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हैदराबाद: हैदराबाद हाईकोर्ट ने अनुशासनहीनता के आधार पर मंगलवार को नौ और जजों को निलंबित कर दिया। इसके खिलाफ अभूतपूर्व कदम उठाते हुए तेलंगाना में कार्यरत 300 से ज्यादा जज 15 दिन के लिए सामूहिक छुट्टी पर चले गए हैं। वारंगल में प्रदर्शनकारियों ने कोर्ट हॉल और फर्नीचर को नुकसान पहुंचाया। हाईकोर्ट ने सोमवार को भी दो जजों को निलंबित किया था। अब तक राज्य में 11 जज निलंबित किए जा चुके हैं। तेलंगाना जजेज एसोसिएशन के बैनर के तहत रविवार को सौ से अधिक जजों ने जुलूस निकाला था और राज्यपाल को जजों के अस्थायी आवंटन के खिलाफ ज्ञापन सौंपा था। वहीं दूसरी ओर, हैदराबाद हाईकोर्ट का कहना है कि वह जजों के प्रदर्शनों में शामिल होने और आचार संहिता के उल्लंघन के मामलों को कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। आंध्र और तेलंगाना के बीच जजों के आवंटन के खिलाफ आंदोलन हो रहा है। तेलंगाना के वकील और न्यायिक कर्मचारी आंध्र के न्यायिक अधिकारियों को तेलंगाना की कोर्ट में तैनाती का विरोध कर रहे हैं। दोनों राज्यों के बीच पानी, हैदराबाद में जमीन आदि को लेकर विवाद होता रहा है। हैदराबाद 2024 तक दोनों की राजधानी रहेगा। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव का कहना है कि राज्य के जजों को न्याय दिलाने के लिए यह मुद्दा केंद्र से उठाएंगे। वहीं सूत्रों का कहना है कि राव सांसदों और विधायकों के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर भी बैठक सकते हैं।

हैदराबाद: प्रसिद्ध वैज्ञानिक और परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) के सदस्य एम आर श्रीनिवासन ने कहा है कि केंद्र का परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) की सदस्यता के मुद्दे पर जोर देना अनावश्यक, अवांछित और गलत सलाह थी। उन्होंने कहा कि यदि इस बारे में परमाणु ऊर्जा आयोग (एईसी) से सलाह ली जाती तो वह सरकार को इससे बचने को कहता। एईसी परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के अधीन आता है। एईसी देश में परमाणु ऊर्जा संबंधी गतिविधियां देखता है। एईसी के पूर्व प्रमुख श्रीनिवासन ने कहा कि एनएसजी की सदस्यता से भारत के परमाणु व्यापार पर कोई अंतर नहीं पड़ता क्योंकि भारत ने रियेक्टरों और यूरेनियम की आपूर्ति के लिए दूसरों देशों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किया हुआ है। उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा, 'भारत ने एनएसजी में प्रवेश को एक बड़ा मुद्दा बना दिया। यह बिल्कुल अनावश्यक था क्योंकि 2008 में मिली छूट से हम पहले ही परमाणु उन्नत देशों के साथ परमाणु व्यापार करने में सक्षम हैं और हम रियेक्टर परियोजनाओं के लिए पहले ही रूस, फ्रांस एवं अमेरिका से समझौते कर चुके हैं।' श्रीनिवासन ने कहा कि भारत ने कजाकिस्तान, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के साथ यूरेनियम की खरीद के लिए समझौता भी किया हुआ है।

हैदराबाद: तेलंगाना और आंध्रप्रदेश के बीच न्यायिक अधिकारियों के अंतरिम आवंटन की सूची वापस नहीं लिये जाने के खिलाफ रविवार को न्यायाधीशों ने प्रदर्शन किया। सौ से अधिक न्यायाधीशों ने तेलंगाना जजेज एसोसिएशन के तहत रविवार को यहां गन पार्क से राजभवन तक रैली निकाली और राज्यपाल ई एस एल नरसिम्हन को न्यायिक अधिकारियों के अंतरिम आवंटन के खिलाफ एक ज्ञापन दिया। एसोसिएशन के एक प्रतिनिधि ने कहा कि इसके पहले यहां एक बैठक में तेलंगाना के करीब 125 न्यायिक अधिकारियों ने तेलंगाना जजेज एसोसिएशन के अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भी दिया और उन्हें इस बात के लिए अधिकृत किया कि यदि उनकी मांगे नहीं मानी गईं तो वह जब भी जरूरी समझें, वह राज्यपाल को इस्तीफे सौंप दें। उन्होंने कहा, 'हम अपनी मांग पूरी होने के लिए एक सप्‍ताह इंतजार करेंगे।'

हैदराबाद: एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने सोमवार को कहा कि भारत जैसे बहुलवादी और विविधतापूर्ण देश में समान नागरिक संहिता लागू नहीं की जा सकती। हैदराबाद के सांसद ओवैसी से जब पूछा गया कि क्या उनकी पार्टी इस विषय पर बहस के पक्ष में है, तो उन्होंने कहा, 'क्या संघ परिवार हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) कर रियायत को छोड़ने के लिए तैयार होगा, जो उन्हें मिल रही है?' उन्होंने कहा, 'हमारे संविधान में 16 नीति-निर्देशक सिद्धांत हैं। इनमें से एक पूरी तरह शराब निषेध के बारे में बात करता है। हम इसके बारे में बात क्यों नहीं करते और पूरे भारत में संपूर्ण मद्यनिषेध क्यों नहीं कराते क्योंकि नीति-निर्देशक सिद्धांत के रूप में भी इसका उल्लेख है।' ओवैसी ने कहा कि इस तरह के आंकड़े हैं कि कई महिलाओं को प्रताड़ित किया जा रहा है या उनके शराबी पति उन्हें पीट रहे हैं और सड़क दुर्घटनाओं की बड़ी वजह में भी नशे में गाड़ी चलाना शामिल है। ओवैसी ने यह भी कहा कि संविधान के अनुच्छेद 371 की एक धारा नगा और मिजो नागरिकों को विशेष प्रावधान प्रदान करती है। उन्होंने कहा, 'क्या आप इसे भी हटा देंगे।' एआईएमआईएम सांसद ने कहा, ' ये सवाल पूछे जाने चाहिए और भारत जैसे बहुलवादी और विविधतापूर्ण देश में आप समान नागरिक संहिता नहीं लागू कर सकते क्योंकि यह भारत की शक्ति है।' ओवैसी ने कहा, 'हम अपने बहुलवाद को मानते हैं क्योंकि यह देश धर्म को मानता है। आप एक समान नागरिक संहिता नहीं लागू कर सकते।

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