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नई दिल्ली: विशेषज्ञों का कहना है कि वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली से काले धन पर लगाम लगेगी तथा अधिक प्रभावी कराधान प्रणाली का मार्ग प्रशस्त होगा लेकिन इसे अप्रैल 2017 से इसे लागू करना चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है। हिंदुजा ग्रुप के चेयरमैन अशोक पी हिंदुजा ने कहा, ‘जीएसटी 1991 के बाद का सबसे बड़ा सुधार होगा जो कि भारत को विदेशी निवेश का आकर्षक गंतव्य बना देगा। राष्ट्रीय बाजार के अस्तित्व में आने से विनिर्माण अधिक प्रतिस्पर्धी होगा।’ अनुसंधान फर्म केपीएमजी के प्रमुख (अप्रत्यक्ष कर) सचिन मेनन ने जीएसटी संविधान संशोधन विधेयक के पारित होने को भारत के आर्थिक सुधारों के इतिहास में ‘मील का पत्थर’ करार दिया है। उल्लेखनीय है कि राज्यसभा ने कई वर्षों से लंबित बहुप्रतीक्षित जीएसटी विधेयक को आज मंजूरी दे दी। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि नयी अप्रत्यक्ष कर प्रणाली को एक अप्रैल 2017 से कार्यान्वित करने की समयसीमा कठिन नजर आ रही है हालांकि केंद्र व राज्य दोनों तैयार हैं। नांगिया एंड कंपनी के मैनेजिंग पार्टनर राकेश नांगिया ने कहा,‘जीएसटी का कार्यान्वयन एक अप्रैल 2017 से करना असंभव भले ही नहीं हो लेकिन दुरूह जरूर होगा।’ पीडब्ल्यूसी (इंडिया) की पार्टनर (अप्रत्यक्ष कर) अनिता रस्तोगी के अनुसार केंद्र व राज्य, दोनों ही जीएसटी के कार्यान्वयन के लिए सही पथ पर हैं। उन्होंने कहा, ‘तकनीकी रूप से यह अप्रैल 2017 से कार्यान्वित हो सकता है। यह कठिन नजर आ रहा है लेकिन असंभव नहीं।’ इकनामिक लॉज प्रेक्टिस के पार्टनर रोहित जैन ने कहा,‘अप्रैल 2017 की समयसीमा चुनौतीपूर्ण होगी।

बेंगलुरु: आईटी जगत की हस्ती नंदन निलेकणी ने आज ऐसे भविष्य की बात की जिसमें सरकार बुनियादी ढांचा खड़ा करे और निजी कंपनियां नवोन्मेषी समाधानों के लिए इसका इस्तेमाल करें। वे यहां लीगलडेस्क डॉट काम के एक कार्य्रकम को संबोधित कर रहे थे। फर्म ने इस अवसर पर ‘ईसाइनडेस्क’ फीचर शुरू किया। इस फीचर के तहत किसी पक्ष के शारीरिक रूप से उपस्थित नहीं होने पर भी दस्तावेजों पर उनके हस्ताक्षर लिए जा सकेंगे। निलेकणी ने जिक्र किया कि इंटरनेट व जीपीएस का विकास अमेरिकी सरकार ने किया और अब इसका इस्तेमाल निजी कंपनियां जनसेवाओं के लिए कर रही हैं। निलेकणी ने कहा कि सरकारों को बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी विकसित करनी चाहिए क्योंकि इसमें बड़े निवेश की जरूरत होती है। उसके बाद लोग उस पर एप्लीकेशन विकसित कर सकते हैं। निलेकणी ने कहा,‘ किसी भी समाज में नवोन्मेष को बढावा देने का यही क्लासिक तरीका है।’ आधार, सीसीए व नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन आफ इंडिया का ज्रिक करते हुए निलेकणी ने कहा कि भारत में बदलाव पहले से ही हो रहा है।

नई दिल्ली: भारत की सेवा क्षेत्र के कारोबार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी के संकेत हैं। एक मासिक सर्वे के अनुसार कंपनियों के नए ऑर्डर बढने और कीमतों में कमी से देश के सेवा क्षेत्र की वृद्धि जुलाई में 3 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गयी। उम्मीद है कि बाजार के ऐसे रूझानों के मद्देनजर आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन अगले सप्ताह द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत ब्याज दर कम कर सकते हैं। सेवाओं की कीमत में कमी किए जाने से स्पष्ट है कि मुद्रास्फीतिक दबाव कम हुआ है। पर रोजगार सृजन भी हल्का ही चल रहा है। इससे आरबीआई गवर्नर के लिए वृद्धि को प्रोत्साहन करने के संबंध में ब्याज दरों में कटौती के रूप में उपहार देने की गुंजाइश बनती है। मासिक आधार पर जारी किए जाने वाला निक्केइ इंडिया सेवा कारोबार गतिविधि सूचकांक जुलाई में बढ़कर 51.9 पर पहुंच गया जो जून में 50.3 के स्तर पर था। सर्वेक्षण का आकलन करने वाली संस्था मार्ट की अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा ने कहा, ‘भारतीय सेवा क्षेत्र गतिविधियों की दूसरी छमाही की शुरूआत ठोस आधार पर हुई।’ विनिर्माण उत्पादन में वृद्धि के बीच मौसमी आधार पर समायोजित निक्केइ इंडिया मिश्रित पीएमआई उत्पादन सूचकांक भी तीन महीने के उच्चतम स्तर 52.4 पर पहुंच गया, जो जून में 51.1 पर था। सूचकांक का 50 से उपर रहना वृद्धि जबकि इससे नीचे रहना संकुचन का संकेतक है।

मुंबई: रेटिंग एजेंसी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने मंगलवार को कहा कि देश का खराब बुनियादी ढांचा सरकार के महत्वाकांक्षी ‘मेक इन इंडिया’ कार्य्रकम में ‘सबसे बड़ी बाधा’ है। एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स के ऋण विश्लेषक अभिषेक डांगरा ने संवाददाताओं से कहा,‘ सरकार के महत्वाकांक्षी मेक इन इंडिया कार्य्रकम में बुनियादी ढांचा सबसे बड़ी बाधा है।’ कुछ अनुमानों के अनुसार बुनियादी ढांचे में कमी के कारण जीडीपी के पांच प्रतिशत तक का नुकसान हो रहा है और इसमें सुधार से निर्यात प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि चीन भी बुनियादी ढांचे के मोर्चे पर समस्याओं का सामना कर रहा है। उन्होंने का बुनियादी ढांचे में लगाए जाने वाले हर एक रपये परिणामी प्रभाव होता है और इससे जीडीपी को दो रपये की मदद मिलती है।

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