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नई दिल्ली: करीब आठ साल पहले वैश्विक मंदी से भारत में वेतन वृद्धि मात्र 0.2 प्रतिशत रही है, वहीं समीक्षाधीन अवधि में चीन ने सबसे अधिक 10.6 प्रतिशत की वेतन वृद्धि दर्ज की है। हे ग्रुप के विभाग कॉर्न फेरी के ताजा विश्लेषण के अनुसार, इस अवधि में वास्तविक आधार पर भारत में वेतन वृद्धि मात्र 0.2 फीसदी रही है जबकि इस दौरान सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 63.8 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। समीक्षाधीन अवधि में वास्तविक वेतन वृद्धि में चीन, इंडोनेशिया और मेक्सिको सबसे आगे रहे हैं। इन वेतन वृद्धि क्रमश: 10.6 प्रतिशत, 9.3 प्रतिशत तथा 8.9 प्रतिशत रही है। वहीं कुछ अन्य उभरते बाजारों मसलन तुर्की, अर्जेंटीना, रूस और ब्राजील की स्थिति इस मामले में काफी खराब रही है। इन देशों की वास्तविक वेतन वृद्धि क्रमश: नकारात्मक 34.4 प्रतिशत, नकारात्मक 18.6 प्रतिशत, नकारात्मक 17.1 प्रतिशत तथा नकारात्मक 15.3 प्रतिशत रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर उभरते जी-20 बाजार या तो एक तरफ या दूसरी तरफ रहे हैं। यानी या तो वहां सबसे अधिक वेतन वृद्धि हुई या सबसे कम। हालांकि, भारत इनके बीच खड़ा है।

नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज  (बुधवार) कहा कि सरकारी पैसा विभिन्न योजनाओं में अनिश्चितकाल के लिए नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि इससे दक्षता प्रभावित होती है और वृद्धि के रास्ते में अड़चन आती है। पेंशनभोगियों के लिए वेबपोर्टल के शुभारंभ के मौके पर जेटली ने कहा कि जारी सरकारी पैसे का इसके इस्तेमाल से तालमेल बैठाया जाना चाहिए। इसे राज्यों के पास निष्क्रिय पड़े रहने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आप ऐसा नहीं कर सकते कि सरकारी धन विभिन्न स्थानों पर अनिश्चितकाल के लिए पड़ा रहे। इससे न केवल दक्षता प्रभावित होती है, बल्कि यह वृद्धि के रास्ते में भी अड़चन पैदा करता है।’ सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) धन के वितरण की निगरानी करती है और यह सुनिश्चित करती है कि राज्यों के खजाने का केंद्र के साथ एकीकरण रहे, जिससे यह सुनिश्चित हो कि कब पैसे की जरूरत है। इसे केंद्रीय योजना स्कीम निगरानी प्रणाली (सीपीएसएमएस) भी कहा जाता है। वित्त मंत्री द्वारा आज जिस वेबपोर्टल की शुरुआत की गई, वह एक स्थान पर सूचना प्रदान करने और शिकायतों के तेजी से निपटान की भूमिका निभाएगा। इस पोर्टल के अलावा महालेखा नियंत्रक भवन का भी उद्घाटन किया गया। यह लेखा महानियंत्रक (सीजीए) का नया आधिकारिक कार्यालय परिसर है। जेटली ने कहा, ‘वेब पोर्टल के जरिये पेंशनभोगियों की मदद एक बेहद महत्वपूर्ण पहल है। किसी को भी परेशान नहीं किया जाना चाहिए, विशेषरूप से पेंशनभोगियों को क्योंकि इसमें से ज्यादातर वरिष्ठ नागरिक हैं।’

नई दिल्ली: अगस्त महीने में खान-पीने की चीजों, इलेक्ट्रोनिक उत्पादों और उन्य वस्तुओं की कीमतों में हुई बढ़ोतरी के कारण थोक महंगाई दर 3.74 फीसदी पर पहुंच गई। जुलाई में यह आँकडा 3.55 प्रतिशत पर था। हालांकि, इस दौरान सब्जियों की कीमतों में गिरावट भी आई। अगस्त 2015 में यह शून्य से 5.06 फीसदी नीचे थी। इससे पहले अगस्त, 2014 में यह 3.74 फीसदी के उच्च स्तर पर थी। अगस्त में सब्जियों की महंगाई दर घटकर 0.17 फीसदी रह गई, जबकि जुलाई में यह 28.05 फीसदी थी। वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अगस्त में दालों की महंगाई दर 34.55 फीसदी रही। इसी तरह समीक्षाधीन महीने में आलू 66.72 फीसदी महंगा हुआ, वहीं प्याज 64.19 फीसदी सस्ता हुआ। चीनी की महंगाई दर 35.36 फीसदी रही। वहीं माह के दौरान फल 13.91 फीसदी महंगे हुए। कुल मिलाकर अगस्त में खाद्य वस्तुओं की महंगाई घटकर 8.23 फीसदी रह गई, जो जुलाई में 11.82 फीसदी पर थी। यह थोक महँगाई का अगस्त 2014 के बाद का उच्चतम स्तर है। अगस्त 2014 में यह 3.85 फीसदी रही थी। थोक महँगाई फरवरी से लगातार सातवें महीने बढ़ी है। पिछले साल अगस्त में यह शून्य से 5.06 फीसदी नीचे रही थी। मौजूदा वित्त वर्ष के पहले पाँच महीने अप्रैल से अगस्त तक बिल्डअप मुद्रास्फीति की दर 0.23 फीसदी रही है। नवंबर, 2014 से मार्च, 2016 तक थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नकारात्मक दायरे में रही। पिछले पांच महीनों से यह लगातार बढ़ रही है।

नई दिल्ली: वर्तमान टेलीकाम आपरेटरों के खिलाफ वाकयुद्ध में पलटवार करते हुए रिलायंस जियो ने उसके मोबाइल नेटवर्क से ट्रैफिक की ‘सुनामी’ पैदा होने के आरोप खारिज किये। रिलायंस जियो इंफोकाम ने एक बयान में कहा कि रिलायंस जियो का आउटगोइंग ट्रैफिक व्यस्त समय में भी प्रति ग्राहक प्रति घंटा दो काल से भी कम है जिसके लिए केवल पीओआई की सीमित संख्या की जरूरत होती है। ये काल केवल एक आपरेटर के लिए नहीं हैं बल्कि सभी आपरेटरों में विभाजित हैं। बयान में कहा गया कि वर्तमान आपरेटर इतनी सामान्य काल दर को रिलायंस जियो के ट्रैफिक की सुनामी बता रहे हैं। पांच सितंबर को वाणिज्यिक रूप से सेवाएं शुरू करने वाली रिलायंस जियो ने वर्तमान टेलीकाम कंपनियों पर पर्याप्त संख्या में इंटर कनेक्शन पोर्ट नहीं देने का आरोप लगाया है जिससे कॉल ड्राप की समस्या हो रही है।

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