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नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने अमेरिकी राष्ट्रपति के ताजा बयान को लेकर शनिवार को पीएम मोदी पर निशाना साधा और कहा कि यदि भारत के ‘टैरिफ’ घटाने के संदर्भ में ट्रंप की बात सही है तो यह मोदी सरकार का आत्मसमर्पण है और इससे भारतीय अर्थव्यवस्था और अधिक कुचल जाएगी। खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर संसद को विश्वास में लेना चाहिए।

यह मोदी सरकार का आत्मसमर्पणः पवन खेड़ा

अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने शुक्रवार को कहा कि भारत अपने शुल्कों में ‘‘काफ़ी कटौती’’ करने पर सहमत हो गया है। उन्होंने अपना यह दावा दोहराया कि भारत अमेरिका पर भारी शुल्क लगाता है जिससे वहां उत्पाद बेचना मुश्किल हो जाता है। ट्रंप के इस ताजा बयान पर भारत सरकार की तरफ से फिलहाल कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है। केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल इन दिनों अधिकारिक दौरे पर अमेरिका में हैं। कांग्रेस के मीडिया विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, 140 करोड़ भारतीय नागरिक अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के माध्यम से अपनी सरकार की व्यापार नीति को जान रहे हैं।

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को आंध्र प्रदेश और तेलंगाना सरकारों द्वारा 'रमजान में मुसलमानों की छुट्टी' के फैसलों के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करने से इंकार कर दिया। दोनों राज्य की सरकारों द्वारा मुस्लिम कर्मचारियों को रमजान के पवित्र महीने के दौरान एक घंटा पहले दफ्तर छोड़ने की अनुमति दी गई है।

प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने याचिकाकर्ता से कहा कि वह अपनी शिकायत संबंधित हाई कोर्ट में ले जाएं। याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने कहा कि याचिका में दोनों सरकारों के परिपत्रों को चुनौती दी गई है।

पीठ द्वारा याचिका की सुनवाई में अनिच्छा दिखाने के बाद शंकरनारायणन ने संबंधित हाई कोर्ट में जाने की स्वतंत्रता के साथ याचिका वापस ले ली। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता के वकील संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत संबंधित हाई कोर्ट में जाने की स्वतंत्रता के साथ वर्तमान याचिका वापस लेने की अनुमति चाहते हैं। याचिकाकर्ता को अपनी शिकायत हाई कोर्ट में ले जाने की स्वतंत्रता प्रदान की।

नई दिल्ली (जनादेश ब्यूरो): कांग्रेस ने वन संरक्षण अधिनियम, 2023 के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश की बृहस्पतिवार को सराहना की और कहा कि यह देश में पारिस्थितिक संरक्षण के लिए संस्थानों के साथ-साथ नियामक प्रणालियों को कमजोर करने के ‘‘मोदी सरकार के व्यवस्थित प्रयासों’’ के लिए एक ‘‘कड़ी फटकार’’ है।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया था कि वे एक महीने के भीतर वन जैसे क्षेत्रों, अवर्गीकृत और सामुदायिक वन भूमि सहित विभिन्न भूमि का समेकित रिकॉर्ड तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन करें।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा था कि विशेषज्ञ समिति वन (संरक्षण एवं संवर्धन) नियम, 2023 के नियम 16 ​​(1) के तहत आवश्यक कार्य छह महीने के भीतर पूरा करेगी।

कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "वन (संरक्षण) संशोधन अधिनियम, 2023 केंद्र सरकार द्वारा पेश किए गए सबसे कठोर कानूनों में से एक था।"

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड सरकार द्वारा आईफोन तथा अन्य वस्तुएं खरीदने के लिए प्रतिपूरक वनरोपण निधि प्रबंधन एवं योजना प्राधिकरण (कैम्पा) निधि के कथित दुरुपयोग को लेकर बुधवार को आपत्ति जताई और राज्य के मुख्य सचिव से जवाब मांगा।

आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज खरीदने के लिए किया गया अस्वीकृत खर्च: कैग 

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की एक रिपोर्ट के अनुसार, वनरोपण के लिए निर्धारित कैम्पा निधि का कथित रूप से उपयोग आईफोन, लैपटॉप, फ्रिज की खरीद और भवनों के नवीनीकरण समेत अस्वीकृत व्ययों के लिए किया गया।

न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने कहा, ‘‘कैम्पा निधि का इस्तेमाल हरित आवरण बढ़ाने के लिए किया जाना है। इसका उपयोग गैर-स्वीकृत गतिविधियों के लिए किया जाना तथा अधिनियम के अनुसार ब्याज को एससीएएफ (राज्य प्रतिपूरक वनरोपण निधि) में जमा न करना गंभीर चिंता का विषय है। इसलिए हम उत्तराखंड के मुख्य सचिव को इन पहलुओं पर एक हलफनामा दायर करने का निर्देश देते हैं।’’

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