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'संघर्ष विराम में नहीं थी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता': विदेश सचिव मिस्री
मंत्री शाह को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, जांच के लिए एसआईटी गठित

नई दिल्ली: भाजपा सांसद सुब्रमण्‍यम स्वामी ने आज कहा कि वह प्रचार के पीछे नहीं भागते बल्कि प्रचार उनके पीछे बेतहाशा भागता है और इस संदर्भ में उन्होंने अपने दरवाजे के बाहर खड़े बहुत से मीडियाकर्मियों का हवाला दिया। दरअसल पीएम नरेन्द्र मोदी ने स्वामी की कुछ टिप्पणियों को खारिज करते हुए इसे प्रचार पाने का हथकंडा बताया था। उन्होंने कहा कि वह मोदी के समर्थक हैं और उनके हौसले की दाद देते हैं, लेकिन साथ ही उन्होंने उन्हें उकसाने के लिए जान बूझकर झूठी खबरें छापने के लिए मीडिया को भी आड़े हाथों लिया। स्वामी ने ट्वीट किया, नयी समस्या: जब प्रचार लगातार एक राजनीतिज्ञ के पीछे भागता है। 30 ओवी आपके घर के बाहर हैं। चैनलों और पैपराजी के 200 मिस काल्स। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, प्रेस्टीटयूट्स हर रोज जानबूझकर झूठी कहानियां बनाते हैं और यह उम्मीद करते हैं कि मैं उनके उकसावे में आकर जवाब दूंगा। हां, उन्हें ऐसी उम्मीद है। स्वामी ने कहा, मैंने पहले भी कहा है और फिर कहता हूं: चाहे कितनी भी आफतें टूटें, मैं मोदी के साथ हूं। मैं उनके हौसले की दाद देता हूं। कोई विदेशी ताकत उनको झुका नहीं सकती।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): सरकार ने आज (बुधवार) संसद के मॉनसून सत्र का ऐलान कर दिया। संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से शुरू होकर 12 अगस्त तक चलेगा। इस सत्र में कई महत्वपूर्ण बिल के पास होने की उम्मीद की जा रही है जिसमें जीएसटी विधेयक भी शामिल है। सरकार ने कहा कि संसद के मानसून सत्र में जीएसटी विधेयक को पारित कराने के लिए उसके पास ‘पर्याप्त’ समर्थन है। गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई संसदीय मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति की एक बैठक में इस सत्र के लिए कार्यक्रम तय किया गया। संसदीय मामलों के मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने संवाददाताओं को बताया कि मानसून सत्र जरूरत के मुताबिक दो.तीन बढ़ाया या घटाया जा सकता है। इस सत्र में फिलहाल 20 कार्य दिवस होंगे। नायडू ने कहा कि जीएसटी देश के व्यापक हित में है। ‘ हमारे पास व्यापक समर्थन है और जीएसटी के लिए हमारे पास पर्याप्त संख्या है, लेकिन हम सभी दलों की सहमति चाहेंगे क्योंकि इसका राज्यों पर प्रभाव होगा। उन्होंने कहा कि सरकार आम सहमति से इस विधेयक को पारित करना चाहती है और इस दिशा में काम कर रही है, लेकिन इसके बावजूद आम सहमति नहीं बनी तो भी ‘हमें इसे मानसून सत्र में ही पारित कराना है।’ नायडू ने कहा कि इस विधेयक पर मत विभाजन आखिरी विकल्प होगा और सरकार इस मुद्दे पर संख्या बल के परीक्षण से परहेज करना चाहेगी और सभी दलों को साथ लेकर चलने का प्रयास करेगी। चूंकि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है, इसलिए मतविभाजन तो होगा ही ।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बावजूद मोदी सरकार के सामने अब नई समस्या खड़ी होती नज़र आ रही है। केंद्रीय कर्मचारियों ने वेतन में 23 फीसदी की बढ़ोत्तरी को छलावा बताते हुए इसे वेतन आयोग अब तक का सबसे ख़राब सिफारिश बताया है। इसके साथ ही यूनियंस ने 48 साल में अब तक की सबसे बड़ी हड़ताल पर जाने की धमकी भी दी है। केंद्रीय कर्मचारियों के संगठन नेशनल जॉइंट काउंसिल ऑफ एक्शन ने घोषणा की है कि वेतन आयोग की सिफारिशों के खिलाफ आगामी 11 जुलाई से केंद्रीय कर्मचारी देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जायेंगे। कर्मचारियों के इस संगठन के संयोजक शिवगोपाल मिश्रा के मुताबिक उन्होंने वेतन आयोग की सिफारिशों पर पहले ही आपत्ति दर्ज करा दी थी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने आपत्ति को दरकिनार करते हुए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को ज्यों का त्यों लागू कर दिया है। उन्होंने कहा कि इस वेतन आयोग में न्यूनतम वेतन 18 हजार रुपये करने की सिफारिश की गई है, जबकि इसे 26 हजार करने की जरूरत है। वेतन आयोग का विरोध कर रहे कर्मचारियों का आरोप है कि वेतन में तकनीकी रूप से सिर्फ 14 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। सभी अलाउंस को जोड़ कर 23 फीसदी की जादूगरी दिखाई गई है।

नई दिल्‍ली: सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्स एप पर बैन लगाने की मांग करने वाली याचिका को बुधवार को खारिज कर दिया है। इसमें देश की सुरक्षा के लिए खतरा साबित होने की बात कही गई थी। जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने आज भारत में व्हाट्स एप बैन लगाने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया है। याचिका में इंस्टैंट मैसेजिंग एप व्हाट्स एप को बैन करने की अपील की गई थी। व्हाट्स एप की एंड-टू-एंट इंक्रीप्शन पॉलिसी को आधार बात कर हरियाणा के आरटीआई कार्यकर्ता सुधीर यादव ने ये याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा है कि वो अपनी मांग केंद्र के सामने रखे। इस याचिका में कहा गया था कि कि, बीते अप्रैल से व्हाट्स एप ने एंड-टू-एंट इंक्रीप्शन की सुविधा शुरू कर दी है, जिस सिक्योरिटी को तोड़ना आसान नहीं है। अगर व्हाट्स एप से भी किसी व्यक्ति विशेष का डेटा सरकार मांगती है तो वह खुद इन मैसजों को डिकोड नहीं कर पाएंगे। भरत में व्हाट्स एप बैन करने की वकालत करते हुए याचिका में कहा गया कि इस फीचर की मदद से कोई भी आतंकी और अपराधी अपनी योजना के बारे में व्हाट्स एप पर चैट कर सकता है। साथ ही देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया जा सकता है और हमारी सुरक्षा एजेंसी भी इस मैसेज का पता नहीं लगा पाएंगी। यादव ने याचिका में यह भी कहा था कि 256-bit के मैसेज को डिकोड करने में 100 से ज्यादा साल लग जाएंगे। बता दें कि व्हाट्सएप्प ने अप्रैल 2016 से यह यूजर सिक्योरिटी सिस्टम लागू किया था।

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