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जयपुर: राजस्थान की छह जिला परिषदों में कांग्रेस और भाजपा को अपने ही पार्षदों की क्रॉस वोटिंग का खामियाजा भुगतना पड़ा। पार्षदों ने राजनीतिक तोड़फोड़ करके अपनी ही पार्टी के प्रत्याशी को हराने के लिए क्रॉस वोटिंग कर दी। पंचायत राज और स्थानीय निकायों में दल-बदल कानून नहीं होने के कारण चुने हुए जनप्रतिनिधियों ने अपनी मनमर्जी से वोटिंग की। प्रदेश की छह जिला परिषदों में क्रॉस वोटिंग के चलते जिला प्रमुख की जीत की तस्वीर ही बदल गई।

अजमेर: जिला परिषद के 32 वार्डों में 21 भाजपा व 11 वार्ड कांग्रेस के खाते में गए थे। भाजपा ने यहां महेंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया, लेकिन बागी सुशील कंवर पलाड़ा ने निर्दलीय परचा भर दिया। भाजपा के 12 पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग कर निर्दलीय सुशील कंवर पलाड़ा को जिला प्रमुख बना दिया।

बूंदी: यहां पर 23 वार्ड में से 12 वार्ड पर भाजपा व 11 वार्ड कांग्रेस के खाते में गए थे। यहां भी भाजपा ने पुरुषोत्तम को जिला प्रमुख प्रत्याशी बनाया, लेकिन भाजपा की ही चंद्रावती ने निर्दलीय फार्म भर दिया। यहां पर चंद्रावती सहित भाजपा के दो सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग की।

जयपुर: बिहार विधानसभा चुनाव, विधानसभा उप चुनाव और ग्रेटर हैदराबाद निगम चुनाव के बाद राजस्थान पंचायत चुनाव में भी कांग्रेस पार्टी का खराब प्रदर्शन का दौर जारी है। राजस्थान पंचायत चुनाव में राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के टोंक जिले में भी कांग्रेस अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी है। इतना ही नहीं खुद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा अपने जिले सीकर में पार्टी को जीत नहीं दिला पाए। वहीं, चिकित्सा मंत्री रघु शर्मा अजमेर में, वन मंत्री सुखराम बिश्नोई सिरोही में, खेल मंत्री अशोक चांदना बंदी में, सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना चित्तौडगढ़ में और हरीश चौधरी बाड़मेर में पार्टी का जिला प्रमुख नहीं बनवा सके।

गौरतलब है कि चुनावों में 10 मंत्रियों की साख दांव पर थी। इनमें से चार मंत्री ही अपनी प्रतिष्ठा बचा सके है। हालांकि बाड़मेर में भाजपा और कांग्रेस को बराबर सीट मिली है। ऐसे में वहां पर एक सीट पर जीत हासिल कर आए आरएलपी के उम्मीदवार पर निर्भर करेगा कि वहां कौन जिला प्रमुख होगा और किसका बोर्ड बनेगा?

जयपुर: भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनियां ने दावा किय कि राज्य के गांवों से लेकर शहरों तक राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है जो विभिन्न जन मुद्दों पर विफल रही है। पूनियां ने आगामी निकाय चुनाव को लेकर पार्टी की ओर से कांग्रेस सरकार के खिलाफ 'ब्लैक पेपर' आनलाइन जारी किया। इस अवसर पर उन्होंने दावा किया, ' गांवों से लेकर शहरों तक कांग्रेस सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर है।'

उन्होंने यह भी दावा किया, 'आमजन में आक्रोश है, बिजली, पानी, सड़क, कानून व्यवस्था, किसान कर्जमाफी, अपराध सहित विभिन्न मुद्दों पर सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है।' उन्होंने कहा कि दो साल में गहलोत सरकार द्वारा शहरी निकायों में पक्षपातपूर्ण रवैये ने विकास कार्यों को अवरूद्ध किया गया जिस पर यह 'ब्लैक पेपर' सवाल खड़े करता है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में तीन महीने के बिजली माफी की मांग जनता उठा रही है लेकिन मुख्यमंत्री आंखों पर पट्टी बांधे हुए हैं।

जयपुर: किसानों के समर्थन में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी आए हैं। उन्होंने ट्वीट करके कहा है कि किसानों की बात केंद्र सरकार ने नहीं सुनी जिसके कारण आज किसान पूरे देश में आंदोलन कर रहे हैं। लोकतंत्र के अंदर संवाद सरकार के साथ इस प्रकार कायम रहते तो यह चक्का जाम के हालात नहीं बनते एवं आम जन को तकलीफ का सामना नहीं करना पड़ता। गहलोत का कहना है कि केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों, किसान सगंठनों, कृषि विशेषज्ञों से बिना चर्चा किए तीनों कृषि बिल बनाए। इन तीनों बिलों को संसद में भी आनन-फानन में बिना चर्चा किये बहुमत के दम पर असंवैधानिक तरीके से पास कराया। जबकि विपक्ष इन बिलों को सेलेक्ट कमेटी को भेजकर चर्चा की मांग कर रहा था। 

उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने इन बिलों पर किसी से कोई चर्चा नहीं की जिसके चलते आज पूरे देश के किसान सड़कों पर हैं। नये किसान कानूनों पर किसानों की बात रखने के लिये पहले पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने महामहिम राष्ट्रपति से मिलने का समय मांगा लेकिन उन्हें समय नहीं दिया गया।

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