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वक्फ कानून के खिलाफ नई याचिका पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट का इंकार

नई दिल्ली: राजस्थान के भरतपुर जिले में गुर्जर समुदाय के सदस्यों ने सोमवार को राज्य में शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण की मांग को लेकर अपना विरोध जारी रखा। उन्होंने प्रशासन के साथ बातचीत करने के लिए किसी भी सरकारी कार्यालय का दौरा करने से भी इंकार कर दिया है। उन्होंने कहा, 'इस बार हमारा प्रतिनिधिमंडल सरकार के साथ बातचीत करने के लिए कहीं नहीं जाएगा। अगर सरकार बात करना चाहती है, तो वे यहां आकर रेलवे ट्रैक पर हमसे मिल सकते हैं”।

जिले के पीलूपुरा गांव में बड़ी संख्या में गुर्जरों ने रविवार को रेलवे ट्रैक पर अपना आंदोलन चलाया था। अधिकारियों ने कहा कि कुछ आंदोलनकारियों द्वारा पीलूपुरा से गुजरने वाली मुंबई-दिल्ली रेल पटरियों को क्षतिग्रस्त करने के बाद विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया। उन्होंने बाद में मुंबई-दिल्ली पटरियों की फिश प्लेट को उखाड़ दिया और कुछ ने बयाना-हिंडौन मार्ग को अवरुद्ध कर दिया। कुछ समय बाद पटरियां साफ हो गईं।

प्रतीकात्मक फोटोजयपुर/नई दिल्ली: हाल ही में मोदी सरकार के द्वारा बनाए गए कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ पंजाब के बाद राजस्थान विधानसभा में भी 3 बिल पास कर दिए गए हैं। राजस्थान विधानसभा ने केंद्र के कृषि कानूनों को राज्य में बेअसर करने के लिए सरकार द्वारा पेश किए गए तीन संशोधन विधेयक सोमवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इस दौरान वॉकआउट किया।

इन विधेयकों पर दिन भर हुई चर्चा के बाद राज्य विधानसभा ने 'कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण)(राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा कर पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 को पारित कर दिया। इन विधेयकों का उद्देश्य केंद्र द्वारा हाल ही में पारित कृषि संबंधी तीन कानूनों का राज्य के किसानों पर प्रभाव 'निष्प्रभावी' करना है। राज्य के संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने शनिवार को सदन में ये विधेयक पेश किए। इनमें मोटे तौर पर यह प्रावधान किया गया है कि एमएसपी से कम दर पर किया गया कोई समझौता वैध नहीं होगा इनमें किसानों के उत्पीड़न पर कम से कम तीन साल की कैद और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना शामिल है।

जयपुर: राजस्थान का विधानसभा का सत्र शनिवार से शुरू हो गया। इस दौरान राज्य की अशोक गहलोत सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि संबंधी कानूनों के खिलाफ संशोधन विधेयक पेश किया। विधेयक को संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने पेश किया। इसके बाद शोकाभिव्यक्ति हुई और सदन की कार्यवाही सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने शुक्रवार को विधानसभा भवन और सदन की व्यवस्थाओं का अवलोकन किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश भी दिए।

केंद्रीय कृषि कानूनों के राज्य के किसानों पर पड़ने वाले असर को ‘निष्प्रभावी’ करने के लिए तीन विधेयक शनिवार को राजस्थान विधानसभा में पेश किए गए। संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020, कृषि (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार (राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 तथा आवश्यक वस्तु (विशेष उपबंध और राजस्थान संशोधन) विधेयक 2020 सदन के पटल पर रखे।

जयपुर: राजस्थान में मास्क को अनिवार्य रूप से लगाने के लिए राज्य सरकार कानूनी प्रावधान करेगी। राजस्थान ऐसा करने वाला संभवत: देश का पहला राज्य होगा। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए राज्य सरकार इस पर विचार कर रही है। इसके लिए आगामी विधानसभा सत्र में विधेयक लाया जाएगा। गहलोत सोमवार शाम को वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में 2 अक्टूबर से चलाए जा रहे ‘नो मास्क-नो एंट्री-कोरोना के विरुद्ध जन आंदोलन’ अभियान को लेकर संवाद कर रहे थे। 

गहलोत ने कहा कि जब तक आमजन में यह जागरुकता नहीं आएगी कि मास्क नहीं पहनने वाला व्यक्ति यदि संक्रमित है तो वह दूसरे व्यक्ति में संक्रमण फैला सकता है, तब तक यह अभियान अपने उद्देश्य में पूरी तरह सफल नहीं होगा। उन्होंने एनसीसी, एनएसएस तथा नेहरू युवा केन्द्र संगठन से जुड़े कैडेट्स एवं वॉलंटियर्स को आह्वान किया कि वे कोरोना को हराने के इस महत्वाकांक्षी अभियान से जन-जन को जोड़ने में सहभागी बनें। 

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