तानी सरकार से इस्राइली प्रधानमंत्री को आतंकवादी घोषित करने की अपील की।

  • देश
  • प्रदेश
  • आलेख