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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने विवादों में घिरे दिल्ली हाई कोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा के ट्रांसफर की सिफारिश कर दी है। केंद्र सरकार को भेजी गई इस सिफारिश में जस्टिस वर्मा को इलाहाबाद हाई कोर्ट भेजने की बात कही गई है। जस्टिस वर्मा के घर से बड़ी मात्रा में कैश बरामद होने का आरोप है।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना पहले ही मामले की जांच के लिए 3 जजों की कमेटी बना चुके हैं।

जस्टिस यशवंत वर्मा मूल रूप से इलाहाबाद हाई कोर्ट के ही हैं। 2021 में उनका ट्रांसफर दिल्ली हाई कोर्ट में हुआ था। यहां वह वरिष्ठता क्रम में तीसरे नंबर पर थे। 14 मार्च की रात उनके सरकारी आवास पर आग की सूचना मिलने पर पहुंचे पुलिस और दमकल विभाग के कर्मचारियों ने वहां बड़ी मात्रा में जले हुआ कैश देखा। इसकी तस्वीरें और वीडियो दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को भेजी गई। उनके पास से मामला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के पास पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 20 मार्च को ही एक शुरुआती कदम के तौर पर जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाई कोर्ट करने की बात कही थी।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस यशवंत वर्मा के घर पर कथित तौर पर भारी मात्रा में नकदी मिलने के मामले में दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की रिपोर्ट सार्वजनिक कर दी। शनिवार देर रात सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर जांच रिपोर्ट अपलोड की, जिसमें फोटो और वीडियो भी शामिल हैं।

जांच रिपोर्ट भी वेबसाइट पर डाली

25 पन्नों की रिपोर्ट में की गई सिफारिश के अनुसार, भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) संजीव खन्ना ने जांच के लिए एक आंतरिक समिति गठित की और दिल्ली हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय से कहा कि वह जस्टिस वर्मा को कोई न्यायिक कार्य न सौंपें। इस रिपोर्ट में होली की रात 14 मार्च को जस्टिस वर्मा के घर के स्टोररूम में कथित रूप से मिली नकदी की तस्वीरें और वीडियो शामिल हैं, जब घर में आग लगी थी।

रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा का जवाब भी शामिल है। जस्टिस वर्मा ने साफ किया है कि स्टोररूम में उनके या उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा कभी भी कोई नकदी नहीं रखी गई थी।

नई दिल्ली: जस्टिस यशवंत वर्मा नकद बरामदगी मामले में सीजेआई संजीव खन्ना ने बड़ा कदम उठाया है। अब इस मामले से जुड़ी दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की रिपोर्ट सार्वजनिक होगी। ⁠जस्टिस वर्मा का जवाब भी पब्लिक होगा। ⁠मामले से जुड़े दस्तावेज भी वेबसाइट पर होंगे। दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट, जस्टिस यशवंत वर्मा का जवाब और अन्य दस्तावेज सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए जा रहे हैं।

जांच पूरी होने तक जस्टिस वर्मा कोई न्यायिक कामकाज नहीं कर पाएंगे। न्यायपालिका का पक्ष सबके सामने रखने के लिए सीजेआई संजीव खन्ना ने सारा रिकॉर्ड सार्वजनिक करने का फैसला किया है। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार सभी दस्तावेज पब्लिक किए जाएंगे।

सीजेआई संजीव खन्ना ने आरोपों की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की है। इसमें पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस शील नागू, हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति जी.एस. संधावालिया और कर्नाटक उच्च न्यायालय की न्यायाधीश अनु शिवरामन शामिल हैं।

चेन्नई: परिसीमन के मुद्दे पर अब तक दक्षिण भारतीय राज्यों के नेताओं की ओर से केवल बयान आ रहे थे, लेकिन अब इस मुद्दे पर आर-पार की लड़ाई का आगाज हो गया है। चेन्नई में आज (22 मार्च) इस मुद्दे पर बड़ी बैठक हुई। इसमें पांच राज्यों के सीएम और डिप्टी सीएम ने हिस्सा लिया। तीन अन्य राज्यों से भी नेताओं ने इस बैठक में शिरकत की। 

तमिलनाडु सीएम एमके स्टालिन के नेतृत्व में यह बैठक आयोजित हुई। इसमें केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन, तेलंगाना सीएम रेवंत रेड्डी, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान और कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने हिस्सा लिया। ओडिशा की विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल और आंध्र प्रदेश के विपक्षी दल वाईएसआर-कांग्रेस की ओर से भी प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सभी ने अपने-अपने तथ्यों के साथ परिसीमन का विरोध किया।

मुख्यमंत्री स्टालिन ने बैठक को संबोधित करते हुए राजनीतिक और कानूनी कार्ययोजना तैयार करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति गठित करने का समर्थन किया।

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