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बीजिंग: चीन में बुधवार (17 जुलाई) को बड़ा हादसा हो गया। चीन के दक्षिण-पश्चिम शहर जिगोंग के एक शॉपिंग मॉल में भीषण आग लग गई, जिसकी चपेट में आकर 16 लोगों की मौत हो गई है। चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक सिचुआन प्रांत के जिगोंग शहर में 14 मंजिला बिल्डिंग आग की चपेट में आ गई. इसकी वजह से बिल्डिंग के भीतर कई सारे लोग भी फंस गए। घटना का वीडियो भी सामने आया है, जिसमें इमारत से निकल रहे काले धुएं को साफ तौर पर देखा जा सकता है।
सरकारी मीडिया सीसीटीवी के मुताबिक, आग लगने की सूचना मिलते ही 300 इमरजेंसी वर्कर्स और दर्जनों दमकल की गाड़ियों को मौके पर भेजा गया। इमरजेंसी वर्कर्स ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर करीब 30 लोगों को बिल्डिंग की आग से बचाया।
स्थानीय अधिकारियों के हवाले से बताया गया है कि शुरुआती जांच में ये बात सामने आई है कि आग लगने की वजह कंस्ट्रक्शन का काम था, जिसकी वजह से चिंगारी भड़की और फिर आग लगी। हालांकि, अभी तक आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
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वॉशिंगटन: अमेरिका में 5 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने हैं। मुकाबला रिपब्लिकन नेता डोनाल्ड ट्रंप और डेमोक्रेटिक पार्टी से मौजूदा राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच है। चुनाव से 4 महीने पहले शनिवार को डोनाल्ड ट्रंप पर जानलेवा हमला हुआ। हमले के वक्त वो पेंसिल्वेनिया के बटलर शहर में एक चुनावी रैली को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान शूटर ने 400 फीट की दूरी से एआर-15 स्टाइल राइफल से कई राउंड फायरिंग की। ट्रंप की सीक्रेट सर्विस के स्नाइपर्स ने 20 साल के हमलावर को तुरंत ढेर कर दिया। फायरिंग के दौरान एक गोली ट्रंप के दाहिने कान को छूते हुए गुजरी थी। उनके कान से खून निकलती हुई तस्वीरें वायरल हो रही हैं।
इस हमले के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार को रिपब्लिकन नेशनल कन्वेंशन के लिए मिल्वौकी जाते समय न्यूयॉर्क पोस्ट को पहला इंटरव्यू दिया। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा, "मुझे यहां नहीं रहना। मुझे तो मर जाना चाहिए था, लेकिन मुझे लगता है कि मुझे भगवान ने बचा लिया।"
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वाशिंगटन: डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले के बाद सुरक्षा में लगी एजेंसी अब लोगों के निशाने पर है। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अमेरिका के पेंसिल्वेनिया में रैली कर रहे थे, तभी उनके ऊपर फायरिंग हुई। गोली ट्रंप के कान से होते हुए निकल गई, गनीमत रही कि बड़ा नुकसान नहीं हुआ। अब लोग उनकी सुरक्षा में लगी 'सीक्रेट सर्विस' पर सवाल उठा रहे हैं। कई तो एजेंसी के डायरेक्टर से इस्तीफे की मांग कर रहे हैं, क्योंकि रैली के दौरान भी सुरक्षा एजेंसी के एजेंट भी साथ ही थे। वहीं, किंबरली ए चीटल सीक्रेट सर्विस की डायरेक्टर हैं। उन पर ही सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि कई लोग दावे कर रहे हैं कि गोलीबारी से ठीक पहले सीक्रेट सर्विस को घटनास्थल पर संदिग्ध शख्स की मौजदूगी के बारे में बताया गया था, लेकिन इस पर कोई एक्शन नहीं हुआ।
1865 में शुरू हुई सीक्रेट सर्विस को डॉलर की जालसाजी को रोकने के लिए बनाया गया था। लेकिन 1901 में तत्कालीन राष्ट्रपति विलियम मैकिनले की न्यूयॉर्क में हत्या कर दी गई। इसके बाद सीक्रेट सर्विस को फेक करंसी का चलन रोकने के साथ राष्ट्रपति की सुरक्षा की जिम्मेदारी दी गई।
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मॉस्को: ट्रंप पर हमले के कुछ घंटे बाद ही रूस ने इसके लिए बाइडन सरकार को जिम्मेदार ठहरा दिया। रूस का कहना है कि बाइडन सरकार ने ऐसा माहौल बना दिया है, जिसकी वजह से ट्रंप पर यह हमला हुआ। रूस के प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने कहा कि यह बाहर बैठे सभी समीक्षक जानते थे कि ट्रंप की जान को खतरा है।
हम जानते थे उनकी जान को खतरा है: रूस
बता दें कि रविवार को पेन्सिल्वेनिया में एक रैली के दौरान डोनाल्ड ट्रंप पर हमला हुआ। हालांकि इस हमले में ट्रंप की जान बाल-बाल बच गई और उन पर चलाई गई गोली कान छूकर निकल गई। इस हमले में रैली में मौजूद एक शख्स की मौत हो गई और दो अन्य लोग घायल हो गए। एफबीआई ने हमलावर की पहचान 20 साल के थॉमस मैथ्यू क्रुक्स के रूप में की है, जिसे मौके पर ही ढेर कर दिया गया। अभी तक हमले के पीछे की वजह का खुलासा नहीं हुआ है और इसकी जांच चल रही है।
रूसी प्रवक्ता ने कहा कि 'हम ये नहीं मानते कि ट्रंप पर जो हमला हुआ, उसके पीछे सरकार है, लेकिन ये जरूर है कि मौजूदा सरकार ने ऐसा माहौल बनाया है, जिसके चलते हमला हुआ और जिससे आज अमेरिका जूझ रहा है।'
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