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बीजिंग: भारत और चीन ने जटिल सीमा विवाद हल करने के लिए और एक निष्पक्ष, तर्कसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के लिए 'शांतिपूर्ण बातचीत' के प्रति कायम रहने की सहमति जताई। यह सहमति ऐसे समय में बनी जब जैश-ए-मोहम्मद के प्रमुख मसूद अजहर पर संयुक्त राष्ट्र में प्रतिबंध लगाने की भारत की कोशिशों में चीन की अड़ंगेबाजी से नकारात्मक माहौल है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने सीमा विवाद हल करने के तरीकों पर चर्चा करने के लिए चीन के उनके समकक्ष यांग जिची से यहां 19वें दौर की सालाना वार्ता की, जिसमें यह फैसला हुआ। दोनों ने 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर विस्तृत, गहन और स्पष्ट विचार-विमर्श किया, जिसका सीमा निर्धारण नहीं होने की वजह से दोनों पक्षों के बीच तनाव है। चीन के विदेश मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने सीमा के सवाल का हल निकालने के लिए शांतिपूर्ण वार्ता करने पर कायम रहने की सहमति जताई। वे एक निष्पक्ष, तर्कसंगत और परस्पर स्वीकार्य समाधान पर पहुंचने के प्रयास करेंगे। डोभाल और जिची सीमा विवाद पर वार्ता करने के लिए अपने-अपने देशों के विशेष प्रतिनिधि हैं।
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज (गुरूवार) लोक सेवकों से कहा कि वे बंद दायरे में काम करने की बजाए देश के विकास और लोगों के कल्याण के लिए बदलाव के वाहक बने । लोक सेवा दिवस पर लोक सेवकों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने उनसे वृहद, बेहतर परिणाम के लिए जनभागीदारी को प्रोत्साहित करने के साथ बदलाव लाने के लिए प्रयोग करने को कहा । मोदी ने कहा, ‘ कुछ लोग बंद दायरे में एकाकी रूप से काम करते हैं। हमें एकाकी रूप से काम करने की बजाए टीम के रूप में काम करने से अधिक परिणाम प्राप्त होते हैं। हमें बंद दायरे से बाहर निकलने की जरूरत है और राष्ट्र निर्माण के लिए एक टीम के रूप में साथ मिलकर काम करने की जरूरत है। ’ उन्होंने कहा कि लोक सेवकों का कार्य पहले नियामक की तरह था लेकिन कुछ समय के बाद यह भूमिका बदलकर प्रशासक और फिर नियंत्रक की हो गई । प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ समय जब फिर बदला तब आप (लोक सेवकों) ने प्रबंधन कौशल हासिल करने के बारे में सोचा । समय बदल रह है। केवल प्रशासक और नियंत्रक होना पर्याप्त नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति की यह जरूरत है और हर स्तर पर जरूरी है कि आप बदलाव के वाहक बने । ’
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार को दुनिया के उन महत्वपूर्ण नेताओं में शामिल हो गए, जिनकी मोम की प्रतिमा मैडम तुसाद के सिंगापुर, हांगकांग और बैंकॉक के संग्रहालय में लगी हैं। पीएम मोदी की मोम की प्रतिमा को सोमवार को उनके 7, रेसकोर्स रोड आवास पर दिखाया गया था। यह प्रतिमा लंदन में मैडम तुसाद के मुख्यालय में लगेगी और लोग इसे 28 अप्रैल को देख सकेंगे। प्रतिमा में मोदी को हाथ जोड़कर 'नमस्ते' करते दिखाया गया है, जो उजला कुर्ता और क्रीम रंग की जैकेट में हैं। मैडम तुसाद की तरफ से लगाए गए एक वीडियो में पीएम मोदी कह रहे हैं, 'मैं क्या कह सकता हूं? जहां तक कला की बात है तो मैडम तुसाद की टीम जो करती है, वह अद्भुत है। भगवान ब्रह्मा जो करते हैं, वही सामान्यत: कलाकार करते हैं। आज मुझे लोगों के मुख्य सेवक के तौर पर अपनी मोम की प्रतिमा से मिलने का अवसर मिला।' चारों प्रतिमाओं को बनाने में विश्व प्रसिद्ध संग्रहालय के कलाकारों की टीम को चार महीने का समय लगा और इस पर 1,50,000 पौंड का खर्च आया। वीडियो तब रिकार्ड किया गया जब उन्हें यह दिखाया गया था। इसमें प्रधानमंत्री करीब से प्रतिमा को देखते हुए नजर आते हैं।
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नई दिल्ली: बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के मकसद से केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने सुझाव दिया है कि शिक्षकों को उच्च कक्षा के छात्रों को वजनदार पुस्तकें लाने के प्रति हतोत्साहित करना चाहिए, जबकि स्कूलों को कक्षा दो तक स्कूल में ही पुस्तकें रखनी चाहिए। सीबीएसई के परिपत्र में कहा गया है कि सीबीएसई ने कई सुझाव दिए हैं, जिसमें स्कूलों के प्रमुखों और शिक्षकों को यह सुझाव दिया गया है कि उच्च कक्षा के छात्रों को टाइम टेबल (समयसारणी) के अनुरूप ही पुस्तकें लाने को कहा जाए और स्कूलों में वजनदार सहयोगी पाठ्यपुस्तकें या पाठ्यसामग्री लाने को हतोत्साहित करना चाहिए। इसमें कहा गया है कि जितना संभव हो सूचना संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) आधारित सीखने की पद्धति को प्रोत्साहित करना चाहिए। होमवर्क काफी अधिक न हो और अकादमिक संयोजक या पर्यवेक्षक इसकी निगरानी करें।
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