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'संघर्ष विराम में नहीं थी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता': विदेश सचिव मिस्री
मंत्री शाह को सुप्रीम कोर्ट की फटकार, जांच के लिए एसआईटी गठित

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने आधार के टैगलाइन से 'आम आदमी' हटा दिया है। यह कदम विभिन्न लोगों से अनुरोध प्राप्त होने के बाद उठाया गया है। अनुरोध करने वालों में दिल्ली बीजेपी के एक नेता भी शामिल हैं। संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की ओर से दिल्ली बीजेपी प्रवक्ता अश्विनी उपाध्याय को भेजे गए 28 जून की तिथि वाले एक पत्र में कहा गया है कि आधार टैगलाइन 'आम आदमी का अधिकार' को बदलकर 'मेरा आधार, मेरी पहचान' कर दिया गया है। उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने 19 सितम्बर 2015 को प्रधानमंत्री कार्यालय में एक अर्जी देकर टैगलाइन 'आधार इज राइट ऑफ कॉमन मैन' में सुधार की मांग की थी, क्योंकि आधार कार्ड प्रत्येक भारतीय का अधिकार है चाहे वह गरीबी रेखा से नीचे का हो, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग का हो, निम्न या उच्च आय वर्ग का हो।' यद्यपि यूआईडीएआई की ओर से तत्काल कोई टिप्पणी प्राप्त नहीं हुई, लेकिन एक सूत्र ने कहा कि टैगलाइन करीब छह महीने पहले बदली गई थी और इस पर चर्चा आम आदमी पार्टी के गठन के बाद से ही हो रही थी।

नई दिल्ली: राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित इफ्तार पार्टी में कहा कि भारत की मिलीजुली संस्कृति में रमजान का पर्व प्रत्येक भारतीय के मन में एकता और गौरव की भावना का संचार करेगा। राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रपति भवन में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया। इफ्तार पार्टी में मुखर्जी ने कहा कि वह सभी से इस पवित्र महीने में प्रेम, स्नेह एवं आपसी विश्वास फैलाने का आग्रह करते हैं। उन्होंने उम्मीद जतायी कि भारत की मिलीजुली संस्कृति में रमजान का पर्व प्रत्येक भारतीय के मन में एकता और गौरव की भावना का संचार करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस इफ्तार पार्टी में अनुपस्थिति स्पष्ट नजर आई। इफ्तार पार्टी में हिस्सा लेने वाले गणमान्य व्यक्तियों में उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी, वित्त मंत्री अरूण जेटली, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी शामिल थीं। इसके अलावा सीताराम येचुरी, शीला दीक्षित, राजनयिक मिशनों के प्रमुख, धार्मिक नेता और समाज के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी लोकप्रिय हस्तियां भी इफ्तार पार्टी में शामिल हुईं।

नई दिल्ली: दक्षिण कोरिया के सोल में परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) के पूर्ण सत्र के दौरान भारत का इस समूह में प्रवेश बाधित करने वाले चीन को नई दिल्ली यह समझाने की कोशिश करेगी कि एक दूसरे के हितों और प्राथमिकताओं पर ध्यान देना द्विपक्षीय रिश्तों को आगे ले जाने का आधार होता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने इन अटकलों को भी खारिज कर दिया कि इस सप्ताह के शुरू में मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (एमटीसीआर) का सदस्य बन चुका भारत चीन के साथ ‘जैसे को तैसा’ व्यवहार करते हुए 35 देशों के इस समूह में उसका प्रवेश बाधित करेगा। चीन का परोक्ष संदर्भ देते हुए स्वरूप ने कहा कि केवल ‘एक देश ने’ भारत की कोशिश का विरोध किया जबकि अन्य देशों ने ‘प्रक्रिया संबंधी’ मुद्दे उठाए। इसका मतलब यह नहीं है कि ये देश भारत के खिलाफ थे। उन्होंने कहा कि इन देशों के पास एनएसजी में भारत के प्रवेश को लेकर अलग समाधान था। स्वरूप ने कहा कि बहरहाल, भारत उस देश को लगातार यह बताता रहेगा कि एक दूसरे के हितों, चिंताओं और प्राथमिकताओं के बारे में परस्पर सहमति के आधार पर ही रिश्ते आगे बढ़ते हैं। यह ऐसा मामला (एनएसजी की सदस्यता) है जिस पर हम चर्चा करते रहे हैं और आगे भी करते रहेंगे क्योंकि यह भारत के लिए एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता है।’ उन्होंने यह भी कहा कि भारत का उद्देश्य सम्मिलन के क्षेत्र को व्यापक करना एवं रास्ते अलग करने वाले क्षेत्र को छोटा करना है।

नई दिल्ली: कानून मंत्री सदानंद गौड़ा ने लॉ कमीशन के चेयरमैन को चिट्ठी लिखकर सामान नागरिक संहिता यानी यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के तरीकों पर सलाह मांगी है। मोदी सरकार के कानून मंत्रालय के इस कदम को यूपी चुनावों से ठीक पहले सोच-समझ कर उठाया गया कदम माना जा रहा है। गौड़ा के मुताबिक बीजेपी और मोदी सरकार दोनों के एजेंडे में यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड हमेशा से ही शामिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि अब हम सरकार में है और हमने लॉ कमीशन से यही जानने के लिए सलाह मांगी है कि इसे लागू करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। क्या है यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड का अर्थ भारत के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक कानून से है। सामान्य अर्थों में समान नागरिक संहिता एक सेक्युलर (पंथनिरपेक्ष) कानून होता है जो सभी धर्मों के लोगों के लिये समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग धर्मों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही 'समान नागरिक संहिता' का मूल भावना है। समान नागरिक कानून से अभिप्राय कानूनों के वैसे समूह से है जो देश के समस्त नागरिकों (चाहे वह किसी धर्म या क्षेत्र से संबंधित हों) पर लागू होता है। यह किसी भी धर्म या जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है। ऐसे कानून विश्व के अधिकतर आधुनिक देशों में लागू हैं।

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