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मुंबई: कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे सरकारी मुलाजिमों को महाराष्ट्र सरकार ने पहले झटका दिया लेकिन जब इसका विरोध शुरू हुआ तो सरकार बैकफुट पर आ गई। राज्य सरकार निजी कंपनियों से अपील कर रही है कि कोरोना की वजह से कर्मचारियों के वेतन में कटौती ना की जाए। वहीं, सरकार ने मंगलवार की दोपहर परिपत्रक जारी कर अपने ही कर्मचारियों के वेतन पर कैंची चला दी थी। लेकिन, देर शाम मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस तुगलकी फरमान को वापस लेने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि किसी का भी वेतन नहीं काटा जाएगा। राज्य की खराब आर्थिक परिस्थिति के मद्देनजर दो चरणों में वेतन दिया जाएगा।

इससे पहले महाराष्ट्र सरकार ने मुख्यमंत्री से लेकर सी ग्रेड के कर्मचारियों तक के मार्च के वेतन में कटौती का आदेश जारी कर दिया है। वेतन में कटौती 25 से 60 फीसदी तक होगी। हालांकि डी ग्रेड के कर्मचारियों के वेतन में कोई कटौती नहीं की गई थी। महाराष्ट्र में तीन दलों (शिवसेना,कांग्रेस,एनसीपी) की महाविकास आघाड़ी सरकार में उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजीत पवार ने मंगलवार को वेतन कटौती की घोषणा थी।

नई दिल्ली: कोरोना के सैकड़ों मामले सामने आने के बाद भी लोगों में लापरवाही के कई मामले सामने आ रहे हैं। देश में इतनी जागरुकता फैलाने के बाद भी कई लोग कोरोना से संक्रमित होने के बाद भी घर से बाहर निकल रहे हैं। शानिवार को दिल्ली राजधानी से एक शादीशुदा जोड़े को तब उतारा गया जब दूसरे यात्रियों ने पति के हाथ में होम क्वैरैंटीन का स्टाम्प देखा। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ये शादीशुदा जोड़े ने सिकंदराबाद से बंगलुरू-दिल्ली राजधानी पकड़ी थी।

सुबह 9.45 पर ट्रेन तेलंगाना के काजीपट पहूंची, जहां एक यात्री ने उस लड़के के हाथ पर लगा संदिग्ध क्वैरैंटीन निशान देखा। कोरोना के इस संदिग्ध निशान को देखते ही अन्य यात्रियों ने अधिकारियों को इस बारे में सूचित किया।रेलवे अधिकारियों ने जानकारी दी कि जल्द ही ट्रेन की निगरानी शुरू कर दी गई और उस जोड़े को अस्पताल में भर्ती करा दिया गया। काजीपट में ही पूरी ट्रेन को साफ करने के बाद बंद कर दिया गया। साथ ही एहतियात के तौर पर एयर कंडीशनर को भी बंद कर दिया गया। बाद में 11.30 बजे राजधानी ट्रेन ने अपनी यात्रा दोबारा शुरू की।

हैदराबाद: तेलंगाना विधानसभा में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव पारित हुआ है। मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने विधानसभा में कहा कि लाखों लोग हैं जिनके पास सही दस्तावेज नहीं हैं। इसलिए केंद्र सरकार को सीएए के बारे में सोचना चाहिए। इससे पहले दिसंबर में केरल विधानसभा ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को रद्द करने की मांग वाला प्रस्ताव पारित किया था। सत्तारूढ़ सीपीएम के नेतृत्व वाले गठबंधन एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन यूडीएफ ने विधानसभा में सीएए के विरोध में पेश प्रस्ताव का समर्थन किया, जबकि भाजपा के एकमात्र सदस्य ने इसका विरोध किया।

बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार (12 मार्च) को राज्यसभा में जानकारी दी थी कि राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) को अपडेट करने के लिए किसी तरह के दस्तावेज को दिखाने की जरूरत नहीं है और जो कुछ जानकारी मांगी जा रही है वो वैकल्पिक हैं।

हैदराबाद: तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने शनिवार (7 मार्च) को राज्य विधानसभा में खुलासा किया कि उनके पास भी कोई जन्म प्रमाणपत्र नहीं है। राव ने राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) के नए प्रारूप का जिक्र करते हुए कहा, “जब मेरे खुद के पास जन्म प्रमाणपत्र नहीं है तो मैं अपने पिता का प्रमाणपत्र कहां से लाऊंगा।” नया प्रारूप 1 अप्रैल से लागू होना है। मुख्यमंत्री के तौर पर खासे लोकप्रिय, 66 वर्षीय केसीआर ने आगे कहा, “यह मेरे लिए भी चिंता की बात है। मैं गांव में अपने घर पर पैदा हुआ था। उस वक्त वहां कोई अस्पताल नहीं थे। गांव के बुजुर्ग ही 'जन्मनामा' लिखते थे, जिस पर कोई आधिकारिक मुहर नहीं होती थी।”

उन्होंने कहा, “जब मैं पैदा हुआ था, हमारे पास 580 एकड़ जमीन थी और एक इमारत भी थी। जब मैं अपना जन्म प्रमाणपत्र पेश नहीं कर पा रहा तो दलित, आदिवासी और गरीब लोग कहां से जन्म प्रमाणपत्र लाएंगे।” दिन में दूसरी बार सदन में इस मुद्दे पर बोलते हुए केसीआर ने कहा कि तेलंगाना राष्ट्र समिति की अपनी कुछ प्राथमिकताएं और सिद्धांत हैं, जिनसे वह कभी समझौता नहीं करेंगे।

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