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कश्मीर पर दूसरे देश की मध्यस्थता भारत को मंजूर नहीं: विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली: दूरसंचार नियामक ट्राई ने इंटरनेट सेवाओं के मोबाइल रिचार्ज वाउचरों की वैधता अवधि को 90 दिन से बढाकर 365 दिन करने का प्रस्ताव किया है, ताकि छोटे ग्राहकों द्वारा इनका इस्तेमाल बढ़ाया जा सके। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) ने एक बयान में यह जानकारी दी है। ट्राई ने कहा है, 'मुद्दे के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन करने के बाद प्राधिकार का मानना है कि मौजूदा 90 दिन के बजाय 365 दिन की वैधता छोटे, पहली बार इस्तेमाल करने वाले व कीमतों पर जोर देने वाले ग्राहकों के लिए फायदेमंद होगी।' इस बारे में 26 जुलाई तक आम लोगों से राय मांगी गई है।

वाशिंगटन: अमेरिका ने कहा है कि भारत की वृद्धि दर बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई हो सकती है। साथ ही कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार आर्थिक सुधार के संबंध में अपने वादों को पूरा करने की दिशा में धीमी रही है हालांकि उसने नौकरशाही और एफडीआई की रोक कम करने की प्रशंसा की है। विभिन्न किस्म के आर्थिक सुधार और विशेष तौर पर नौकरशाही के फैसलों को व्यवस्थित करने और कुछ क्षेत्रों में एफडीआई सीमा बढ़ाने की प्रशंसा करते हुए अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कल एक रपट में कहा कि प्रस्तावित आर्थिक सुधार के संबंध में मोदी सरकार की प्रगति धीमी रही है। रपट में कहा गया कि कई प्रस्तावित सुधारों को संसद में पारित होने के लिए संघर्ष करना पड़ा। इसमें कहा गया कि इसके कारण भाजपा नीत सरकार के समर्थन में आगे आए कई निवेश पीछे हट रहे हैं। रपट के मुताबिक सरकार संसद में भूमि अधिग्रहण विधेयक पर पर्याप्त समर्थन हासिल करने में नाकाम रही और वस्तु एवं सेवा कर के ब्योरों के संबंध में विपक्षी दलों के साथ अभी भी विचार-विमर्श कर रही है। यदि इसे कमजोर न बना दिया गया तो यह भारत के पेचीदे कर ढांचे का व्यवस्थित कर सकता है और सकल घरेलू उत्पाद को तुरंत प्रोत्साहन प्रदान कर सकता है। विदेश विभाग के आर्थिक एवं कारोबार ब्यूरो की इस रपट में कहा गया, स्पष्ट रूप से भारत विश्व की सबसे अधिक तेजी से वृद्धि दर्ज करती अर्थव्यवस्था है लेकिन निवेशकों के रूझान में नरमी से संकेत मिलता है कि करीब 7.5 प्रतिशत की वृद्धि दर वास्तविकता से अधिक बताई गई हो सकती है।

नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि राजमागो’ निर्माण श्रमिकों को उनके प्रशिक्षण के दौरान 15,000 रुपये का मानदेय (स्टाइपेंड) दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण के दौरान उन्हें होने वाले न्यूनतम मासिक मजदूरी के नुकसान के मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा। इसके पहले चरण में 20,000 श्रमिकों को प्रशिक्षण दिया जाना है। गडकरी ने यह बात यहां मंत्रालय के अधिकारियों, राष्ट्रीय राजमार्ग निर्माता महासंघ और कई प्रशिक्षण संस्थानों के प्रतिनिधियों की बैठक में कही। उन्होंने कहा, ‘उनका मंत्रालय प्रत्येक प्रशिक्षु को 15,000 रुपये (न्यूनतम मजदूरी के आधार पर) मानदेय देगा ताकि प्रशिक्षण अवधि में उन्हें होने वाले मेहनताने के नुकसान की भरपाई की जा सके। यह राशि सीधे उनके आधार से जुड़े खाते में हस्तांतरित कर दी जाएगी।’ गडकरी ने विकासकर्ताओं और कौशल प्रशिक्षण संस्थानों से राजामार्ग निर्माण में स्थानीय और बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षित करने के लिए आगे आने को कहा साथ ही वर्तमान श्रमिकों के कौशल उन्नयन के लिए भी अनुरोध किया। गडकरी ने कहा कि राजमार्ग के लिए निविदा पाने वाले प्रत्येक ठेकेदार के लिए यह आवश्यक बनाया जाएगा कि परियोजना पर प्रत्येक एक करोड़ के खर्च के लिए वह कम से कम 10 श्रमिकों को प्रशिक्षण प्रदान करे।

रायपुर: केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था किसी भी विपरीत परिस्थिति से जूझने में सक्षम है। जेटली ने सोमवार को रायपुर में आयोजित पहली राष्ट्रीय खनिज संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि पूरे विश्व में खनिज क्षेत्र में मंदी का दौर है। खनिज पदार्थों के दाम लगातार गिर रहे हैं। उन्होंने कहा, पूरा विश्व इस क्षेत्र में एक चुनौती पूर्ण माहौल से गुजर रहा है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था पर इसका प्रभाव नहीं पड़ा है। यहां तक कि जब ब्रिटेन यूरोपियन यूनियन से अलग हुआ तब इसका प्रभाव पूरे विश्व पर पड़ा, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत बनी रही। भारतीय अर्थव्यवस्था किसी भी विपरीत परिस्थिति से जूझने में सक्षम है। जेटली ने कहा कि उतार-चढ़ाव का यह चक्र लगातार चलते रहता है। उन्होंने कहा कि इस साल बारिश के अच्छे आसार हैं, इससे उम्मीद है कि भारत की विकास दर और तेजी से बढ़ेगी। केन्द्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले दो सालों में देश की खनिज नीति में अनेक सकारात्मक बदलाव किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने खदानों के आवंटन में मनमानी की गुंजाईश को पूरी तरह समाप्त कर दिया है। खदानों के आवंटन में 'पहले आओ पहले पाओ' की नीति को बदल दिया गया है। अब खदान आवंटन की पूरी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाते हुए नीलामी के माध्यम से खदानों का आवंटन किया जा रहा है।

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