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वाशिंगटन: 5 मिलियन डॉलर खर्च करके अमेरिकी नागरिकता हासिल करें, यह डोनाल्ड ट्रंप की अमीर निवेशकों को आकर्षित करके पैसा कमाने की नवीनतम योजना है। हालांकि, यदि यह लागू हो जाती है, तो यह लंबे समय से ग्रीन कार्ड की कोशिशों में जुटे भारतीय पेशेवरों की परेशानियों को और बढ़ा देगी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को, अमेरिकी राष्ट्रपति ने 'ट्रंप गोल्ड कार्ड' की योजना की घोषणा की। उन्होंने कहा, "यह 5 मिलियन डॉलर (43.54 करोड़ रुपये) के शुल्क पर अप्रवासियों के लिए अमेरिकी निवास परमिट प्राप्त करने का एक मार्ग है।" ट्रंप ने कहा कि यह मौजूदा 35 वर्ष पुराने ईबी-5 वीजा प्रोग्राम की जगह लेगा, जो अमेरिकी व्यवसायों में करीब 1 मिलियन डॉलर का निवेश करने वाले विदेशियों के लिए उपलब्ध है।
अमेरिकी राष्ट्रपति की 'सब कुछ व्यवसायिक' मानसिकता से प्रेरित नया प्रोग्राम अप्रैल तक लागू हो सकता है। इसमें शुरुआत में लगभग 10 मिलियन 'गोल्ड कार्ड वीजा' उपलब्ध होने की संभावना है। ट्रंप ने कहा, "इस कार्ड को खरीदकर अमीर लोग हमारे देश में आएंगे। वे अमीर और कामयाब होंगे।"
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लंदन: संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीबी) में सोमवार (24 फरवरी) को यूक्रेन से रूसी सैनिकों की तत्काल वापसी का प्रस्ताव पास कर दिया गया। यूक्रेन के लिहाज से यह एक अच्छी खबर जरूर है, लेकिन इस बार पास हुआ प्रस्ताव यूक्रेन को कम होते समर्थन को भी दर्शाता है। दरअसल, इस प्रस्ताव को 93 देशों का समर्थन मिला, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया और 65 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। यानि करीब 83 देश तीन साल से युद्ध झेल रहे यूक्रेन के साथ खड़े नहीं हैं।
भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया
अमेरिका ने यह प्रस्ताव पेश किया था, जिसे यूरोपिय देशों द्वारा सुझाए गए संशोधनों के साथ पारित कर दिया गया। प्रस्ताव में युद्ध को पूरी तरह खत्म करने के लिए शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया गया है। प्रस्ताव ऐसे दिन पेश किया गया, जब इस युद्ध को शुरू हुए पूरे 3 साल हो चुके हैं। दरअसल, रूस ने 24 फरवरी 2022 को ही यूक्रेन के खिलाफ जंग का एलान किया था। शुरुआत में तो रूस को तेजी से सफलता मिली, लेकिन बाद में यूक्रेन ने उसे अच्छी टक्कर दी। यूक्रेन को इस युद्ध में अमेरिका और कई यूरोपिय देशों का सपोर्ट मिल रहा है।
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वाशिंगटन: अमेरिका द्वारा लगातार ऐसे बायन दिए जा रहा हैं और कदम उठाए जा रहे हैं, जिसका असर सीधे तौर पर भारत पर पड़ा रह है। अब अमेरिका ने एक और बड़ा कदम उठाया है। अमेरिका ने चार भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इन कंपनियों को ईरान से संबंध की सजा दी गई है।
ईरान से संबंधों की दी सजा
दरअसल अमेरिका ने ईरान को कमजोर करने के लिए उसके पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल इंडस्ट्रीज से जुड़ी 16 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए हैं। इस सूची में यह चार भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं। अमेरिकी वित्त विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जिन भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए गए हैं, उनमें कॉसमॉस लाइन्स इंक, बीएसएम मरीन एलएलपी, ऑस्टिनशिप मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड और फ्लक्स मैरीटाइम एलएलपी शामिल हैं।
अमेरिका द्वारा भारतीय कंपनियों पर लगाए प्रतिबंध पर अब तक भारत की ओर से कोई कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। भारत के ईरान और अमेरिका दोनों बेहतर संबंध हैं।
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लंदन: संयुक्त राष्ट्र महासभा ने सोमवार को यूक्रेन के एक प्रस्ताव को मंजूरी दी, जिसमें तीन साल पहले हुए रूस के आक्रमण के बाद से सभी रूसी सैनिकों की तत्काल यूक्रेन से वापसी की मांग की गई थी। इस प्रस्ताव के पक्ष में 93 देशों ने मतदान किया, जबकि 18 देशों ने इसका विरोध किया।
बता दें कि इस बैठक में भारत सहित 65 देशों ने मतदान में भाग नहीं लिया। हालांकि, यह प्रस्ताव कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इसे वैश्विक समुदाय का रुख और जनमत का एक महत्वपूर्ण संकेत माना जाता है।
यूएन महासचिव गुटेरेस ने सभी देशों से सहयोग की अपील की
यह प्रस्ताव रूस-यूक्रेन युद्ध की तीसरी वर्षगांठ पर पेश किया गया था। संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इस अवसर पर कहा कि यूक्रेन में जारी युद्ध न केवल यूरोप की शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि यह संयुक्त राष्ट्र की नींव और सिद्धांतों के लिए भी एक गंभीर चुनौती है। उन्होंने युद्ध को जल्द समाप्त करने के लिए सभी देशों से सहयोग की अपील की।
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