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जयपुर: राजस्थान में जारी सियासी उठापटक को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात की है। गहलोत ने बताया कि उन्होंने राज्यपाल कलराज मिश्र के बारे में रविवार को पीएम मोदी से बात की है और राज्यपाल के 'व्यवहार' के बारे में अवगत कराया है। इसके अलावा अशोक गहलोत राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से भी बात करके उन्हें राज्य की स्थिति की जानकारी देंगे। गहलोत ने कहा, 'मैंने प्रधानमंत्री से कल (रविवार) बात की और राज्यपाल के 'व्यवहार' के बारे में बताया। मैंने सात दिन पहले के पत्र पर भी पीएम मोदी से बात की। उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने उन्हें छह पन्नों का 'प्रेम पत्र' भेजा था।
बता दें कि अभी सोमवार को ही गवर्नर कलराज मिश्र ने विधानसभा सत्र बुलाने की मांग वाली फाइल को लौटा दिया है। गहलोत ने गवर्नर के पास 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने का प्रस्ताव भेजा था। उनके प्रस्ताव को लौटाते हुए गवर्नर ने उनसे दो सवाल पूछे हैं। उन्होंने गहलोत से पूछा है, 'क्या आप 'विश्वास प्रस्ताव' लाना चाहते हैं? क्योंकि प्रस्ताव में आपने इसका ज़िक्र नहीं किया, जबकि आप पब्लिक और मीडिया में कह रहे हैं कि आप 'विश्वास प्रस्ताव' लाएंगे।'
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नई दिल्ली: राजस्थान में जारी सियासी संकट के बीच विधानसभा अध्यक्ष सी पी जोशी ने बागी विधायकों (पायलट खेमा) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका वापस लेने की गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने स्पीकर की ओर से दायर याचिका को वापस लेने की अनुमति दे दी है। स्पीकर की ओर से कपिल सिब्बल ने अदालत से कहा कि वो अपनी याचिका वापस लेना चाहते हैं, क्योंकि हाईकोर्ट ने फैसला सुना दिया है और उनकी याचिका निष्प्रभावी हो चुकी है। जिसके बाद शीर्ष न्यायालय ने विधानसभा अध्यक्ष को अपनी याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी।
कपिल सिब्बल के याचिका वापस लेने के अनुरोध पर सुप्रीम कोर्ट ने नो प्रॉबल्म कहा। महज 3 मिनट की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में यह केस बंद हो गया। सिब्बल ने कहा कि हम याचिका वापस ले रहे हैं तो इसका मतलब ये नहीं कि हम इस मुद्दे को नहीं उठा सकते। सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने का मामला सुप्रीम कोर्ट में जारी रख सकते हैं। सिब्बल ने कहा कि हाईकोर्ट ने शुक्रवार को 32 पेज का आदेश जारी किया है। हम उस पर कानूनी तौर पर विचार कर रहे हैं।
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जयपुर: राजस्थान की राजनीति में ऐसा लग रहा है कि राज्यपाल कलराज मिश्र और सीएम अशोक गहलोत के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। राज्यपाल ने विधानसभा सत्र बुलाने के लिए सीएम अशोक गहलोत के प्रस्ताव पर फिर से मंजूरी देने से इंकार कर दिया है। राज्यपाल की ओर से प्रस्ताव की फाइल कुछ सवाल उठाए गए हैं। बता दें कि सीएम अशोक गहलोत की ओर से शनिवार की रात को प्रस्ताव भेजा गया था कि 31 जुलाई से विधानसभा का सत्र बुलाया जाए।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पिछले हफ्ते से ही विधानसभा बुलाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वो गवर्नर से कई बार मिल चुके हैं। वहीं दबाव बनाने के लिए वो बीते शुक्रवार को अपने विधायकों को लेकर भी राजभवन पहुंचे थे। यहां उनके साथ पहुंचे विधायकों ने राजभवन के अंदर गहलोत के समर्थन में नारे भी लगाए थे, जिसपर राज्यपाल ने गुस्सा दिखाया था। गहलोत ने अपने विधायकों को राजभवन की परेड पर ले जाने के पहले एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा था कि राज्यपाल ऊपरी दबाव में काम कर रहे हैं।
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नई दिल्ली: राजस्थान में सियासी संकट एक नया मोड़ लेता जा रहा है। बहुजन समाज पार्टी से चुने गए छह विधायक जो पिछले साल अगस्त में कांग्रेस के साथ विलय हो गए थे उन्हें पार्टी ने गहलोत सरकार के खिलाफ वोट करने का निर्देश देते हुए व्हीप जारी किया है। बीएसपी टिकट जो पर छह विधायक चुने गए थे वो हैं- आर. गुढ़ा, लखन सिंह, दीप चंद, जेएस अवाना, संदीप कुमार और वाजिब अली।
बीएसपी ने निर्देश देते हुए इन सभी से कहा कि राजस्थान विधान सभा सत्र के दौरान अविश्वासमत प्रस्ताव या किसी तरह की कार्यवाही के दौरान वे कांग्रेस के खिलाफ वोट करें। इससे पहले, बीएसपी प्रमुख मायावती ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर जमकर निशाना साधते हुए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। उन्होंने गहलोत पर दल-बदल कानून का दुरुपयोग करने और अब फोन टैपिंग का आरोप लगाया थी। साथ ही यह भी कहा थी कि लगातार बीएसपी के साथ दगाबाजी की गई है। उन्होंने कहा था कि लोकतंत्र की और अधिक दुर्दशा ना हो इसके लिए राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की जरूरत है।
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