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मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने आज (सोमवार) कहा कि मुद्रास्फीति के आंकड़े लक्ष्य के ऊपरी दायरे में बनी हुई है और नीतिगत ब्याज दरों में आगे कटौती केवल तभी की जा सकती है जब कि महंगाई दर और कम हो। खुदरा मुद्रास्फीति जुलाई में बढ़कर 6.07 प्रतिशत हो गयी थी। यह पिछले करीब दो साल में इसका उच्चस्तर है। इसी तरह थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति पिछले 23 माह के उच्चस्तर 3.55 प्रतिशत पर पहुंच गई। राजन ने यहां जारी रिजर्व बैंक की 2015-16 की वार्षिक रिपोर्ट की प्रस्तावना में कहा, ‘मुद्रास्फीति अभी भी रिजर्व बैंक के मुद्रास्फीति के लक्ष्य के ऊपरी दायरे में बनी हुई है। जमाकर्ताओं की धनात्मक वास्तविक ब्याज दर (जमाओं पर मुद्रास्फीति से ऊपर की दर) प्राप्त करने की इच्छा और कॉरपोरेट निवेशकों तथा खुदरा कर्ज लेने वालों की ऋण पर निम्न घोषित ब्याज दर की जरूरत के बीच संतुलन बनाने की रिजर्व बैंक की आवश्यकता को देखते हुए नीतिगत दरों में कटौती की गुंजाइश केवल तभी बन हो सकती है जब मुद्रास्फीति में आगे और गिरावट आये।’ उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को सरकार द्वारा निर्धारित चार प्रतिशत के स्तर पर लाना रिजर्व बैंक की अल्पकालिक वृहदआर्थिक प्राथमिकताओं में है। राजन ने कहा कि अब रिजर्व बैंक इस मामले में मुद्रास्फीति को धीरे धीरे नीचे लाने के रास्ते पर चलता आ रहा है। इसके तहत इसे जनवरी 2016 में छह प्रतिशत से नीचे लाने के बाद अब मार्च 2017 तक इसे पांच प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य है।

नई दिल्ली: भाजपा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने आज (सोमवार) कहा कि यदि कच्चे तेल के दाम 60 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर गया तो देश आर्थिक संकट में फंस जाएगा। स्वामी ने ट्वीट किया, ‘हमारी अर्थव्यवस्था की स्थिति को देखते हुए यदि कच्चे तेल के दाम 60 डॉलर प्रति बैरल को पार कर जाते हैं तो आर्थिक संकट की स्थिति पैदा होगी।’ अमेरिकी बेंचमार्क वेस्ट टेक्सस इंटरमीडिएट 47 डॉलर प्रति बैरल पर चल रहा है जबकि ब्रेंट 49 डॉलर प्रति बैरल पर है। पिछले साल के दौरान कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था को मदद मिली है। भारत को अपने आयात बिल में कमी लाने तथा मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने में मदद मिली है। भारत कच्चे तेल की 80 प्रतिशत जरूरत आयात से पूरा करता है। कच्चे तेल के दाम में एक डॉलर प्रति बैरल की वृद्धि का मतलब है भारत को हर साल 1.36 अरब डॉलर यानी 9,126 करोड़ खर्च करने पड़ेंगे। स्वामी ने अपने फालोअर्स से पूछा कि क्या कोई कच्चे तेल के बारे में भविष्यवाणी कर सकता है कि दिसंबर तक इसका मूल्य क्या होगा। भारत ने 2015-16 में कच्चे तेल के आयात पर 63.96 अरब डॉलर खर्च किए। यह इससे पिछले वित्त वर्ष में खर्च की गई 112.7 अरब डालर की राशि का आधा है। 2013-14 में देश का कच्चे तेल के आयात पर खर्च 143 अरब डालर था।

नई दिल्ली: रिलायंस जियो का मुकाबला करने की एक चाल के तहत देश की नंबर एक मोबाइल सेवाप्रदाता भारती एयरटेल ने अपनी 4जी और 3जी इंटरनेट मोबाइल सेवाओं की दरें 80% तक घटा दी हैं। एयरटेल की एक विशेष योजना में यह सेवा 51 रुपये प्रति गीगाबाइट (जीबी) की दर से दी जा रही है। कंपनी ने आज एक बयान में कहा कि 1498 रुपए की रीचार्ज योजना में उसके ग्राहकों को 28 दिन के अंदर 1जीबी 3जी-4जी मोबाइल डाटा डाउन लोड करने का मौका रहेगा। 1जीबी डाटा की यह सीमा खत्म हो जाने पर ग्राहक केवल 51 रुपये के अतिरिक्त रीचार्ज पर 1जीबी 3जी-4जी डाटा डाउनलोड की सुविधा और हासिल कर सकते हैं। यह छूट उसे 12 महीने तक मिलेगी और इस दौरान वह जितनी बार चाहे, इस तरह का रीचार्ज करा सकता है। इस समय कंपनी 3जी-4जी नेटवर्क सेवाओं पर 259 रुपये में 1जीबी इंटरनेट डाटा देती है। यह स्कीम 28 दिन की वैधता वाली है। कंपनी 748 रपये की एक और योजना भी पेश करने जा रही है जिसमें 99 रुपये के रीचार्ज पर 1जीबी 4जी डाटा मिलेगा। इसकी वैधता छह माह की है। कंपनी ने कहा है, ‘ये प्रीपेड योजनाएं दिल्ली में चालू हो गयी हैं और 31 अगस्त तक ये पूरे देश में लागू हो जाएंगी।’ भारती एयरटेल के निदेशक-परिचालन अजय पुरी ने कहा कि ‘इन नवोन्मेषी योजनाओं के माध्यम से हम डाटा योजनाओं के मूल्य को नए ढंग से परिभाषित कर रहे है। इससे हमारे ग्राहकों को अपने पुराने खर्च पर ही ज्यादा सुविधा इस्तेमाल करने का मौका मिलेगा।’

नई दिल्ली: अच्छे मानसून की उम्मीद में मौजूदा खरीफ सत्र में दालों का बुवाई क्षेत्र 34 प्रतिशत बढ़कर 139.42 लाख हेक्टेयर हो गया है।पिछले साल इसी मौसम में दालों का बुवाई क्षेत्र 103.85 लाख हेक्टेयर था। सरकार को उम्मीद है कि इस साल 2016-17 के फसल वर्ष (जुलाई-जून) में दालों का उत्पादन बढ़कर दो करोड़ टन रहेगा जो पिछले साल 1.65 करोड़ टन रहा था। एक आधिकारिक विज्ञप्ति ने बताया कि 26 अगस्त 2016 राज्यों से प्राप्त रपट के अनुसार कुल 1019.10 हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है जबकि पिछले साल इस दौरान 973.40 हेक्टेयर क्षेत्र में ही बुवाई हुई थी। खरीफ के मौसम में धान की बुवाई 363.07 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हुई है जबकि पिछले साल खरीफ के मौसम में यह 352.23 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही हुई थी। इसी प्रकार तिलहन का बुवाई क्षेत्र भी पिछले साल के 174.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र के मुकाबले बढ़कर 177.74 लाख हेक्टेयर हो गया है। हालांकि, गन्ने की बुवाई पिछले साल की तुलना में इस साल 49.60 लाख हेक्टेयर से घटकर 45.55 लाख हेक्टेयर, कपास की बुवाई 122.68 लाख हेक्टेयर से घटकर 102.78 लाख हेक्टेयर, जूट एवं मेस्ता की बुवाई 7.73 लाख हेक्टेयर से घटकर 7.56 लाख हेक्टेयर रही है।

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